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अमेरिकी सरकार ने तहव्वुर की रिहाई का विरोध किया, मुंबई हमले में है हाथ

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Published : Dec 1, 2020, 3:35 PM IST

अमेरिकी सरकार ने कैलिफोर्निया के एक संघीय न्यायालय में पाकिस्तानी मूल के कनाडाई कारोबारी तहव्वुर राणा की रिहाई के विरोध में एक प्रस्ताव पारित किया है.

तहाव्वुर राणा
तहाव्वुर राणा

वॉशिंगटन : अमेरिकी सरकार ने कैलिफोर्निया की फेडरल अदालत में अर्जी देकर 2008 के मुंबई आतंकवादी हमला मामले में भारत द्वारा भगोड़ा घोषित पाकिस्तानी मूल के कनाडाई व्यापारी तहव्वुर राणा की रिहाई का विरोध किया है और कहा है कि उसके देश छोड़कर भागने का खतरा है.

भारत ने राणा को 2008 में मुंबई में हुए आतंकवादी हमलों के मामले में भगोड़ा घोषित किया है.

डेविड कोलमैन हेडली के बचपन का दोस्त राणा (59) को 10 जून को लॉस एंजिलिस में फिर से गिरफ्तार किया गया था. उसे मुंबई हमलों में संलिप्तता के मामले में भारत के प्रत्यर्पण के अनुरोध पर पुन: गिरफ्तार किया गया. इन हमलों में छह अमेरिकियों समेत 166 लोगों की मौत हो गई थी.

अमेरिकी पुलिस ने राणा को पहली बार शिकागो ओहारे हवाईअड्डे पर हेडली की गिरफ्तारी के तुरंत बाद अक्टूबर 2009 में गिरफ्तार किया था.

लॉस एंजिलिस में अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट की जज जैक्लीन चेलोनियन ने 13 नवंबर को जारी अपने आदेश में कहा कि इस मामले में प्रत्यर्पण की सुनवाई 12 फरवरी, 2021 को सुबह 10 बजे होगी.

राणा के पास प्रत्यर्पण के अनुरोध के विरोध में याचिका दायर करने के लिए 21 दिसंबर तक का समय है. अमेरिकी सरकार के पास इसका उत्तर दायर करने के लिए एक और महीने का समय होगा.

अमेरिकी सरकार ने 28 सितंबर को अपने प्रस्ताव में राणा को भारत प्रत्यर्पित किए जाने का समर्थन किया था. भारत में उसके खिलाफ युद्ध छेड़ने, आतंकवादी गतिविधि को अंजाम देने, युद्ध छेड़ने का षड्यंत्र रचने और हत्या करने समेत कई मामलों में आरोप तय किए गए हैं.

राणा ने अपने बचाव में दलील दी थी कि अमेरिका का हेडली को भारत प्रत्यर्पित नहीं करने का फैसला असंगत है और यह उसके प्रत्यर्पण को रोकता है.

अमेरिका के अटॉर्नी निकोला टी हन्ना ने कहा कि अमेरिकी सरकार ने तर्क दिया कि हेडली ने आवश्यक शर्तें पूरी की थी.

उन्होंने कहा, राणा की स्थिति अलग है, क्योंकि उसने न तो अपराध स्वीकार किया और न ही अमेरिकी सरकार के साथ सहयोग किया, इसलिए उसे वह लाभ नहीं दिए जा सकते, जो हेडली को दिए गए. यह रुख न तो असंगत है और न ही उसके(राणा) प्रत्यर्पण को रोकता है.

पढ़ें :- ईरान के सैन्य परमाणु वैज्ञानिक सुपुर्द-ए-खाक

हन्ना ने कहा कि राणा के विपरीत हेडली ने अपने सभी आरोप तत्काल स्वीकार कर लिए थे.

पाकिस्तान में जन्में राणा ने वहां आर्मी मेडिकल कॉलेज से पढ़ाई पूरी की थी और उसने पाकिस्तानी सेना में करीब एक दशक तक चिकित्सक के रूप में सेवाएं दी थीं, लेकिन बाद में उसने इसे छोड़ दिया.

वह इस समय कनाडा का नागरिक है, लेकिन शिकागो में रहता था, जहां उसका कारोबार था.

अदालत में दायर दस्तावेजों के अनुसार वह कनाडा, पाकिस्तान, जर्मनी और ब्रिटेन में रहा और वह सात भाषाएं बोलता है.

मुंबई हमलों का अपराधी हेडली सरकारी गवाह बन गया था और इस समय अमेरिका में 35 साल जेल की सजा काट रहा है.

वॉशिंगटन : अमेरिकी सरकार ने कैलिफोर्निया की फेडरल अदालत में अर्जी देकर 2008 के मुंबई आतंकवादी हमला मामले में भारत द्वारा भगोड़ा घोषित पाकिस्तानी मूल के कनाडाई व्यापारी तहव्वुर राणा की रिहाई का विरोध किया है और कहा है कि उसके देश छोड़कर भागने का खतरा है.

भारत ने राणा को 2008 में मुंबई में हुए आतंकवादी हमलों के मामले में भगोड़ा घोषित किया है.

डेविड कोलमैन हेडली के बचपन का दोस्त राणा (59) को 10 जून को लॉस एंजिलिस में फिर से गिरफ्तार किया गया था. उसे मुंबई हमलों में संलिप्तता के मामले में भारत के प्रत्यर्पण के अनुरोध पर पुन: गिरफ्तार किया गया. इन हमलों में छह अमेरिकियों समेत 166 लोगों की मौत हो गई थी.

अमेरिकी पुलिस ने राणा को पहली बार शिकागो ओहारे हवाईअड्डे पर हेडली की गिरफ्तारी के तुरंत बाद अक्टूबर 2009 में गिरफ्तार किया था.

लॉस एंजिलिस में अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट की जज जैक्लीन चेलोनियन ने 13 नवंबर को जारी अपने आदेश में कहा कि इस मामले में प्रत्यर्पण की सुनवाई 12 फरवरी, 2021 को सुबह 10 बजे होगी.

राणा के पास प्रत्यर्पण के अनुरोध के विरोध में याचिका दायर करने के लिए 21 दिसंबर तक का समय है. अमेरिकी सरकार के पास इसका उत्तर दायर करने के लिए एक और महीने का समय होगा.

अमेरिकी सरकार ने 28 सितंबर को अपने प्रस्ताव में राणा को भारत प्रत्यर्पित किए जाने का समर्थन किया था. भारत में उसके खिलाफ युद्ध छेड़ने, आतंकवादी गतिविधि को अंजाम देने, युद्ध छेड़ने का षड्यंत्र रचने और हत्या करने समेत कई मामलों में आरोप तय किए गए हैं.

राणा ने अपने बचाव में दलील दी थी कि अमेरिका का हेडली को भारत प्रत्यर्पित नहीं करने का फैसला असंगत है और यह उसके प्रत्यर्पण को रोकता है.

अमेरिका के अटॉर्नी निकोला टी हन्ना ने कहा कि अमेरिकी सरकार ने तर्क दिया कि हेडली ने आवश्यक शर्तें पूरी की थी.

उन्होंने कहा, राणा की स्थिति अलग है, क्योंकि उसने न तो अपराध स्वीकार किया और न ही अमेरिकी सरकार के साथ सहयोग किया, इसलिए उसे वह लाभ नहीं दिए जा सकते, जो हेडली को दिए गए. यह रुख न तो असंगत है और न ही उसके(राणा) प्रत्यर्पण को रोकता है.

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हन्ना ने कहा कि राणा के विपरीत हेडली ने अपने सभी आरोप तत्काल स्वीकार कर लिए थे.

पाकिस्तान में जन्में राणा ने वहां आर्मी मेडिकल कॉलेज से पढ़ाई पूरी की थी और उसने पाकिस्तानी सेना में करीब एक दशक तक चिकित्सक के रूप में सेवाएं दी थीं, लेकिन बाद में उसने इसे छोड़ दिया.

वह इस समय कनाडा का नागरिक है, लेकिन शिकागो में रहता था, जहां उसका कारोबार था.

अदालत में दायर दस्तावेजों के अनुसार वह कनाडा, पाकिस्तान, जर्मनी और ब्रिटेन में रहा और वह सात भाषाएं बोलता है.

मुंबई हमलों का अपराधी हेडली सरकारी गवाह बन गया था और इस समय अमेरिका में 35 साल जेल की सजा काट रहा है.

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