संयुक्त राष्ट्र : भारत ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन 'हरित ऊर्जा कूटनीति' के नए युग की शुरुआत करेगा और उसने इस वैश्विक पहल के लिए पर्यवेक्षक का दर्जा हासिल करने के वास्ते संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक प्रस्ताव का मसौदा पेश किया, जिससे आईएसए और संयुक्त राष्ट्र के बीच नियमित सहयोग मुहैया कराने में मदद मिलेगी. वैश्विक ऊर्जा वृद्धि और विकास में लाभ मिलेगा.
भारत और फ्रांस ने पेरिस में जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में 2015 में आईएसए संयुक्त रूप से शुरू किया था. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने शुक्रवार को कहा, 'भारत और फ्रांस की ओर से अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन के लिए पर्यवेक्षक का दर्जा देने का अनुरोध करने के लिए प्रस्ताव का मसौदा पेश करना मेरे लिए गर्व की बात है.'
तिरुमूर्ति ने महासभा में कहा, 'सौर ऊर्जा स्थापित करने के जरिए उचित और समान ऊर्जा समाधान करने के अपने प्रयासों के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन से हरित ऊर्जा कूटनीति का नया युग शुरू होने की उम्मीद है.'
उन्होंने कहा कि महासभा में आईएसए को पर्यवेक्षक का दर्जा देने से गठबंधन और संयुक्त राष्ट्र के बीच नियमित और अच्छी तरह परिभाषित सहयोग मुहैया होगा, जिससे वैश्विक ऊर्जा वृद्धि और विकास को लाभ मिलेगा.
इस प्रस्ताव के सह-प्रायोजक देशों में अल्जीरिया, ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, कम्बोडिया, कनाडा, चिली, क्यूबा, डेनमार्क, मिस्र, फिजी, फिनलैंड, आयरलैंड, इटली, जापान, मालदीव, मॉरिशस, म्यांमा, न्यूजीलैंड, ओमान, सेंट विन्सेंट और ग्रेनेडाइंस, सऊदी अरब, त्रिनिदाद और टोबैगो, संयुक्त अरब अमीरात तथा ब्रिटेन शामिल हैं.
पढ़ें- संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में भारत और अमेरिका समेत 18 देशों ने निर्विरोध सीट जीतीं
तिरुमूर्ति ने कहा कि आईएसए 'प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण', 'सौर ऊर्जा के भंडारण' और सदस्य देशों को वित्तीय सहायता देने जैसे कुछ सवालों को हल करने की ओर बड़ा कदम उठा रहा है.
(पीटीआई-भाषा)