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कोविड-19 से निपटने के प्रयासों में सेना समेत सभी संसाधनों को लगाए भारत : फाउची - दूसरी लहर

अमेरिका के शीर्ष स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. एंथनी फाउची ने कोविड-19 की दूसरी लहर से बुरी तरह प्रभावित हुए भारत में हालात को अत्यंत निराशाजनक करार दिया. उन्होंने भारत सरकार को अस्थायी फील्ड अस्पताल बनाने के लिए सैन्य बलों समेत सभी संसाधनों का इस्तेमाल करने की सलाह दी है.

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Published : May 5, 2021, 2:07 AM IST

वॉशिंगटन : फाउची ने अन्य देशों से भी अपील की है कि वे भारत की मदद के लिए केवल सामग्री ही नहीं बल्कि कर्मी भी मुहैया कराएं. वाशिंगटन स्थित संवाददाता को डॉ. फाउची द्वारा दिए गए साक्षात्कार के अंश इस प्रकार हैं.

प्रश्न: भारत में इस समय हालात को लेकर आपका आकलन क्या है?

फाउची : यह साफ है कि भारत में हालात अत्यंत गंभीर हैं. मेरा कहने का मतलब है कि वहां संक्रमण की दर बहुत अधिक है. जब लोग इतनी अधिक संख्या में संक्रमित हो रहे हों, हर किसी की पर्याप्त देखभाल न हो पा रही हो, अस्पतालों में बिस्तरों, ऑक्सीजन और अन्य चिकित्सा सामान की कमी हो तो यह बेहद निराशाजनक स्थिति बन जाती है. इसे देखते हुए हमें लगता है कि पूरी दुनिया को हरंसभव तरीके से मदद करनी चाहिए. भारत स्वयं भी ऐसे कदम उठा सकता है, जिनसे इस अत्यंत अप्रत्याशित स्थिति से निपटा जा सकता है.

प्रश्न: तो अब दो प्रश्न हैं. पहला यह कि दुनिया इस समय कैसे भारत की मदद कर सकती है और दूसरा प्रश्न यह है कि भारत को इस स्थिति से युद्ध स्तर पर निपटने के लिए क्या करना चाहिए?

फाउची : मुझे लगता है कि दुनिया के अन्य देश सामग्री एवं कर्मी मुहैया कराके भारत की मदद कर सकते हैं लेकिन उन्हें निश्चित ही ऐसी सामग्री मुहैया करानी चाहिए जिसकी भारत को इस स्थिति से निपटने के लिए आवश्यकता है. जैसे कि अमेरिका 1000 ऑक्सीजन सिलेंडरों की प्रारंभिक आपूर्ति के साथ ऑक्सीजन मुहैया करा रहा है.

वह ऑक्सीजन सांद्रक एवं ऑक्सीजन का उत्पादन करने वाली इकाइयां भी उपलब्ध करा रहा है. अमेरिका भारत को निजी सुरक्षा उपकरण भी मुहैया करा रहा है. वह भारत को उन चीजों की भी आपूर्ति कर रहा रहा है जो उसे टीकों का स्वयं उत्पादन करने के लिए चाहिए. अमेरिका त्वरित जांच किट भी भेज रहा है. हम लाखों की संख्या में ये सामग्रियां भेज रहे हैं.

हम रेमडेसिविर दवा भी भेज रहे है. हम टीकाकरण के लिए महामारी विज्ञान निगरानी के क्षेत्र में हमारे सीडीसी विशेषज्ञों एवं भारत के विशेषज्ञों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. इस समय अन्य देशों में भी आपात स्थिति है. भारत संक्रमण के कारण इस समय अत्यधिक दबाव में है तो ऐसे में दुनिया के अन्य देशों को अमेरिका की तरह उसकी मदद करनी चाहिए. मैं दूसरा प्रश्न भूल गया.

प्रश्न : भारत को इससे निपटने के लिए क्या कदम उठाने चाहिए?

फाउची : हां आप जानते हैं कि मैंने कुछ दिन पहले भी एक अन्य संस्थान के साथ बातचीत में इसका जिक्र किया था. इसलिए मैं आपके लिए इसे दोहरा रहा हूं. मेरा मतलब है कि कुछ चीजें तत्काल की जा सकती हैं. कुछ कदम मध्यम अवधि और कुछ दीर्घ अवधि के लिए उठाए जा सकते हैं.

सबसे पहले अभी उन्हें ज्यादा से ज्यादा लोगों को टीका लगाना शुरू करना चाहिए. चाहे वे उनके द्वारा विकसित टीके हों या रूस और अमेरिका जैसे अन्य आपूर्तिकर्ताओं से खरीदे गए टीके हों. जो भी देश या कंपनी टीकों की आपूर्ति की इच्छुक है. भारत को उससे टीके लेने चाहिए. उसे सभी का टीकाकरण करना चाहिए.

इससे (टीकाकरण से) मौजूदा समस्या अभी समाप्त नहीं होगी. इससे हमें कई हफ्तों में समस्या को रोकने में मदद मिलेगी. इसलिए यह मध्यम अवधि और दीर्घ अवधि में उठाया जाने वाला कदम है लेकिन इस समय तत्काल कदम जो आपको उठाना है. वह मैं जानता हूं कि भारत पहले ही उठा रहा है इसलिए मैं आपको ऐसा कुछ नहीं बता रहा हूं. जो आप कुछ दिन पहले से नहीं कर रहे हैं.

भारत के कुछ हिस्सों में लॉकडाउन लागू किया गया है. मेरी सलाह है कि आप देश में लॉकडाउन लागू कर दें. चीन ने पिछले साल ऐसा किया था, ऑस्ट्रेलिया में जब संक्रमण फैला था, तब उसने ऐसा किया था, न्यूजीलैंड ने यह किया था. अन्य कई देशों ने एक सीमित अवधि के लिए पूर्ण लॉकडाउन लागू किया था.

आपको छह महीने के लॉकडाउन की आवश्यकता नहीं है. आप कुछ सप्ताह के लिए लॉकडाउन लागू कर सकते हैं. अन्य देशों में लॉकडाउन लागू करने के अनुभवों से यह स्पष्ट है कि लॉकडाउन से संक्रमण की दर कम होती है और संक्रमण की कड़ी टूटती है. यह पहली चीज है.

दूसरी बात यह है कि आपको याद होगा कि चीन में जब पिछले साल गंभीर समस्या थी, तो उसने अपने संसाधनों को बहुत तेजी से नए अस्पताल बनाने में लगा दिया था. ताकि वह उन सभी लोगों को अस्पताल मुहैया करा सके जिन्हें भर्ती किए जाने की आवश्यकता है.

हालांकि मैंने स्वयं कभी भारत जाकर यह नहीं देखा लेकिन मीडिया में हाल में आई खबरों के अनुसार वहां अस्पताल में बिस्तरों की गंभीर कमी है और अस्थायी व्यवस्थाओं में लोगों की देखभाल की जा रही है. भारत को अपनी सेना की मदद से उसी तरह फील्ड अस्पताल बनाने चाहिए जैसे कि युद्ध के दौरान बनाए जाते हैं.

ताकि उन लोगों को अस्पताल में बिस्तर मिल सके, जो बीमार हैं और जिन्हें भर्ती किए जाने की आवश्यकता है. मैं इन कुछ बातों की सलाह दूंगा.

यह भी पढें-दक्षिण अफ्रीका में कोरोना वायरस का भारतीय स्वरूप का मामला नहीं मिला है : एनआईसीडी

प्रश्न: क्या भारत के बारे में या भारतीयों में जागरुकता पैदा करने के लिए कुछ और कहना चाहते हैं?

फाउची : नहीं, मुझे लगता है कि वहां एकजुटता होना, शेष दुनिया के लोगों, खासकर अमेरिका में हमारे बीच एकजुटता होना महत्वपूर्ण है. हमारे भारत के साथ बहुत निकट संबंध हैं. मुझे बहुत दु:ख है कि भारत इस अत्यंत मुश्किल समय से गुजर रहा है.

वॉशिंगटन : फाउची ने अन्य देशों से भी अपील की है कि वे भारत की मदद के लिए केवल सामग्री ही नहीं बल्कि कर्मी भी मुहैया कराएं. वाशिंगटन स्थित संवाददाता को डॉ. फाउची द्वारा दिए गए साक्षात्कार के अंश इस प्रकार हैं.

प्रश्न: भारत में इस समय हालात को लेकर आपका आकलन क्या है?

फाउची : यह साफ है कि भारत में हालात अत्यंत गंभीर हैं. मेरा कहने का मतलब है कि वहां संक्रमण की दर बहुत अधिक है. जब लोग इतनी अधिक संख्या में संक्रमित हो रहे हों, हर किसी की पर्याप्त देखभाल न हो पा रही हो, अस्पतालों में बिस्तरों, ऑक्सीजन और अन्य चिकित्सा सामान की कमी हो तो यह बेहद निराशाजनक स्थिति बन जाती है. इसे देखते हुए हमें लगता है कि पूरी दुनिया को हरंसभव तरीके से मदद करनी चाहिए. भारत स्वयं भी ऐसे कदम उठा सकता है, जिनसे इस अत्यंत अप्रत्याशित स्थिति से निपटा जा सकता है.

प्रश्न: तो अब दो प्रश्न हैं. पहला यह कि दुनिया इस समय कैसे भारत की मदद कर सकती है और दूसरा प्रश्न यह है कि भारत को इस स्थिति से युद्ध स्तर पर निपटने के लिए क्या करना चाहिए?

फाउची : मुझे लगता है कि दुनिया के अन्य देश सामग्री एवं कर्मी मुहैया कराके भारत की मदद कर सकते हैं लेकिन उन्हें निश्चित ही ऐसी सामग्री मुहैया करानी चाहिए जिसकी भारत को इस स्थिति से निपटने के लिए आवश्यकता है. जैसे कि अमेरिका 1000 ऑक्सीजन सिलेंडरों की प्रारंभिक आपूर्ति के साथ ऑक्सीजन मुहैया करा रहा है.

वह ऑक्सीजन सांद्रक एवं ऑक्सीजन का उत्पादन करने वाली इकाइयां भी उपलब्ध करा रहा है. अमेरिका भारत को निजी सुरक्षा उपकरण भी मुहैया करा रहा है. वह भारत को उन चीजों की भी आपूर्ति कर रहा रहा है जो उसे टीकों का स्वयं उत्पादन करने के लिए चाहिए. अमेरिका त्वरित जांच किट भी भेज रहा है. हम लाखों की संख्या में ये सामग्रियां भेज रहे हैं.

हम रेमडेसिविर दवा भी भेज रहे है. हम टीकाकरण के लिए महामारी विज्ञान निगरानी के क्षेत्र में हमारे सीडीसी विशेषज्ञों एवं भारत के विशेषज्ञों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. इस समय अन्य देशों में भी आपात स्थिति है. भारत संक्रमण के कारण इस समय अत्यधिक दबाव में है तो ऐसे में दुनिया के अन्य देशों को अमेरिका की तरह उसकी मदद करनी चाहिए. मैं दूसरा प्रश्न भूल गया.

प्रश्न : भारत को इससे निपटने के लिए क्या कदम उठाने चाहिए?

फाउची : हां आप जानते हैं कि मैंने कुछ दिन पहले भी एक अन्य संस्थान के साथ बातचीत में इसका जिक्र किया था. इसलिए मैं आपके लिए इसे दोहरा रहा हूं. मेरा मतलब है कि कुछ चीजें तत्काल की जा सकती हैं. कुछ कदम मध्यम अवधि और कुछ दीर्घ अवधि के लिए उठाए जा सकते हैं.

सबसे पहले अभी उन्हें ज्यादा से ज्यादा लोगों को टीका लगाना शुरू करना चाहिए. चाहे वे उनके द्वारा विकसित टीके हों या रूस और अमेरिका जैसे अन्य आपूर्तिकर्ताओं से खरीदे गए टीके हों. जो भी देश या कंपनी टीकों की आपूर्ति की इच्छुक है. भारत को उससे टीके लेने चाहिए. उसे सभी का टीकाकरण करना चाहिए.

इससे (टीकाकरण से) मौजूदा समस्या अभी समाप्त नहीं होगी. इससे हमें कई हफ्तों में समस्या को रोकने में मदद मिलेगी. इसलिए यह मध्यम अवधि और दीर्घ अवधि में उठाया जाने वाला कदम है लेकिन इस समय तत्काल कदम जो आपको उठाना है. वह मैं जानता हूं कि भारत पहले ही उठा रहा है इसलिए मैं आपको ऐसा कुछ नहीं बता रहा हूं. जो आप कुछ दिन पहले से नहीं कर रहे हैं.

भारत के कुछ हिस्सों में लॉकडाउन लागू किया गया है. मेरी सलाह है कि आप देश में लॉकडाउन लागू कर दें. चीन ने पिछले साल ऐसा किया था, ऑस्ट्रेलिया में जब संक्रमण फैला था, तब उसने ऐसा किया था, न्यूजीलैंड ने यह किया था. अन्य कई देशों ने एक सीमित अवधि के लिए पूर्ण लॉकडाउन लागू किया था.

आपको छह महीने के लॉकडाउन की आवश्यकता नहीं है. आप कुछ सप्ताह के लिए लॉकडाउन लागू कर सकते हैं. अन्य देशों में लॉकडाउन लागू करने के अनुभवों से यह स्पष्ट है कि लॉकडाउन से संक्रमण की दर कम होती है और संक्रमण की कड़ी टूटती है. यह पहली चीज है.

दूसरी बात यह है कि आपको याद होगा कि चीन में जब पिछले साल गंभीर समस्या थी, तो उसने अपने संसाधनों को बहुत तेजी से नए अस्पताल बनाने में लगा दिया था. ताकि वह उन सभी लोगों को अस्पताल मुहैया करा सके जिन्हें भर्ती किए जाने की आवश्यकता है.

हालांकि मैंने स्वयं कभी भारत जाकर यह नहीं देखा लेकिन मीडिया में हाल में आई खबरों के अनुसार वहां अस्पताल में बिस्तरों की गंभीर कमी है और अस्थायी व्यवस्थाओं में लोगों की देखभाल की जा रही है. भारत को अपनी सेना की मदद से उसी तरह फील्ड अस्पताल बनाने चाहिए जैसे कि युद्ध के दौरान बनाए जाते हैं.

ताकि उन लोगों को अस्पताल में बिस्तर मिल सके, जो बीमार हैं और जिन्हें भर्ती किए जाने की आवश्यकता है. मैं इन कुछ बातों की सलाह दूंगा.

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प्रश्न: क्या भारत के बारे में या भारतीयों में जागरुकता पैदा करने के लिए कुछ और कहना चाहते हैं?

फाउची : नहीं, मुझे लगता है कि वहां एकजुटता होना, शेष दुनिया के लोगों, खासकर अमेरिका में हमारे बीच एकजुटता होना महत्वपूर्ण है. हमारे भारत के साथ बहुत निकट संबंध हैं. मुझे बहुत दु:ख है कि भारत इस अत्यंत मुश्किल समय से गुजर रहा है.

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