ETV Bharat / international

पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मांगी मदद

author img

By

Published : Sep 3, 2021, 1:11 PM IST

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से उसके लिए त्रि-आयामी दृष्टिकोण अपनाने का आग्रह कर किया है. पढ़ें पूरी खबर...

संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के राजदूत मुनीर अकरम
संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के राजदूत मुनीर अकरम

संयुक्त राष्ट्र : अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से उसके लिए त्रि-आयामी दृष्टिकोण (three-pronged approach) अपनाने का आग्रह कर किया है. इसमें खाद्य संकट का सामना कर रहे 1.4 करोड़ लोगों को जल्द सहायता प्रदान करना, एक समावेशी सरकार को बढ़ावा देना और देश में सभी आतंकवादी संगठनों का खात्मा करने के लिए तालिबान के साथ काम करना शामिल है.

संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के राजदूत मुनीर अकरम ( Pakistan's ambassador to the United Nations, Munir Akram) ने बृहस्पतिवार एक साक्षात्कार में अफगानिस्तान में भविष्य में अंतरराष्ट्रीय भूमिका को लेकर अपनी सरकार के दृष्टिकोण को साझा किया. उन्होंने कहा कि तीन प्राथमिकताओं पर मिलकर काम करने के लिए पाकिस्तान उस क्षेत्र के देशों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ सम्पर्क में है.

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मानवीय सहायता सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए. उन्होंने अफगानिस्तान की सम्पत्ति को अमेरिका और अन्य द्वारा ज़ब्त करने के कदम को अनुपयोगी बताया, क्योंकि इससे तालिबान की खाद्य सामग्री खरीदने या तेल आयात करने के लिए डॉलर या विदेशी मुद्रा तक पहुंच समाप्त हो जाएगी.

अकरम ने आगाह किया, महंगाई बढ़ेगी. अफगानिस्ताान में कीमतें और बढ़ेंगी. गरीबी भी और बढ़ेगी. फिर आपको शरणार्थी संकट का सामना करना पड़ेगा, जिसका पश्चिम को डर है.

अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की रवानगी के बीच तालिबान ने देश पर कब्जा कर लिया था. कई अफगान लोगों ने आरोप लगाया है कि पाकिस्तान ने इस पूरी कार्रवाई में तालिबान की मदद की. लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि तालिबान पर पाकिस्तान के दबदबे को अक्सर बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है और अकरम ने इस तर्क से सहमत जतायी. उन्होंने कहा कि उनके देश के बारे में बढ़ा-चढ़ाकर बातें की जाती हैं, जबकि पाकिस्तान की, अपनी धरती पर मौजूद 30 लाख अफगान शरणार्थियों के प्रति काफी नरम नीति है.

पढ़ें : पाकिस्तान ने अफगानिस्तान से लगे प्रमुख सीमा पारगमन को बंद किया

उन्होंने कहा, हम दूसरों से बेहतर जानते हैं कि आप अफगान लोगों को कुछ भी करने के लिए मजबूर नहीं कर सकते और मुझे लगता है कि पिछले 40 वर्षों के अनुभव से पता चलता है कि वास्तव में बाहर से कोई भी अफगान लोगों को निर्देशित नहीं कर सकता है. उन्हें समझाया जा सकता है, उनसे बात की जा सकती है लेकिन अफगान लोगों पर दबाव बनाना काफी मुश्किल है.

(पीटीआई-भाषा)

संयुक्त राष्ट्र : अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से उसके लिए त्रि-आयामी दृष्टिकोण (three-pronged approach) अपनाने का आग्रह कर किया है. इसमें खाद्य संकट का सामना कर रहे 1.4 करोड़ लोगों को जल्द सहायता प्रदान करना, एक समावेशी सरकार को बढ़ावा देना और देश में सभी आतंकवादी संगठनों का खात्मा करने के लिए तालिबान के साथ काम करना शामिल है.

संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के राजदूत मुनीर अकरम ( Pakistan's ambassador to the United Nations, Munir Akram) ने बृहस्पतिवार एक साक्षात्कार में अफगानिस्तान में भविष्य में अंतरराष्ट्रीय भूमिका को लेकर अपनी सरकार के दृष्टिकोण को साझा किया. उन्होंने कहा कि तीन प्राथमिकताओं पर मिलकर काम करने के लिए पाकिस्तान उस क्षेत्र के देशों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ सम्पर्क में है.

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मानवीय सहायता सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए. उन्होंने अफगानिस्तान की सम्पत्ति को अमेरिका और अन्य द्वारा ज़ब्त करने के कदम को अनुपयोगी बताया, क्योंकि इससे तालिबान की खाद्य सामग्री खरीदने या तेल आयात करने के लिए डॉलर या विदेशी मुद्रा तक पहुंच समाप्त हो जाएगी.

अकरम ने आगाह किया, महंगाई बढ़ेगी. अफगानिस्ताान में कीमतें और बढ़ेंगी. गरीबी भी और बढ़ेगी. फिर आपको शरणार्थी संकट का सामना करना पड़ेगा, जिसका पश्चिम को डर है.

अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की रवानगी के बीच तालिबान ने देश पर कब्जा कर लिया था. कई अफगान लोगों ने आरोप लगाया है कि पाकिस्तान ने इस पूरी कार्रवाई में तालिबान की मदद की. लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि तालिबान पर पाकिस्तान के दबदबे को अक्सर बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है और अकरम ने इस तर्क से सहमत जतायी. उन्होंने कहा कि उनके देश के बारे में बढ़ा-चढ़ाकर बातें की जाती हैं, जबकि पाकिस्तान की, अपनी धरती पर मौजूद 30 लाख अफगान शरणार्थियों के प्रति काफी नरम नीति है.

पढ़ें : पाकिस्तान ने अफगानिस्तान से लगे प्रमुख सीमा पारगमन को बंद किया

उन्होंने कहा, हम दूसरों से बेहतर जानते हैं कि आप अफगान लोगों को कुछ भी करने के लिए मजबूर नहीं कर सकते और मुझे लगता है कि पिछले 40 वर्षों के अनुभव से पता चलता है कि वास्तव में बाहर से कोई भी अफगान लोगों को निर्देशित नहीं कर सकता है. उन्हें समझाया जा सकता है, उनसे बात की जा सकती है लेकिन अफगान लोगों पर दबाव बनाना काफी मुश्किल है.

(पीटीआई-भाषा)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.