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भारत-अमेरिका को जोड़ने वाली डोर गहरी और मजबूत : राजदूत संधू

अमेरिका में भारत के राजदूत तरनजीत सिंह संधू ने हार्वर्ड विश्वविद्यालय में प्रतिष्ठित 'किंग गांधी लेक्चर' में कहा कि भारत और अमेरिका को जोड़ने वाली डोर बहुत गहरी और मजबूत है. दोनों देश अपने नागरिकों के जीवन बेहतर एवं उज्ज्वल करने की लगातार कोशिश कर रहे हैं. पढ़ें पूरी खबर...

अमेरिका में भारत के राजदूत तरनजीत सिंह संधू
अमेरिका में भारत के राजदूत तरनजीत सिंह संधू
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Published : Oct 6, 2021, 5:35 PM IST

वॉशिंगटन : भारत के शीर्ष राजदूत ने कहा है कि भारत और अमेरिका को जोड़ने वाली डोर बहुत गहरी और मजबूत है. दोनों देश अपने नागरिकों के जीवन बेहतर एवं उज्ज्वल करने की लगातार कोशिश कर रहे हैं.

अमेरिका में भारत के राजदूत तरनजीत सिंह संधू ने यहां हार्वर्ड विश्वविद्यालय (Howard University) में प्रतिष्ठित 'किंग गांधी लेक्चर' (King Gandhi Lecture) पर व्याख्यान देते हुए कहा कि भारत और अमेरिका के संबंध लोकतंत्र, आजादी, अहिंसा और कानून के शासन जैसे मूल्यों पर आधारित हैं.

'भारत-अमेरिका को जोड़ने वाली डोर गहरी और मजबूत'

संधू ने कहा, जो डोर भारत और अमेरिका को जोड़ते हैं, वे बहुत गहरे और मजबूत हैं. लोकतंत्र, आजादी, अहिंसा और कानून के शासन के मूल्य, जिनपर हमें नाज है और जिन्हें हम संजोते-सहेजते हैं, ऐसी मजबूत नींव बनाते है जिस पर भारत और अमेरिका के संबंधों की इमारत टिकी है.

उन्होंने कहा कि भारत को जब आजादी नहीं मिली थी तब लाला लाजपत राय, सरोजनी नायडू, रवीन्द्र नाथ टैगोर, बी आर आंबेडबर समेत स्वतंत्रता आंदोलन के कई नेताओं ने हार्वर्ड सहित अमेरिका के कई विश्वविद्यालयों की यात्रा की थी.

भारतीय राजदूत ने कहा, हमने एक दूसरे के दृष्टिकोण को साझा किया और उन्हें आकार दिया. आप और मैं अपने-अपने संविधानों के प्रति निष्ठा रखते हैं, और दोनों संविधान हम लोग से शुरू होते हैं.

डॉ मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने 1963 और 1966 में हार्वर्ड विश्वविद्यालय में गांधी स्मारक व्याख्यान दिया था. हार्वर्ड विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ रिलीजन के डीन वीलियम स्टूअर्ट नीलसन ने 1958 में 'गांधी मेमोरियल लेक्चर' की शुरुआत की थी.

'भारत-अमेरिका के नेता एक-दूसरे से प्रभावित हुए'

अपने संबोधन में संधू ने कहा कि हार्वर्ड की कहानी अमेरिका के इतिहास से करीब से जुड़ी हुई है. उन्होंने याद किया कि किस प्रकार से भारत और अमेरिका के नेता एक-दूसरे के विचारों से प्रभावित हुए और उसका असर दोनों देशों पर कैसे प्रकार पड़ा.

उन्होंने कहा कि अहिंसा के सिद्धांत, सच के प्रति समर्पण जैसी अवधारणाएं गांधी के कार्यों के अहम पहलू हैं. अपने संबोधन में उन्होंने रेखांकित किया कि कैसे गांधी जी के सिद्धांतों ने विकास और समृद्धि के भारत के दृष्टिकोण को आकार दिया.

संधू ने कहा, महामारी ने दिखा दिया है कि हम किस प्रकार से आपस में जुड़े हुए हैं, हमारे जीवन कितने मिले हुए है. दुनिया एक है मजह एक हैशटैग नहीं है बल्कि आज की सच्चाई है. हमारा भविष्य इस पर निर्भर करेगा कि आज हम किस प्रकार से एक दूसरे के साथ पेश आते हैं और एक दूसरे से मिल कर काम करते हैं.

दोनों देश का नागरिकों के जीवन बेहतरी के लिए प्रयास

उन्होंने कहा, सबसे बड़े और सबसे पुराने लोकतंत्र तथा बहुलवादी समाज के तौर पर भारत और अमेरिका अपने नागरिकों के जीवन दिन-ब-दिन बेहतर और उज्ज्वल करने के प्रयासों में लगे हैं. ऐसा करने के दौरान हम ऐसी दुनिया बनाने की कोशिश कर रहे हैं जहां लोग ज्यादा स्वस्थ्य और खुशहाल हों.

उन्होंने कहा, अगर आप मुझसे पूछे कि गांधी और मार्टिन लूथ किंग का सबसे अहम योगदान क्या है तो मैं कहूंगा कि उन्होंने दुनिया को दिखाया कि व्यक्ति अपनी नियति निर्धारित कर सकता है, इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि मुश्किलें कितनी बड़ी हैं, चुनौतियां कितनी है, स्थितियां कितनी विपरीत हैं. ये बहुत शक्तिशाली संदेश है और लोगों को उम्मीद देती है.

पढ़ें : भारत-अमेरिका संबंधों में रणनीतिक समानता है : विशेषज्ञ

गौरतलब है कि हार्वर्ड विश्वविद्यालय वर्ष भर चलने वाले ‘भारत 2021-22' कार्यक्रम आयोजित कर रहा है,जिसमें कोलम की कला,महात्मा गांधी मेमोरियल के छात्रों की यात्रा और भारतीय दूतावास से सपर्क आदि शामिल है.

(पीटीआई-भाषा)

वॉशिंगटन : भारत के शीर्ष राजदूत ने कहा है कि भारत और अमेरिका को जोड़ने वाली डोर बहुत गहरी और मजबूत है. दोनों देश अपने नागरिकों के जीवन बेहतर एवं उज्ज्वल करने की लगातार कोशिश कर रहे हैं.

अमेरिका में भारत के राजदूत तरनजीत सिंह संधू ने यहां हार्वर्ड विश्वविद्यालय (Howard University) में प्रतिष्ठित 'किंग गांधी लेक्चर' (King Gandhi Lecture) पर व्याख्यान देते हुए कहा कि भारत और अमेरिका के संबंध लोकतंत्र, आजादी, अहिंसा और कानून के शासन जैसे मूल्यों पर आधारित हैं.

'भारत-अमेरिका को जोड़ने वाली डोर गहरी और मजबूत'

संधू ने कहा, जो डोर भारत और अमेरिका को जोड़ते हैं, वे बहुत गहरे और मजबूत हैं. लोकतंत्र, आजादी, अहिंसा और कानून के शासन के मूल्य, जिनपर हमें नाज है और जिन्हें हम संजोते-सहेजते हैं, ऐसी मजबूत नींव बनाते है जिस पर भारत और अमेरिका के संबंधों की इमारत टिकी है.

उन्होंने कहा कि भारत को जब आजादी नहीं मिली थी तब लाला लाजपत राय, सरोजनी नायडू, रवीन्द्र नाथ टैगोर, बी आर आंबेडबर समेत स्वतंत्रता आंदोलन के कई नेताओं ने हार्वर्ड सहित अमेरिका के कई विश्वविद्यालयों की यात्रा की थी.

भारतीय राजदूत ने कहा, हमने एक दूसरे के दृष्टिकोण को साझा किया और उन्हें आकार दिया. आप और मैं अपने-अपने संविधानों के प्रति निष्ठा रखते हैं, और दोनों संविधान हम लोग से शुरू होते हैं.

डॉ मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने 1963 और 1966 में हार्वर्ड विश्वविद्यालय में गांधी स्मारक व्याख्यान दिया था. हार्वर्ड विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ रिलीजन के डीन वीलियम स्टूअर्ट नीलसन ने 1958 में 'गांधी मेमोरियल लेक्चर' की शुरुआत की थी.

'भारत-अमेरिका के नेता एक-दूसरे से प्रभावित हुए'

अपने संबोधन में संधू ने कहा कि हार्वर्ड की कहानी अमेरिका के इतिहास से करीब से जुड़ी हुई है. उन्होंने याद किया कि किस प्रकार से भारत और अमेरिका के नेता एक-दूसरे के विचारों से प्रभावित हुए और उसका असर दोनों देशों पर कैसे प्रकार पड़ा.

उन्होंने कहा कि अहिंसा के सिद्धांत, सच के प्रति समर्पण जैसी अवधारणाएं गांधी के कार्यों के अहम पहलू हैं. अपने संबोधन में उन्होंने रेखांकित किया कि कैसे गांधी जी के सिद्धांतों ने विकास और समृद्धि के भारत के दृष्टिकोण को आकार दिया.

संधू ने कहा, महामारी ने दिखा दिया है कि हम किस प्रकार से आपस में जुड़े हुए हैं, हमारे जीवन कितने मिले हुए है. दुनिया एक है मजह एक हैशटैग नहीं है बल्कि आज की सच्चाई है. हमारा भविष्य इस पर निर्भर करेगा कि आज हम किस प्रकार से एक दूसरे के साथ पेश आते हैं और एक दूसरे से मिल कर काम करते हैं.

दोनों देश का नागरिकों के जीवन बेहतरी के लिए प्रयास

उन्होंने कहा, सबसे बड़े और सबसे पुराने लोकतंत्र तथा बहुलवादी समाज के तौर पर भारत और अमेरिका अपने नागरिकों के जीवन दिन-ब-दिन बेहतर और उज्ज्वल करने के प्रयासों में लगे हैं. ऐसा करने के दौरान हम ऐसी दुनिया बनाने की कोशिश कर रहे हैं जहां लोग ज्यादा स्वस्थ्य और खुशहाल हों.

उन्होंने कहा, अगर आप मुझसे पूछे कि गांधी और मार्टिन लूथ किंग का सबसे अहम योगदान क्या है तो मैं कहूंगा कि उन्होंने दुनिया को दिखाया कि व्यक्ति अपनी नियति निर्धारित कर सकता है, इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि मुश्किलें कितनी बड़ी हैं, चुनौतियां कितनी है, स्थितियां कितनी विपरीत हैं. ये बहुत शक्तिशाली संदेश है और लोगों को उम्मीद देती है.

पढ़ें : भारत-अमेरिका संबंधों में रणनीतिक समानता है : विशेषज्ञ

गौरतलब है कि हार्वर्ड विश्वविद्यालय वर्ष भर चलने वाले ‘भारत 2021-22' कार्यक्रम आयोजित कर रहा है,जिसमें कोलम की कला,महात्मा गांधी मेमोरियल के छात्रों की यात्रा और भारतीय दूतावास से सपर्क आदि शामिल है.

(पीटीआई-भाषा)

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