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अमेरिका ने ताइवान को हथियारों की ब्रिकी के संबंध में घोषणा की - 2.37 अरब डॉलर की ब्रिकी के संबंध में घोषणा की

अमेरिका ने ताइवान को चीन तक मार करने वाली घातक म‍िसाइलें देने जा रहा है. अमेरिका के व‍िदेश मंत्रालय ने कहा है क‍ि वह ताइवान को घातक हार्पून म‍िसाइलें देने जा रहा है.

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ब्रिकी के संबंध में घोषणा की
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Published : Oct 27, 2020, 1:07 PM IST

वॉशिंगटन: अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाले प्रशासन ने ताइवान को 2.37 अरब डॉलर में हार्पून मिसाइल प्रणालियों की बिक्री संबंधी योजना के बारे में सोमवार को अधिसूचित किया. इससे कुछ ही घंटों पहले चीन ने बोइंग समेत अमेरिकी रक्षा कंपनियों पर प्रतिबंधों की घोषणा की थी. हार्पून सौदे में बोइंग मुख्य ठेकेदार कंपनी है.

विदेश मंत्रालय ने कहा कि ताइवान जलडमरूमध्य में शांति और स्थिरता कायम रहने में अमेरिका का हित है. अमेरिका ताइवान की सुरक्षा को सीमावर्ती हिंद-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता के लिए अहम मानता है. उन्होंने कहा कि इस बिक्री से क्षेत्र में सैन्य संतुलन नहीं बदलेगा. हार्पून मिसाइल पोतों और भूमि पर लक्ष्यों पर हमला करने में सक्षम है.

500 पाउंड आयुध ले जाने में सक्षम है मिसाइल
बोइंग ने कहा कि यह मिसाइल 500 पाउंड आयुध ले जाने में सक्षम है. यह तटीय रक्षा स्थलों, सतह से वायु पर मिसाइल स्थलों, विमानों, बंदरगाहों में पोतों, बंदरगाहों और औद्योगिक केंद्रों पर निशाना साधने में सक्षम है. इससे पहले, चीन ने सोमवार को कहा था कि वह ताइवान को हथियारों की आपूर्ति करने के कारण बोइंग और लॉकहीड मार्टिन समेत शीर्ष अमेरिकी रक्षा कंपनियों पर प्रतिबंध लगाएगा.

पढ़ें: भारत, अमेरिका ने साझा चिंता और हितों के मुद्दों पर चर्चा की

हथियारों की बिक्री में शामिल अमेरिकी कंपनियों पर पाबंदी
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा था कि चीन कई मौकों पर कह चुका है कि ताइवान को अमेरिकी हथियारों की बिक्री करना 'चीनी नीति' की अवहेलना करने के साथ ही संप्रभुता और सुरक्षा हितों को धता बताना है. हम इसकी कड़ी भर्त्सना करते हैं. उन्होंने कहा था कि अपने हितों की रक्षा के लिए हमने जरूरी कदम उठाने का फैसला किया है. हम हथियारों की बिक्री में शामिल अमेरिकी कंपनियों पर पाबंदी लगाएंगे.

चीन की आक्रमण धमकी
उन्होंने कहा था कि जिन कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया जाएगा, उनमें बोइंग, लॉकहिड मार्टिन और रेथियॉन भी शामिल हैं. चीन और ताइवान 1949 के गृहयुद्ध में विभाजित हो गए थे और उनमें कोई कूटनीतिक रिश्ता नहीं है. चीन दावा करता है कि लोकतांत्रिक नेतृत्व वाला द्वीप उसके मुख्य भू-भाग का हिस्सा है. चीन उस पर आक्रमण की धमकी देता रहता है.

वॉशिंगटन: अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाले प्रशासन ने ताइवान को 2.37 अरब डॉलर में हार्पून मिसाइल प्रणालियों की बिक्री संबंधी योजना के बारे में सोमवार को अधिसूचित किया. इससे कुछ ही घंटों पहले चीन ने बोइंग समेत अमेरिकी रक्षा कंपनियों पर प्रतिबंधों की घोषणा की थी. हार्पून सौदे में बोइंग मुख्य ठेकेदार कंपनी है.

विदेश मंत्रालय ने कहा कि ताइवान जलडमरूमध्य में शांति और स्थिरता कायम रहने में अमेरिका का हित है. अमेरिका ताइवान की सुरक्षा को सीमावर्ती हिंद-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता के लिए अहम मानता है. उन्होंने कहा कि इस बिक्री से क्षेत्र में सैन्य संतुलन नहीं बदलेगा. हार्पून मिसाइल पोतों और भूमि पर लक्ष्यों पर हमला करने में सक्षम है.

500 पाउंड आयुध ले जाने में सक्षम है मिसाइल
बोइंग ने कहा कि यह मिसाइल 500 पाउंड आयुध ले जाने में सक्षम है. यह तटीय रक्षा स्थलों, सतह से वायु पर मिसाइल स्थलों, विमानों, बंदरगाहों में पोतों, बंदरगाहों और औद्योगिक केंद्रों पर निशाना साधने में सक्षम है. इससे पहले, चीन ने सोमवार को कहा था कि वह ताइवान को हथियारों की आपूर्ति करने के कारण बोइंग और लॉकहीड मार्टिन समेत शीर्ष अमेरिकी रक्षा कंपनियों पर प्रतिबंध लगाएगा.

पढ़ें: भारत, अमेरिका ने साझा चिंता और हितों के मुद्दों पर चर्चा की

हथियारों की बिक्री में शामिल अमेरिकी कंपनियों पर पाबंदी
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा था कि चीन कई मौकों पर कह चुका है कि ताइवान को अमेरिकी हथियारों की बिक्री करना 'चीनी नीति' की अवहेलना करने के साथ ही संप्रभुता और सुरक्षा हितों को धता बताना है. हम इसकी कड़ी भर्त्सना करते हैं. उन्होंने कहा था कि अपने हितों की रक्षा के लिए हमने जरूरी कदम उठाने का फैसला किया है. हम हथियारों की बिक्री में शामिल अमेरिकी कंपनियों पर पाबंदी लगाएंगे.

चीन की आक्रमण धमकी
उन्होंने कहा था कि जिन कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया जाएगा, उनमें बोइंग, लॉकहिड मार्टिन और रेथियॉन भी शामिल हैं. चीन और ताइवान 1949 के गृहयुद्ध में विभाजित हो गए थे और उनमें कोई कूटनीतिक रिश्ता नहीं है. चीन दावा करता है कि लोकतांत्रिक नेतृत्व वाला द्वीप उसके मुख्य भू-भाग का हिस्सा है. चीन उस पर आक्रमण की धमकी देता रहता है.

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