वॉशिंगटन : भारतीय मूल की कमला हैरिस ने ऐतिहासिक शपथ ग्रहण समारोह के दौरान बुधवार को अमेरिका की पहली महिला उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली. हैरिस (56) अमेरिका की 49वीं उपराष्ट्रपति हैं. वह राष्ट्रपति जो बाइडेन (78) के साथ काम करेंगी.
कमला देवी हैरिस ने 61 वर्षीय माइक पेंस की जगह ली है, जबकि बाइडेन ने डोनाल्ड ट्रंप की जगह ली है.
चेन्नई निवासी प्रवासी भारतीय की बेटी हैरिस ने अमेरिका की पहली महिला उपराष्ट्रपति बनकर इतिहास रच दिया है. वह इस पद पर पहुंचने वाली पहली अश्वेत एवं पहली एशियाई अमेरिकी भी हैं.
उनके पति 56 वर्षीय डगलस एमहॉफ इसके साथ ही अमेरिका के पहले सेकेंड जेंटलमैन,बन गए हैं.
उच्चतम न्यायालय की न्यायाधीश न्यायमूर्ति सोनिया सोटोमेयर ने हैरिस को शपथ दिलाई.
हैरिस ने दो बाइबलों पर हाथ रखकर शपथ ली. इनमें से एक बाइबल पारिवारिक मित्र रेजिना शेल्टोन और दूसरी बाइबल उच्चतम न्यायालय के देश के पहले अफ्रीकी अमेरिकी न्यायाधीश थुर्गुड मार्शल से संबंधित थी.
हैरिस भारतीय मां और जमैका से ताल्लुक रखने वाले अफ्रीकी-अमेरिकी पिता की पुत्री हैं. वह 1964 में कैलिफोर्निया के ऑकलैंड में जन्मी थीं.
उनकी मां श्यामला गोपालन हैरिस चेन्नई से थीं. वह ब्रेस्ट कैंसर से जुड़ीं अनुसंधानकर्ता थीं जिनका निधन 2009 में कैंसर की वजह से हुआ था. हैरिस के पिता डोनाल्ड अर्थशास्त्र के जमैकियन-अमेरिकी प्रोफेसर हैं.
नवंबर में अपनी जीत के बाद ऐतिहासिक भाषण में हैरिस ने अपनी दिवंगत मां, जो नागरिक अधिकार कार्यकर्ता भी थीं, को याद करते हुए कहा था कि उन्होंने उनके राजनीतिक करियर में इस बड़े दिन के लिए उन्हें तैयार किया था.
उन्होंने यह भी कहा था कि वह उपराष्ट्रपति पद पर सत्तासीन होने वाली पहली महिला हो सकती हैं, लेकिन वह अंतिम नहीं होंगी.
हैरिस ने कई मिसालें कायम की हैं. वह सेन फ्रांसिस्को की डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी बनने वाली पहली महिला, पहली भारतवंशी और पहली अफ्रीकी अमेरिकी हैं.
राष्ट्रपति चुनाव के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से उम्मीदवार रहे जो बाइडेन ने अगस्त में उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार के रूप में हैरिस को चुना था.
अपने पूर्व प्रतिद्वंद्वी बाइडेन की किसी समय हैरिस कटु आलोचक रही हैं . 56 वर्षीय हैरिस सीनेट के तीन एशियाई अमेरिकी सदस्यों में से एक हैं.
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में वह ‘फीमेल ओबामा’ के नाम से लोकप्रिय थीं.
कमला देवी हैरिस की मां श्यामला गोपालन 1960 में भारत के तमिलनाडु से यूसी बर्कले पहुंची थीं, जबकि उनके पिता डोनाल्ड जे हैरिस 1961 में ब्रिटिश जमैका से इकोनॉमिक्स में स्नातक की पढ़ाई करने यूसी बर्कले आए थे. यहीं अध्ययन के दौरान दोनों की मुलाकात हुई और मानव अधिकार आंदोलनों में भाग लेने के दौरान उन्होंने विवाह करने का फैसला कर लिया.
हाईस्कूल के बाद हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने वाली कमला अभी सात ही बरस की थीं, जब उनके माता-पिता एक दूसरे से अलग हो गए. कमला और उनकी छोटी बहन माया अपनी मां के साथ रहीं और उन दोनों के जीवन पर मां का बहुत प्रभाव रहा.
हालांकि वह दौर अश्वेत लोगों के लिए सहज नहीं था. कमला और माया की परवरिश के दौरान उनकी मां ने दोनों को अपनी पृष्ठभूमि से जोड़े रखा और उन्हें अपनी साझा विरासत पर गर्व करना सिखाया. वह भारतीय संस्कृति से गहराई से जुड़ी रहीं. वह भारत में अपने नाना नानी के परिवार से मिलने अक्सर आती रहीं.
बाइडेन-हैरिस की प्रचार वेबसाइट पर इस संबंध में कमला ने अपनी आत्मकथा 'द ट्रुथ्स वी होल्ड' में लिखा है कि उनकी मां को पता था कि वह दो अश्वेत बेटियों का पालन पोषण कर रही हैं और उन्हें सदा अश्वेत के तौर पर ही देखा जाएगा, लेकिन उन्होंने अपनी बेटियों को ऐसे संस्कार दिए कि कैंसर अनुसंधानकर्ता और मानवाधिकार कार्यकर्ता श्यामला और उनकी दोनों बेटियों को ' श्यामला एंड द गर्ल्स' के नाम से जाना जाने लगा.
हार्वर्ड विश्वविद्यालय में अध्ययन के बाद हैरिस ने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की. 2003 में वह सेन फ्रांसिस्को की शीर्ष अभियोजक बनीं. 2010 में वह कैलिफोर्निया की अटॉर्नी बनने वाली पहली महिला और पहली अश्वेत व्यक्ति थीं. 2017 में हैरिस कैलिफोर्निया से जूनियर अमेरिकी सीनेटर चुनी गईं.
कमला ने 2014 में जब अपने साथी वकील डगलस एमहॉफ से विवाह किया तो वह भारतीय, अफ्रीकी और अमेरिकी परंपरा के साथ साथ यहूदी परंपरा से भी जुड़ गईं.