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भारत के साथ शांतिपूर्ण तरीके से तनाव कम करे चीन, अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने पारित किया प्रस्ताव

अमेरिकी सांसदों ने चीन से भारत के साथ तनाव कम करने की अपील संबंधी प्रस्ताव पेश किया है. इस प्रस्ताव को मंगलवार को पारित किए जाने से पहले प्रतिनिधि सभा ने राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण अधिनियम (एनडीएए) में सर्वसम्मति से संशोधन पारित किया था, जिसमें गलवान घाटी में भारत के खिलाफ चीन की आक्रामकता और दक्षिण चीन सागर जैसे विवादित क्षेत्रों में उसके बढ़ते क्षेत्रीय दबावों की निंदा की गई है.

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Published : Jul 22, 2020, 3:54 PM IST

America passed a resolution related to China India
अमेरिका ने चीन भारत संबंधी प्रस्ताव किया पारित

वाशिंगटन : अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने एक द्विदलीय प्रस्ताव पारित किया है, जिसमें चीन से अपील की गई है कि वह नियंत्रण रेखा के पास भारत के साथ शांतिपूर्ण तरीके से तनाव कम करे.

इस प्रस्ताव को मंगलवार को पारित किए जाने से पहले प्रतिनिधि सभा ने राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण अधिनियम (एनडीएए) में सर्वसम्मति से संशोधन पारित किया था, जिसमें गलवान घाटी में भारत के खिलाफ चीन की आक्रामकता और दक्षिण चीन सागर जैसे विवादित क्षेत्रों में उसके बढ़ते क्षेत्रीय दबावों की निंदा की गई है.

भारतीय-अमेरिकी सांसद राजा कृष्णमूर्ति के नेतृत्व में भारतीय अमेरिकी सांसद रो खन्ना, सांसदों फ्रैंक पैलोने, टो सुओजी, टेड योहो, जॉर्ज होल्डिंग, शीला जैक्सन-ली, हैली स्टीवन्स और स्टीव शैबेट ने यह प्रस्ताव पेश किया था. इसे वित्त वर्ष 2021 के लिए एनडीएए के साथ पारित किया गया. प्रस्ताव में भारत के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन की आक्रामकता की निंदा की गई है.

कृष्णमूर्ति ने एक बयान में कहा आज पारित किए गए विधेयक से सदन ने यह स्पष्ट द्विदलीय संदेश दिया है कि चीन सरकार को भारत के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांतिपूर्ण तरीके से तनाव कम करना चाहिए.

उन्होंने कहा भारत में चीनी सेना की उकसावे की कार्रवाई अस्वीकार्य है और सीमा पर गतिरोध के शांतिपूर्ण समाधान से भारत-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी.

कृष्णमूर्ति ने कहा कि इस प्रस्ताव को पारित करके प्रतिनिधि सभा ने चीनी सैन्य आक्रामकता के खिलाफ भारत जैसे सहयोगियों के साथ खड़े होने की अमेरिका की तत्परता पुन: दर्शाई है.

प्रस्ताव में कहा गया है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास 15 जून तक कई महीनों पहले से चीनी सैन्य बलों ने कथित रूप से 5,000 जवानों को एकत्र किया और वह बल प्रयोग एवं आक्रामकता के जरिए उन सीमाओं को बदलने की कोशिश कर रहा है जो काफी समय पहले ही तय की जा चुकी हैं.

प्रस्ताव में इस बात का जिक्र किया गया है कि भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास तनाव कम करने और बलों के पीछे हटने को लेकर सहमति बन गई है.

इसमें कहा गया है कि पूर्वी लद्दाख में कई सप्ताह चले गतिरोध के बाद हुए 15 जून को हुए टकराव में कम से कम 20 भारतीय सैन्यकर्मियों की जान चली गई और अपुष्ट संख्या में चीनी जवान भी मारे गए.

प्रस्ताव में कहा गया है, 'चीन सरकार को भारत के साथ लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव कम करने की दिशा में बल प्रयोग के बजाए मौजूदा राजनयिक तंत्रों के माध्यम से काम करना चाहिए.

पढ़े : भारत के बाद चीन ने भी ठुकराया ट्रंप की मध्यस्थता का प्रस्ताव

भारत और चीन की सेना के बीच पैंगोंग सो, गलवान घाटी और गोगरा हॉट स्प्रिंग समेत पूर्वी लद्दाख के कई इलाकों में गतिरोध चल रहा है. पिछले महीने गलवान घाटी में झड़पों में 20 भारतीय सैन्यकर्मियों के शहीद होने के बाद हालात बिगड़ गए थे.

वाशिंगटन : अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने एक द्विदलीय प्रस्ताव पारित किया है, जिसमें चीन से अपील की गई है कि वह नियंत्रण रेखा के पास भारत के साथ शांतिपूर्ण तरीके से तनाव कम करे.

इस प्रस्ताव को मंगलवार को पारित किए जाने से पहले प्रतिनिधि सभा ने राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण अधिनियम (एनडीएए) में सर्वसम्मति से संशोधन पारित किया था, जिसमें गलवान घाटी में भारत के खिलाफ चीन की आक्रामकता और दक्षिण चीन सागर जैसे विवादित क्षेत्रों में उसके बढ़ते क्षेत्रीय दबावों की निंदा की गई है.

भारतीय-अमेरिकी सांसद राजा कृष्णमूर्ति के नेतृत्व में भारतीय अमेरिकी सांसद रो खन्ना, सांसदों फ्रैंक पैलोने, टो सुओजी, टेड योहो, जॉर्ज होल्डिंग, शीला जैक्सन-ली, हैली स्टीवन्स और स्टीव शैबेट ने यह प्रस्ताव पेश किया था. इसे वित्त वर्ष 2021 के लिए एनडीएए के साथ पारित किया गया. प्रस्ताव में भारत के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन की आक्रामकता की निंदा की गई है.

कृष्णमूर्ति ने एक बयान में कहा आज पारित किए गए विधेयक से सदन ने यह स्पष्ट द्विदलीय संदेश दिया है कि चीन सरकार को भारत के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांतिपूर्ण तरीके से तनाव कम करना चाहिए.

उन्होंने कहा भारत में चीनी सेना की उकसावे की कार्रवाई अस्वीकार्य है और सीमा पर गतिरोध के शांतिपूर्ण समाधान से भारत-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी.

कृष्णमूर्ति ने कहा कि इस प्रस्ताव को पारित करके प्रतिनिधि सभा ने चीनी सैन्य आक्रामकता के खिलाफ भारत जैसे सहयोगियों के साथ खड़े होने की अमेरिका की तत्परता पुन: दर्शाई है.

प्रस्ताव में कहा गया है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास 15 जून तक कई महीनों पहले से चीनी सैन्य बलों ने कथित रूप से 5,000 जवानों को एकत्र किया और वह बल प्रयोग एवं आक्रामकता के जरिए उन सीमाओं को बदलने की कोशिश कर रहा है जो काफी समय पहले ही तय की जा चुकी हैं.

प्रस्ताव में इस बात का जिक्र किया गया है कि भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास तनाव कम करने और बलों के पीछे हटने को लेकर सहमति बन गई है.

इसमें कहा गया है कि पूर्वी लद्दाख में कई सप्ताह चले गतिरोध के बाद हुए 15 जून को हुए टकराव में कम से कम 20 भारतीय सैन्यकर्मियों की जान चली गई और अपुष्ट संख्या में चीनी जवान भी मारे गए.

प्रस्ताव में कहा गया है, 'चीन सरकार को भारत के साथ लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव कम करने की दिशा में बल प्रयोग के बजाए मौजूदा राजनयिक तंत्रों के माध्यम से काम करना चाहिए.

पढ़े : भारत के बाद चीन ने भी ठुकराया ट्रंप की मध्यस्थता का प्रस्ताव

भारत और चीन की सेना के बीच पैंगोंग सो, गलवान घाटी और गोगरा हॉट स्प्रिंग समेत पूर्वी लद्दाख के कई इलाकों में गतिरोध चल रहा है. पिछले महीने गलवान घाटी में झड़पों में 20 भारतीय सैन्यकर्मियों के शहीद होने के बाद हालात बिगड़ गए थे.

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