ETV Bharat / international

नासा ने जारी की तस्वीर, कहा- विक्रम लैंडर की हुई थी हार्ड लैंडिंग

सात सितबंर को चंद्रयान-2 चंद्रमा के सतह पर लैंड करने वाला था लेकिन कुछ समय पहले ही उसका इसरो से संपर्क टूट गया है. इसके बाद अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने कुछ तस्वीरें जारी करते हुए कहा कि विक्रम लैंडर की हार्ड लैंडिंग हुई थी. पढ़ें पूरी खबर...

विक्रम लैंडर (फाइल फोटो)
author img

By

Published : Sep 27, 2019, 12:27 PM IST

Updated : Oct 2, 2019, 4:59 AM IST

वाशिंगटनः अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अपने 'लूनर रिकॉनिसंस ऑर्बिटर कैमरा' से ली गईं उस क्षेत्र की 'हाई रेजोल्यूशन' तस्वीरें 27 सितबंर को जारी कीं. यह तस्वीर उस जगह की है जहां भारत ने अपने महत्वाकांक्षी 'चंद्रयान-2' मिशन के तहत लैंडर विक्रम की 'सॉफ्ट लैंडिग' राने की कोशिश की थी.नासा ने इन तस्वीरों के आधार पर बताया कि विक्रम की 'हार्ड लैंडिंग' हुई.

नासा के लूनर रिकॉनिसंस ऑर्बिटर (एलआरओ) अंतरिक्ष यान ने 17 सितंबर को चंद्रमा के अन छुए दक्षिणी ध्रुव के पास से गुजरने के दौरान उस जगह की कई तस्वीरें ली. जहां विक्रम ने सॉफ्ट लैंडिग के जरिए उतरने का प्रयास किया था लेकिन एलआरओसी की टीम लैंडर के स्थान या उसकी तस्वीर का पता नहीं लगा पाई है.

etv bharat
नासा द्वारा ली गई तस्वीर

नासा ने कहा कि विक्रम की हार्ड लैंडिंग हुई और अंतरिक्ष यान के सटीक स्थान का पता अभी तक नहीं चला है. नासा ने बताया कि इन दृश्यों की तस्वीरें लूनर रिकॉनिसंस ऑर्बिटर कैमरा क्विकमैप ने लक्षित स्थल से ऊपर उड़ान भरने के दौरान ली.

बता दें कि चंद्रयान-2 के विक्रम मॉड्यूल की सात सितंबर को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने की भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की कोशिश नाकाम रही था और विक्रम लैंडर का लैंडिंग से चंद मिनटों पहले जमीनी केंद्रों से संपर्क टूट गया था.

etv bharat
नासा द्वारा ली गई तस्वीर

'गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर' के एलआरओ मिशन के डिप्टी प्रोजेक्ट साइंटिस्ट जॉन कैलर ने एक बयान में कहा कि एलआरओ 14 अक्टूबर को दोबारा उस समय संबंधित स्थल के ऊपर से उड़ान भरेगा जब वहां रोशनी बेहतर होगी.

गौरतलब है कि जमीनी केंद्रों से विक्रम लैंडर का संपर्क टूटने के बाद अब दोबारा इससे संपर्क की संभावनाएं क्षीण हो चुकी है क्योंकि चांद पर रात हो चुकी है.

विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर का जीवनकाल एक चंद्र दिवस यानी कि धरती के 14 दिन के बराबर था. चंद्रमा पर खास तौर पर इसके दक्षिणी ध्रुव पर रात में काफी ठंडक होती है. इसी ध्रुव पर विक्रम पड़ा हुआ है. यहां तापमान करीब 200 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है.

पढ़ेंः भारत के चंद्रयान-2 के चंद्रमा पर उतरने को लेकर अमेरिकी वैज्ञानिकों में भी उत्साह

लैंडर के उपकरण इतने तापमान को बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं. बिना सौर ऊर्जा के बिजली का प्रवाह नहीं होगा और ऐसे में यह स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो जाएगा.

वाशिंगटनः अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अपने 'लूनर रिकॉनिसंस ऑर्बिटर कैमरा' से ली गईं उस क्षेत्र की 'हाई रेजोल्यूशन' तस्वीरें 27 सितबंर को जारी कीं. यह तस्वीर उस जगह की है जहां भारत ने अपने महत्वाकांक्षी 'चंद्रयान-2' मिशन के तहत लैंडर विक्रम की 'सॉफ्ट लैंडिग' राने की कोशिश की थी.नासा ने इन तस्वीरों के आधार पर बताया कि विक्रम की 'हार्ड लैंडिंग' हुई.

नासा के लूनर रिकॉनिसंस ऑर्बिटर (एलआरओ) अंतरिक्ष यान ने 17 सितंबर को चंद्रमा के अन छुए दक्षिणी ध्रुव के पास से गुजरने के दौरान उस जगह की कई तस्वीरें ली. जहां विक्रम ने सॉफ्ट लैंडिग के जरिए उतरने का प्रयास किया था लेकिन एलआरओसी की टीम लैंडर के स्थान या उसकी तस्वीर का पता नहीं लगा पाई है.

etv bharat
नासा द्वारा ली गई तस्वीर

नासा ने कहा कि विक्रम की हार्ड लैंडिंग हुई और अंतरिक्ष यान के सटीक स्थान का पता अभी तक नहीं चला है. नासा ने बताया कि इन दृश्यों की तस्वीरें लूनर रिकॉनिसंस ऑर्बिटर कैमरा क्विकमैप ने लक्षित स्थल से ऊपर उड़ान भरने के दौरान ली.

बता दें कि चंद्रयान-2 के विक्रम मॉड्यूल की सात सितंबर को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने की भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की कोशिश नाकाम रही था और विक्रम लैंडर का लैंडिंग से चंद मिनटों पहले जमीनी केंद्रों से संपर्क टूट गया था.

etv bharat
नासा द्वारा ली गई तस्वीर

'गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर' के एलआरओ मिशन के डिप्टी प्रोजेक्ट साइंटिस्ट जॉन कैलर ने एक बयान में कहा कि एलआरओ 14 अक्टूबर को दोबारा उस समय संबंधित स्थल के ऊपर से उड़ान भरेगा जब वहां रोशनी बेहतर होगी.

गौरतलब है कि जमीनी केंद्रों से विक्रम लैंडर का संपर्क टूटने के बाद अब दोबारा इससे संपर्क की संभावनाएं क्षीण हो चुकी है क्योंकि चांद पर रात हो चुकी है.

विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर का जीवनकाल एक चंद्र दिवस यानी कि धरती के 14 दिन के बराबर था. चंद्रमा पर खास तौर पर इसके दक्षिणी ध्रुव पर रात में काफी ठंडक होती है. इसी ध्रुव पर विक्रम पड़ा हुआ है. यहां तापमान करीब 200 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है.

पढ़ेंः भारत के चंद्रयान-2 के चंद्रमा पर उतरने को लेकर अमेरिकी वैज्ञानिकों में भी उत्साह

लैंडर के उपकरण इतने तापमान को बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं. बिना सौर ऊर्जा के बिजली का प्रवाह नहीं होगा और ऐसे में यह स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो जाएगा.

Intro:Body:

Print Printपीटीआई-भाषा संवाददाता 11:19 HRS IST

विक्रम लैंडर की हुई थी हार्ड लैंडिंग: नासा ने तस्वीरें जारी करके बताया

वाशिंगटन, 27 सितंबर (भाषा) अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अपने ‘लूनर रिकॉनिसंस ऑर्बिटर कैमरा’ से ली गईं उस क्षेत्र की ‘हाई रेजोल्यूशन’ तस्वीरें शुक्रवार को जारी कीं जहां भारत ने अपने महत्वाकांक्षी ‘चंद्रयान दो’ मिशन के तहत लैंडर विक्रम की ‘सॉफ्ट लैंडिग’ कराने की कोशिश की थी। नासा ने इन तस्वीरों के आधार पर बताया कि विक्रम की ‘हार्ड लैंडिंग’ हुई।



नासा के लूनर रिकॉनिसंस ऑर्बिटर (एलआरओ) अंतरिक्षयान ने 17 सितंबर को चंद्रमा के अनछुए दक्षिणी ध्रुव के पास से गुजरने के दौरान उस जगह की कई तस्वीरें ली, जहां विक्रम ने सॉफ्ट लैंडिग के जरिए उतरने का प्रयास किया था लेकिन एलआरओसी की टीम लैंडर के स्थान या उसकी तस्वीर का पता नहीं लगा पाई है।



नासा ने कहा कि विक्रम की हार्ड लैंडिंग हुई और अंतरिक्ष यान के सटीक स्थान का पता अभी तक नहीं चला है।



नासा ने बताया कि इस दृश्यों की तस्वीरें लूनर रिकॉनिसंस ऑर्बिटर कैमरा क्विकमैप ने लक्षित स्थल से ऊपर उड़ान भरने के दौरान ली।



चंद्रयान-2 के विक्रम मॉड्यूल की सात सितंबर को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने की भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की कोशिश नाकाम रही थी और विक्रम लैंडर का लैंडिंग से चंद मिनटों पहले जमीनी केंद्रों से संपर्क टूट गया था।



‘गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर’ के एलआरओ मिशन के डिप्टी प्रोजेक्ट साइंटिस्ट जॉन कैलर ने एक बयान में कहा कि एलआरओ 14 अक्टूबर को दोबारा उस समय संबंधित स्थल के ऊपर से उड़ान भरेगा जब वहां रोशनी बेहतर होगी।



जमीनी केंद्रों से विक्रम लैंडर का संपर्क टूटने के बाद अब दोबारा इससे संपर्क की संभावनाएं क्षीण हो चुकी है क्योंकि चांद पर रात हो चुकी है।



विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर का जीवनकाल एक चंद्र दिवस यानी कि धरती के 14 दिन के बराबर था। चंद्रमा पर खास तौर पर इसके दक्षिणी ध्रुव पर रात में काफी ठंडक होती है। इसी ध्रुव पर विक्रम पड़ा हुआ है। यहां तापमान करीब 200 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है।



लैंडर के उपकरण इतने तापमान को बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं। बिना सौर ऊर्जा के बिजली का प्रवाह नहीं होगा और ऐसे में यह स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो जाएगा।


Conclusion:
Last Updated : Oct 2, 2019, 4:59 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.