नई दिल्ली: खालिस्तान समर्थक अलगाववादी समूह सिख फॉर जस्टिस (SFJ) ने आगामी गणतंत्र दिवस और प्रयागराज में महाकुंभ मेले को बाधित करने की धमकी देने वाला वीडियो जारी किया है. इस धमकी के बाद राष्ट्रीय राजधानी में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है. इंडिया गेट पर एसएफजे सदस्य के राष्ट्रविरोधी नारे लगाने के बाद सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट मोड पर आ गई है.
एसएफजे ने वीडियो फुटेज जारी किया है जिसमें खालिस्तान समर्थक कार्यकर्ता इंडिया गेट के सामने राष्ट्रविरोधी नारे लगाते हुए पाया गया. वीडियो में उसे गणतंत्र दिवस से पहले दिल्ली जंक्शन रेलवे स्टेशन पर खालिस्तान का झंडा फहराते हुए भी दिखाया गया है.
वीडियो संदेश में एसएफजे प्रमुख और खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने दावा किया कि, खालिस्तानी निगरानीकर्ताओं का एक दस्ता गणतंत्र दिवस के लिए पहले से ही दिल्ली में तैनात है, जबकि दूसरा महाकुंभ को निशाना बनाने के लिए प्रयागराज जा रहा है.
पन्नू ने जारी वीडियो में दावा करते हुए कहा, "26 जनवरी से 26 फरवरी तक एसएफजे गणतंत्र दिवस और महाकुंभ को बाधित करेगा. खालिस्तान का झंडा फहराया जाएगा..." इस धमकी भरे वीडिया के बाद एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि, दिल्ली पुलिस शांतिपूर्ण गणतंत्र दिवस समारोह सुनिश्चित करने के लिए सभी एहतियाती कदम उठा रही है. अधिकारी ने कहा कि, मामले की जांच तेज कर दी गई है.
एसएफजे के इस धमकी भरे वीडियो जारी होने के बाद दिल्ली में आने-जाने के सभी एंट्री और एक्जिट स्थानों पर जांच तेज कर दी गई है. अधिकारी ने बताया कि, गणतंत्र दिवस परेड के मार्ग पर बम निरोधक दस्ते की मदद से अधिक वाले इलाकों का सर्वेक्षण किया जा रहा है. गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने हाल ही मं दिल्ली और पड़ोसी राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक हाई लेवल मीटिंग की है. बैठक में मुख्य रूप से संदिग्ध तत्वों के मूवमेंट पर लगाम लगाने के लिए सीमाओं को सील किए जाने के मुद्दे पर चर्चा हुई.
एसएफजे प्रमुख और खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू को 2020 में गृह मंत्रालय द्वारा देशद्रोह और अलगाववाद के आरोप में आतंकवादी घोषित किया गया था. उस पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने आपराधिक साजिश रचने, धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत विभिन्न अपराधों का आरोप लगाया था.
भारत ने एसएफजे को 'राष्ट्र-विरोधी और विध्वंसक' गतिविधियों में शामिल होने के लिए 'गैरकानूनी संगठन' के रूप में प्रतिबंधित कर दिया. जनवरी के पहले सप्ताह में, दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस अनूप कुमार मेंदीरत्ता की अध्यक्षता में एक गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) न्यायाधिकरण ने सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) को पांच साल के लिए एक गैरकानूनी संगठन घोषित किया.
न्यायाधिकरण ने फैसला सुनाया कि केंद्र द्वारा दिए गए सबूतों से एसएफजे के बब्बर खालसा इंटरनेशनल और खालिस्तान टाइगर फोर्स जैसे खालिस्तानी आतंकवादी समूहों के साथ संबंध स्थापित हुए हैं. साथ ही पंजाब में उग्रवाद को पुनर्जीवित करने के लिए पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के साथ इसका सहयोग भी स्थापित हुआ है.
साक्ष्यों की जांच के बाद न्यायाधिकरण ने पाया कि एसएफजे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग करके युवाओं की भर्ती और उन्हें कट्टरपंथी बनाने, हथियार और विस्फोटक खरीदने के लिए तस्करी नेटवर्क के माध्यम से आतंकवाद को वित्तपोषित करने और राजनीतिक हस्तियों को मौत की धमकी देने में संलिप्त है.
ये भी पढ़ें: आतंकी पन्नू की हत्या की साजिश मामले में आरोपी पर कार्रवाई की सिफारिश