संयुक्त राष्ट्र : संयुक्त राष्ट्र महासभा के बुलाए गए दुलर्भ आपात सत्र (In the rare session of the United Nations) में उस प्रस्ताव का कई देशों के राजदूतों ने समर्थन किया है जिसमें रूस से यूक्रेन के साथ युद्ध को रोकने की मांग की गई है. वर्ष 1997 के बाद पहली बार बुलाए गए महासभा के आपात सत्र में यूक्रेन के राजदूत सर्गेई किस्लित्स्या ने कहा, 'अगर यूक्रेन नहीं रहा, तो अंतरराष्ट्रीय शांति भी नहीं रहेगी.'
उन्होंने कहा, 'इसमें कोई भ्रम नहीं है, अगर यूक्रेन नहीं रहा तो हमें आश्चर्य नहीं होगा अगर अगली बार लोकतंत्र असफल होता है.' वैश्विक स्तर पर यूक्रेन मामले को लेकर बढ़ी चिंता को प्रतिबिंबित करते हुए संयुक्त राष्ट्र के दो अहम निकाय 193 सदस्यीय महासभा और छोटा लेकिन अधिक शक्तिशाली सुरक्षा परिषद ने असमान्य कदम उठाए हैं, जो अकसर युद्ध की स्थिति में उठाने के लिए होते हैं. जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने भी अपना आपात सत्र बुलाने के लिए मतदान किया है.
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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव लाने और रूस द्वारा वीटो करने के तीन दिन बाद महासभा का सत्र बुलाया गया. महासभा का आपात सत्र बुलाने का 110 से अधिक देशों ने समर्थन किया और मंगलवार से विभिन्न देश इस मुद्दे पर अपना पक्ष रखने की शुरुआत करेंगे. महासभा में किसी भी सदस्य को वीटो का अधिकार नहीं होता है और इस प्रस्ताव पर सप्ताहांत में मत विभाजन होने की उम्मीद है. इस प्रस्ताव को तैयार करने में यूरोपीय संघ के राजदूतों ने यूक्रेन के साथ काम किया. एसोसिएटेड प्रेस को प्राप्त मसौदा प्रस्ताव के मुताबिक रूस से तत्काल यूक्रेन के खिलाफ बल प्रयोग को रोकने और सभी सैनिकों को वापस बुलाने की मांग की गई है.महासभा के अध्यक्ष अब्दुल शाहिद ने सोमवार को सत्र की शुरुआत राजदूतों से कुछ समय मौन खड़े होने के आह्वान के साथ की.
(पीटीआई-भाषा)