बोस्टन : ट्रंप प्रशासन ने घोषणा की थी कि अगर कॉलेज में ऑनलाइन पढ़ाई करवाई जाती है तो अमेरिका विदेशी छात्रों को वीजा जारी नहीं करेगा और ऐसे छात्र पढ़ाई के लिए अमेरिका में नहीं रह सकेंगे.
ट्रंप प्रशासन के इस फैसले के खिलाफ खिलाफ हार्वर्ड विश्वविद्यालय और मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ने अदालत में याचिका दायर की है, जिसका समर्थन 200 से ज्यादा विश्वविद्यालय कर रहे हैं.
विश्वविद्यालयों का मानना है कि इस नए संशोधन से छात्रों का भविष्य असुरक्षित होगा और स्कूलों ने महीनों से जो योजनाएं तैयार की थीं, उस पर पुनर्विचार करना होगा.
बता दें कि आव्रजन एवं सीमा शुल्क प्रवर्तन (आईसीई) ने घोषणा की थी कि साल 2020 में ऑनलाइन चलने वाले स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र पूर्ण ऑनलाइन पाठ्यक्रम का लाभ लेकर अमेरिका में नहीं रह सकते हैं.
मैसाचुसेट्स ने कोलंबिया और 16 अन्य राज्यों के साथ मिलकर एक मुकदमा दायर किया. इसमें डेमोक्रेटिक अटॉर्नी जनरल ने साथ दिया. अन्य मुकदमे जॉन हॉपकिन्स विश्वविद्यालय और कैलिफोर्निया राज्य से भी दायर हुए हैं. कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय भी एक मुकदमा दायर करेगा.
मंगलवार को हार्वर्ड विश्वविद्यालय और एमआईटी द्वारा इस मामले में सुनवाई होगी. अगर न्यायाधीश इस संशोधन को पारित होने से नहीं रोकते हैं तो कॉलेजों के पास आईसीई को सूचित करने के लिए बुधवार तक का समय होगा कि वे पूरी तरह से ऑनलाइन पाठ्यक्रम शुरू कर रहे हैं या नहीं.
होमलैंड सिक्योरिटी और आईसीई विभाग ने अभी तक इस मामले में कोई जवाब नहीं दिया है.
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59 विश्वविद्यालयों द्वारा सोमवार को दायर रिपोर्ट में कहा गया है कि यह संशोधन देशभर के स्कूलों को कोरोना वायरस के खतरे के बावजूद खोलने और अंतरराष्ट्रीय छात्रों को देश छोड़ने के लिए मजबूर कर रहा है.
हार्वर्ड के सहित स्टैनफोर्ड और ड्यूक विश्वविद्यालयों और अन्य प्रतिष्ठित स्कूलों में सामूहिक रूप से 2,13,000 से अधिक विदेशी छात्र पढ़ते हैं. स्कूलों ने लिखा, 'यह छात्र हमारे संस्थानों के मुख्य सदस्य हैं. वे हमारी कक्षाओं, परिसरों और समुदायों में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं- ऐसे योगदान जिससे अमेरिका उच्च शिक्षा के मामले में दुनिया के शीर्ष पर रह सके.'