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कोविड-19 से बचाव करने वाले एंटीबॉडी की हुई पहचान

अमेरिका के मैसाचुसेट्स मेडिकल स्कूल यूनिवर्सिटी (यूएमएमएस) के अनुसंधानकर्ताओं ने सार्स-सीओवी-2 स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ प्रतिक्रिया करने वाले मानवीय मोनोक्लोनल एंटीबॉडी (एमएबी) का पता लगाया है. जो कोविड-19 के लिए जिम्मेदार सार्स सीओवी-2 संक्रमण से बचाव कर सकता है.

antibody for corona
एंटीबॉडी की हुई पहचान
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Published : Aug 25, 2020, 7:17 PM IST

वॉशिगंटन : वैज्ञानिकों ने मानव शरीर में पाए जाने वाले एक एंटीबॉडी की पहचान की है. जो कोविड-19 के लिए जिम्मेदार सार्स सीओवी-2 संक्रमण से बचाव कर सकता है.

र्सिटी (यूएमएमएस) के अनुसंधानकर्ताओं ने सार्स-सीओवी-2 स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ प्रतिक्रिया करने वाले मानवीय मोनोक्लोनल एंटीबॉडी (एमएबी) का पता लगाया है. जो श्वसन प्रणाली के म्यूकोसल (शरीर के आंतरिक अंगों को घेरे रहने वाली झिल्ली) उत्तकों पर एसीई 2 रिसेप्टर पर वायरस को बंधने से रोकता है.

मोनोक्लोनल एंटीबॉडी वह एंटीबॉडी है जो समान प्रतिरक्षा कोशिकाओं द्वारा बनाए जाते हैं और यह सभी कोशिकाएं विशिष्ट मूल कोशिका की क्लोन होती हैं. अध्ययन के मुताबिक इस त्वरित एवं महत्त्वपूर्ण खोज की उत्पत्ति 16 वर्ष पूर्व हुई थी जब यूएमएमएस के अनुसंधानकर्ताओं ने आईजीजी मोनोक्लोनल एंटीबॉडी विकसित की थी जो इसी तरह के वायरस सार्स के खिलाफ प्रभावी था.

जब सार्स-सीओवी-2 वायरस की पहचान की गई और यह फैलना शुरू हुआ तो अनुसंधानकर्ताओं ने महसूस किया कि पहला एमएबी इस नए संक्रमण में भी मदद कर सकता है. अनुसंधानकर्ताओं ने पुराने सार्स कार्यक्रम को फिर से जीवित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी, 16 साल पहले विकसित की गई जमी हुई कोशिकाओं को फिर से प्राप्त करना और उन्हें पिघलाना शुरू किया तथा यह निर्धारित करना शुरू किया कि एक नोवल कोरोना वायरस में जो काम आया वह दूसरे के लिए भी काम करता है या नहीं.

उन्होंने कहा कि भले ही दोनों कोरोना वायरस में 90 प्रतिशत तक समानता है, लेकिन मोनोक्लोनल एंटीबॉडी ने मौजूद कोरोना वायरस से बंधने की कोई क्षमता प्रदर्शित नहीं की है.

पढ़ें : कोविड -19 महामारी के बीच मिस्र पहुंचे एक लाख से ज्यादा पर्यटक

वॉशिगंटन : वैज्ञानिकों ने मानव शरीर में पाए जाने वाले एक एंटीबॉडी की पहचान की है. जो कोविड-19 के लिए जिम्मेदार सार्स सीओवी-2 संक्रमण से बचाव कर सकता है.

र्सिटी (यूएमएमएस) के अनुसंधानकर्ताओं ने सार्स-सीओवी-2 स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ प्रतिक्रिया करने वाले मानवीय मोनोक्लोनल एंटीबॉडी (एमएबी) का पता लगाया है. जो श्वसन प्रणाली के म्यूकोसल (शरीर के आंतरिक अंगों को घेरे रहने वाली झिल्ली) उत्तकों पर एसीई 2 रिसेप्टर पर वायरस को बंधने से रोकता है.

मोनोक्लोनल एंटीबॉडी वह एंटीबॉडी है जो समान प्रतिरक्षा कोशिकाओं द्वारा बनाए जाते हैं और यह सभी कोशिकाएं विशिष्ट मूल कोशिका की क्लोन होती हैं. अध्ययन के मुताबिक इस त्वरित एवं महत्त्वपूर्ण खोज की उत्पत्ति 16 वर्ष पूर्व हुई थी जब यूएमएमएस के अनुसंधानकर्ताओं ने आईजीजी मोनोक्लोनल एंटीबॉडी विकसित की थी जो इसी तरह के वायरस सार्स के खिलाफ प्रभावी था.

जब सार्स-सीओवी-2 वायरस की पहचान की गई और यह फैलना शुरू हुआ तो अनुसंधानकर्ताओं ने महसूस किया कि पहला एमएबी इस नए संक्रमण में भी मदद कर सकता है. अनुसंधानकर्ताओं ने पुराने सार्स कार्यक्रम को फिर से जीवित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी, 16 साल पहले विकसित की गई जमी हुई कोशिकाओं को फिर से प्राप्त करना और उन्हें पिघलाना शुरू किया तथा यह निर्धारित करना शुरू किया कि एक नोवल कोरोना वायरस में जो काम आया वह दूसरे के लिए भी काम करता है या नहीं.

उन्होंने कहा कि भले ही दोनों कोरोना वायरस में 90 प्रतिशत तक समानता है, लेकिन मोनोक्लोनल एंटीबॉडी ने मौजूद कोरोना वायरस से बंधने की कोई क्षमता प्रदर्शित नहीं की है.

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