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बैसाखी के महत्व और अंबेडकर के सम्मान में अमेरिकी संसद में प्रस्ताव पेश - भारतीय संविधान के निर्माता भीमराव अंबेडकर की 130वीं जयंती

अमेरिकी संसद कांग्रेस में 'बैसाखी' के महत्व और डॉ. भीमराव अंबेडकर के सम्मान में प्रस्ताव पेश किया. सांसद जॉन गारामेंडी ने सदन में बैसाखी प्रस्ताव को पेश करने के दौरान कहा कि यह बैसाखी के त्योहार की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्ता को स्वीकार करता है. वहीं, भारतीय-मूल के सांसद रो खन्ना ने भीमराव अंबेडकर की जयंती के अवसर पर उनके सम्मान में लगातार दूसरे वर्ष एक प्रस्ताव पेश किया.

बैसाखी के महत्व
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Published : Apr 15, 2021, 1:19 PM IST

वॉशिंगटन : अमेरिका के एक सांसद ने 'बैसाखी' के त्योहार के महत्व को मान्यता देने और इसको मनाने वालों के लिए प्रतिनिधि सभा में एक प्रस्ताव पेश किया. सांसद जॉन गारामेंडी ने सदन में बैसाखी प्रस्ताव को फिर से पेश करने के दौरान कहा, यह प्रस्ताव बैसाखी के त्योहार की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्ता को स्वीकार करता है.

बैसाखी या वैशाखी सिखों, हिंदुओं और बौद्ध धर्म के लोगों के लिए वसंत ऋतु की फसल कटाई का त्योहार है. यह सिखों का नव वर्ष भी होता है और 1699 में गुरु गोविंद सिंह द्वारा खालसा पंथ की स्थापना किए जाने का भी स्मरण कराता है.

कैलिफोर्निया से कांग्रेस सदस्य गारामेंडी सदन के सिख कॉकस के सह-प्रमुख भी हैं. बता दें कि भारत इस वर्ष डॉ अंबेडकर की 130वीं जयंती मना रहा है.

वहीं, भारतीय-मूल के अमेरिकी सांसद रो खन्ना ने भारतीय संविधान के निर्माता भीमराव अंबेडकर की 130वीं जयंती के अवसर पर उनके सम्मान में लगातार दूसरे वर्ष एक प्रस्ताव पेश किया. इसका लक्ष्य दुनिया भर के युवा नेताओं को अंबेडकर के, समानता के दृष्टिकोण से प्रेरित करना था.

यह भी पढ़ें- बाइडेन ने अफगानिस्तान के संदर्भ में कहा : अमेरिका की सबसे लंबी लड़ाई समाप्त करने का वक्त

प्रतिनिधि सभा में बुधवार को प्रस्ताव पेश करने के बाद खन्ना ने एक ट्वीट में कहा, अंबेडकर ऐसा भारत और अमेरिका चाहते थे, जहां हम सभी की गरिमा का सम्मान करें.

उन्होंने कहा, 'आज, मैं बी आर अंबेडकर को सम्मानित करने के लिए एक बार फिर अपना प्रस्ताव पेश कर रहा हूं, इस उम्मीद में कि दुनिया भर के युवा नेता उनके काम के बारे में पढ़ेंगे और समानता के उनके नजरिए से प्रेरित होंगे.

वॉशिंगटन : अमेरिका के एक सांसद ने 'बैसाखी' के त्योहार के महत्व को मान्यता देने और इसको मनाने वालों के लिए प्रतिनिधि सभा में एक प्रस्ताव पेश किया. सांसद जॉन गारामेंडी ने सदन में बैसाखी प्रस्ताव को फिर से पेश करने के दौरान कहा, यह प्रस्ताव बैसाखी के त्योहार की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्ता को स्वीकार करता है.

बैसाखी या वैशाखी सिखों, हिंदुओं और बौद्ध धर्म के लोगों के लिए वसंत ऋतु की फसल कटाई का त्योहार है. यह सिखों का नव वर्ष भी होता है और 1699 में गुरु गोविंद सिंह द्वारा खालसा पंथ की स्थापना किए जाने का भी स्मरण कराता है.

कैलिफोर्निया से कांग्रेस सदस्य गारामेंडी सदन के सिख कॉकस के सह-प्रमुख भी हैं. बता दें कि भारत इस वर्ष डॉ अंबेडकर की 130वीं जयंती मना रहा है.

वहीं, भारतीय-मूल के अमेरिकी सांसद रो खन्ना ने भारतीय संविधान के निर्माता भीमराव अंबेडकर की 130वीं जयंती के अवसर पर उनके सम्मान में लगातार दूसरे वर्ष एक प्रस्ताव पेश किया. इसका लक्ष्य दुनिया भर के युवा नेताओं को अंबेडकर के, समानता के दृष्टिकोण से प्रेरित करना था.

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प्रतिनिधि सभा में बुधवार को प्रस्ताव पेश करने के बाद खन्ना ने एक ट्वीट में कहा, अंबेडकर ऐसा भारत और अमेरिका चाहते थे, जहां हम सभी की गरिमा का सम्मान करें.

उन्होंने कहा, 'आज, मैं बी आर अंबेडकर को सम्मानित करने के लिए एक बार फिर अपना प्रस्ताव पेश कर रहा हूं, इस उम्मीद में कि दुनिया भर के युवा नेता उनके काम के बारे में पढ़ेंगे और समानता के उनके नजरिए से प्रेरित होंगे.

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