वॉशिंगटनः अमेरिकी कांग्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान के सुरक्षा बलों ने इमरान खान का समर्थन किया. साथ ही रिपोर्ट में कहा गया है कि 2018 के चुनावों से पहले और उस दौरान देश की घरेलू राजनीति में पर्दे के पीछे से हस्तक्षेप किया जिसका एकमात्र उद्देश्य नवाज शरीफ और उनकी पार्टी पीएमएल-एन को सत्ता से हटाना था.
द्विदलीय कांग्रेशनल रिसर्च सर्विस (सीआरएस) द्वारा अमेरिकी सांसदों के लिए तैयार रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रधानमंत्री पद का चुनाव जीतने से पहले खान को शासन का कोई अनुभव नहीं था और विश्लेषकों का कहना है कि पाकिस्तान की सुरक्षा सेवाओं ने नवाज शरीफ को हटाने के लिए चुनाव के दौरान घरेलू राजनीति से छेड़छाड़ की.
रिपोर्ट में कहा गया है कि कई विश्लेषकों का कहना है कि पाकिस्तान के सुरक्षा बलों ने देश की घरेलू राजनीति में पर्दे के पीछे से हस्तक्षेप किया जिसका मुख्य उद्देश्य शरीफ को सत्ता से हटाना था और उनकी पार्टी को कमजोर करना था.
इसने कहा, चुनाव पर्यवेक्षकों और मानवाधिकार समूहों ने बयान जारी कर लोकतांत्रिक नियमों के गंभीर दुरूपयोग की ओर इशारा किया और प्रतिबंधित इस्लामी आतंकवादी समूहों के साथ संबंध रखने वाले छोटे दलों की अभूतपूर्व भागीदारी देखी गई जिससे आतंकवादियों के हौसले बढ़े.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के तौर पर इमरान खान के कार्यकाल में पाकिस्तानी सेना देश की विदेश और सुरक्षा नीतियों पर हावी रही है.
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रिपोर्ट में कहा गया है कि 'नया पाकिस्तान' संबंधी खान की सोच कई युवाओं, शहरी लोगों और मध्यम वर्ग के मतदाताओं को लुभाती है. उनकी यह सोच भ्रष्टाचार विरोधी, बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने वाले एक 'कल्याणकारी देश' के निर्माण पर जोर देती है, लेकिन देश में गंभीर वित्तीय संकट और विदेश से और उधार लेने की आवश्यकता के कारण उनके प्रयास रंग नहीं ला रहे हैं.
रिपोर्ट ने कहा, अधिकतर विश्लेषकों को लगता है कि पाकिस्तान का सैन्य प्रतिष्ठान विदेश और सुरक्षा नीतियों पर लगातार हावी हो रहा है.
सीआरएस अमेरिकी कांग्रेस की एक स्वतंत्र अनुसंधान शाखा है जो सांसदों के लिए रिपोर्ट तैयार करती है.
सीआरएस के अनुसार कई विश्लेषकों का दावा है कि पाकिस्तान की सुरक्षा सेवाओं ने नवाज शरीफ को सत्ता से हटाने और उनकी पार्टी को कमजोर करने के मकसद से चुनाव के दौरान और उससे पहले देश की घरेलू राजनीति से छेड़छाड़ की. खान की पार्टी का समर्थन करने के लिए कथित रूप से सेना न्यायपालिका ने साठगांठ की.