वॉशिंगटन : अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और इराकी प्रधानमंत्री मुस्तफा अल काज़िमी आज यह घोषणा कर सकते हैं कि इस साल के आखिर तक इराक में अमेरिकी सेना की लड़ाकू भूमिका खत्म हो जाएगा.
बाइडेन प्रशासन के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अमेरिकी सैन्य मिशन का मकसद इस्लामिक स्टेट (आईएस) को हराने में इराक की मदद करना था और साल के अंत तक उसकी भूमिका को इराकी सेना को सलाह और प्रशिक्षण देने में तब्दील कर दिया जाएगा.
उन्होंने बताया कि व्हाइट हाउस में सोमवार दोपहर को दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद इसकी घोषणा एक विज्ञप्ति में की जाएगी. अधिकारी ने कहा कि इराकी बलों ने अपने जौहर दिखाए हैं और साबित किया है कि वह अपने मुल्क की रक्षा करने में सक्षम हैं.
अधिकारी ने कहा कि फिर भी बाइडन प्रशासन का मानना है कि आईएस से अब भी काफी खतरा है. आईएस अब 2017 जितना ताकतवर नहीं है, लेकिन उसने दिखाया है कि वह ऐसे हमले कर सकता है जिसमें ज्यादा तादाद में लोग हताहत हों. पिछले हफ्ते, उसने बगदाद के एक बाजार में सड़क किनारे किए गए बम विस्फोट की जिम्मेदारी ली थी. जिसमें 30 लोगों की मौत हुई थी.
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अमेरिका और इराक अप्रैल में इस बात पर सहमत हो गए थे कि इराक में अमेरिका की भूमिका सैनिकों को सलाह देने और प्रशिक्षित करने की हो तथा वे लड़ाकू भूमिक में न रहे हालांकि इसकी कोई तारीख तय नहीं हो पाई थी. बहरहाल, यह घोषणा ऐसे समय में हो रही है जब इराक में 10 अक्टूबर को चुनाव होने हैं जिसके कुछ महीने ही बचे हैं.
अल-काज़िमी ने अमेरिका की यात्रा पर रवाना होने से पहले साफ किया था कि उनका मानना है कि वक्त आ गया है कि अमेरिका अपना लड़ाकू मिशन खत्म करे. उन्होंने कहा, इराकी धरती पर किसी विदेशी लड़ाकू बल की जरूरत नहीं है. इराक में पिछले साल के अंत से अमेरिकी सैनिकों की संख्या करीब 2500 है. जब तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बलों की संख्या को घटाकर तीन हजार करने का निर्देश दिया था.
(पीटीआई-भाषा)