वॉशिंगटन: अमेरिका ने सोमवार को तुर्की पर रूस से सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली एस-400 खरीदने पर प्रतिबंध लगा दिया है. साथ ही तुर्की से आग्रह किया है कि अमेरिका के साथ समन्वय में समस्या को तुरंत हल करें.
अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा जारी आधिकारिक बयान के अनुसार, अमेरिका ने तुर्की के प्रेसिडेंसी ऑफ डिफेंस इंडस्ट्रीज (SSB) पर CAATSA अधिनियम की धारा 231 के तहत प्रतिबंध लगाए हैं, क्योंकि एसएसबी एस-400 मिसाइल प्रणाली की खरीद के लिए रूस की मुख्य हथियार निर्यात कंपनी रोसोबोरॉनेक्सपोर्ट के साथ डील कर रही है.
अमेरिका ने एसएसबी के प्रमुख इस्माइल डेमीर, एसएसबी के उपाध्यक्ष फारूक यजीत, एसएसबी के वायु रक्षा और अंतरिक्ष विभाग के प्रमुख सरहट गेनकोग्लू और एसएसबी के क्षेत्रीय वायु रक्षा प्रणाली निदेशालय के प्रोग्राम मैनेजर मुस्तफा अल्पर डेनिज पर पूर्ण प्रतिबंध के साथ वीजा प्रतिबंध भी लगाए हैं.
बयान में कहा गया है कि प्रतिबंधों में एसएसबी के सभी अमेरिकी निर्यात लाइसेंस व प्राधिकरणों पर प्रतिबंध और एसएसबी अध्यक्ष इस्माइल डेमीर तथा अन्य एसएसबी अधिकारियों पर संपत्ति फ्रीज व वीजा प्रतिबंध शामिल हैं.
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अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और परमाणु अप्रसार के असिस्टेंट सेक्रेटरी क्रिस्टोफर फोर्ड ने कहा कि हमें उम्मीद है कि दुनियाभर के अन्य देश भी इस बात पर ध्यान देंगे कि अमेरिका सीएएटीएसए धारा 231 प्रतिबंधों को पूरी तरह से लागू करेगा और उन्हें रूसी उपकरणों की खरीद से बचना चाहिए, खासकर उन लोगों को जो प्रतिबंधों की चपेट में आ सकते हैं.
भारत ने अमेरिका को धता बताते हुए एस-400 एंटी-मिसाइल सिस्टम की पांच यूनिटों के लिए 2018 में 5.43 अरब डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.
अमेरिका ने भारत को रूसी प्रणाली की खरीद से बार-बार रोकने की कोशिश की है. अमेरिका ने सीएएटीएसए से भारत को छूट देने से इनकार किया है, लेकिन उसने भारत को हथियार बेचना जारी रखा है.
तुर्की के खिलाफ नवीनतम प्रतिबंध अंकारा के उन्नत एफ-35 लड़ाकू जेट प्राप्त को लेकर लगाया गया है.
फोर्ड ने कहा कि प्रतिबंध एसएसबी को हथियारों के निर्यात लाइसेंस प्राप्त करने और ऋण प्राप्त करने से रोकेंगे और अमेरिका अन्य स्रोतों से कंपनी को ऋण देने का भी विरोध करेगा. उन्होंने कहा कि इसके अलावा, तुर्की के चार अधिकारियों को वीजा और वित्तीय प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा.