ह्यूस्टन : अमेरिका में कश्मीरी पंडितों ने कश्मीर घाटी में आतंकवादियों द्वारा नागरिकों की हालिया लक्षित हत्याओं की कड़ी निंदा की और भारत सरकार से अपनी कश्मीर नीति की समीक्षा करने की अपील की है.
साथ ही, यह भी कहा है कि यदि अल्पसंख्यक समुदाय घाटी में लौटना चाहते हैं तो उन्हें उपयुक्त सुरक्षा भी मुहैया कराई जाए.
पिछले पांच दिनों में कश्मीर घाटी में कम से कम सात लोगों की हत्या हुई है. उनमें से चार लोग अल्पसंख्यक समुदायों से थे.
अमेरिका में कश्मीरी पंडितों के सामाजिक-सांस्कृतिक संगठन कश्मीर ओवरसीज एसोसिएशन ने माखन लाल बिंदरू, वीरेंद्र पासवान और दो शिक्षकों--दीपक चंद मेहरा और सुपिंदर कौर की नृशंस हत्या को लेकर दुख तथा रोष प्रकट किया है.
एसोसिएशन प्रमुख डॉ अर्चना काकरू ने कहा, इन घटनाओं ने 1990 की दर्दनाक यादें ताजा कर दी हैं, जब समुदाय के सदस्य मारे जा रहे थे, महिलाओं से बलात्कार किया जा रहा था, बच्चे अनाथ हो रहे थे, जिसके परिणामस्वरूप चार लाख से अधिक लोग अपनी गरिमा बचाने के लिए पलायन कर गये.'
शावनी स्टेट यूनिवर्सिटी, ओहायो में भारतीय इतिहास की प्रोफेसर लावण्या वेमसानी ने कहा, 'सरकार को घाटी में, खासतौर पर गैर मुस्लिम अल्पसंख्यक के लिए अवश्य ही सुरक्षा बढ़ानी चाहिए.'
केमिकल्स इंक के प्रमुख एवं संस्थापक डॉ अशोक मोजा ने कहा, 'हालिया हत्याएं यह स्पष्ट रूप से याद दिलाती हैं कि सामान्य रूप से गैर मुस्लिम और विशेष रूप से कश्मीरी पंडित घाटी में असुरक्षित हैं.'
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हालिया हत्याओं पर बोस्टन में सांस्कृतिक कार्यकर्ता संजय कौल ने कहा कि सरकार को अपनी कश्मीर नीति की अवश्य ही समीक्षा करनी चाहिए और समुदाय को सुरक्षा मुहैया करना चाहिए तथा उनकी विश्वास बहाली के लिए काम करना चाहिए.
(पीटीआई-भाषा)