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भारत की अध्यक्षता में UNSC में कई महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों के निकले ठोस नतीजे - अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड

भारत का गैर स्थायी सदस्य के रूप में परिषद में अभी दो वर्ष का कार्यकाल चल रहा है और इसी क्रम में उसे अगस्त माह के लिए 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद के अध्यक्षता मिली थी. अध्यक्ष के रूप में भारत के कार्यकाल के समापन से ठीक पहले परिषद में, काबुल में तालिबान के कब्जे के संबंध में और अफगानिस्तान के हालात पर पहला प्रस्ताव पारित किया गया.

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Published : Sep 1, 2021, 3:03 PM IST

न्यू यॉर्क : संयुक्त राष्ट्र की शक्तिशाली सुरक्षा परिषद (UNSC) के एक माह के लिए अध्यक्ष रहे भारत का कार्यकाल समाप्त हो गया है, लेकिन इस दौरान महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों पर ठोस नतीजे सामने आए हैं. इनमें अफगानिस्तान में हालात पर एक मजबूत प्रस्ताव भी शामिल हैं, जिसमें भारत के विचार एवं चिंताएं प्रतिबिंबित हुए. भारत ने यह मांग भी की कि अफगान की धरती का इस्तेमाल किसी भी देश को धमकाने या आतंकवादियों की पनाहगाह के रूप में नहीं होना चाहिए.

भारत का गैर स्थायी सदस्य के रूप में परिषद में अभी दो वर्ष का कार्यकाल चल रहा है और इसी क्रम में उसे अगस्त माह के लिए 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद के अध्यक्षता मिली थी. अध्यक्ष के रूप में भारत के कार्यकाल के समापन से ठीक पहले परिषद में, काबुल में तालिबान के कब्जे के संबंध में और अफगानिस्तान के हालात पर पहला प्रस्ताव पारित किया गया.

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी एस तिरुमूर्ति ने मंगलवार को ट्वीट किया, 'संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में हमारी अध्यक्षता के समापन पर मैं परिषद के सभी सहयोगियों का इतना प्रबल समर्थन देने के लिए आभार जताता हूं, जिससे हमारी अध्यक्षता सफल रही और कई ठोस नतीजे निकलकर आए.'

उन्होंने आगे कहा, 'आगामी अध्यक्ष आयरलैंड और राजदूत गेराल्डाइन नेसन की सफलता की कामना करते हैं.'

संयुक्त राष्ट्र अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने भारत को सफल अध्यक्षता के लिए बधाई दी और कहा, 'आपके नेतृत्व एवं लचीले रूख ने अनेक चुनौतीपूर्ण मुद्दों खासकर अफगानिस्तान में हालात से पार पाने में मदद की.'

संयुक्त राष्ट्र में आयरलैंड के मिशन की ओर से कहा गया, 'अगस्त के दौरान सफल अध्यक्षता करने पर भारत का शुक्रिया. उसकी अध्यक्षता की मुख्य बातें: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में समुद्री सुरक्षा पर बैठक, शांतिरक्षा एवं प्रौद्योगिकी तथा आतंकवाद निरोध पर ध्यान. अब हमारी बारी है.'

यूएनएससी की जिस बैठक में अफगानिस्तान पर प्रस्ताव पारित हुआ उसकी अध्यक्षता विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने की थी. सोमवार को यहां संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद भवन में मीडिया को संबोधित करते हुए, श्रृंगला ने रेखांकित किया कि भारत की अध्यक्षता में अफगानिस्तान को लेकर पारित प्रस्ताव में सुरक्षा परिषद द्वारा नामित व्यक्तियों और संस्थाओं को संदर्भित किया गया है.

लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के साथ-साथ हक्कानी नेटवर्क यूएनएससी प्रस्ताव 1267 (1999) के तहत प्रतिबंधित आतंकवादी संस्थाएं हैं.

पढ़ें - अफगानिस्तान पर UNSC के प्रस्ताव में भारत की चिंताएं भी शामिल

श्रृंगला ने कहा था, 'आज का संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव ... भारत की अध्यक्षता में पारित एक बहुत ही महत्वपूर्ण और समय पर की गयी घोषणा है. मैं इस तथ्य को उजागर करना चाहता हूं कि प्रस्ताव यह स्पष्ट करता है कि अफगान क्षेत्र का उपयोग किसी अन्य देश को धमकी देने, उस पर हमला करने के लिये नहीं किया जाना चाहिये. यह विशेष रूप से आतंकवाद का मुकाबला करने के महत्व को भी रेखांकित करता है. यह उन व्यक्तियों और संस्थाओं को भी संदर्भित करता है जिन्हें सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1267 के तहत प्रतिबंधित किया गया है.'

उन्होंने कहा, 'लश्कर और जैश, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादी संस्थाएं है, जिनसे निपटने की और कड़ी से कड़ी निंदा करने की आवश्यकता है.'

अगस्त महीने में भारत की अध्यक्षता में, सुरक्षा परिषद ने अफगानिस्तान को लेकर 3, 16 और 27 अगस्त को तीन प्रेस वक्तव्य जारी किए.

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शांतिरक्षा एवं प्रौद्योगिकी के विषय में दो महत्वपूर्ण कार्यक्रमों की अध्यक्षता की.

संयुक्त राष्ट्र में ब्राजील मिशन, यूएई मिशन, संरा में कतर के स्थायी प्रतिनिधि, स्विट्जरलैंड मिशन, नॉर्वे मिशन ने भारत एवं तिरुमूर्ति को सफल अध्यक्षता के लिए बधाई दी.

न्यू यॉर्क : संयुक्त राष्ट्र की शक्तिशाली सुरक्षा परिषद (UNSC) के एक माह के लिए अध्यक्ष रहे भारत का कार्यकाल समाप्त हो गया है, लेकिन इस दौरान महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों पर ठोस नतीजे सामने आए हैं. इनमें अफगानिस्तान में हालात पर एक मजबूत प्रस्ताव भी शामिल हैं, जिसमें भारत के विचार एवं चिंताएं प्रतिबिंबित हुए. भारत ने यह मांग भी की कि अफगान की धरती का इस्तेमाल किसी भी देश को धमकाने या आतंकवादियों की पनाहगाह के रूप में नहीं होना चाहिए.

भारत का गैर स्थायी सदस्य के रूप में परिषद में अभी दो वर्ष का कार्यकाल चल रहा है और इसी क्रम में उसे अगस्त माह के लिए 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद के अध्यक्षता मिली थी. अध्यक्ष के रूप में भारत के कार्यकाल के समापन से ठीक पहले परिषद में, काबुल में तालिबान के कब्जे के संबंध में और अफगानिस्तान के हालात पर पहला प्रस्ताव पारित किया गया.

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी एस तिरुमूर्ति ने मंगलवार को ट्वीट किया, 'संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में हमारी अध्यक्षता के समापन पर मैं परिषद के सभी सहयोगियों का इतना प्रबल समर्थन देने के लिए आभार जताता हूं, जिससे हमारी अध्यक्षता सफल रही और कई ठोस नतीजे निकलकर आए.'

उन्होंने आगे कहा, 'आगामी अध्यक्ष आयरलैंड और राजदूत गेराल्डाइन नेसन की सफलता की कामना करते हैं.'

संयुक्त राष्ट्र अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने भारत को सफल अध्यक्षता के लिए बधाई दी और कहा, 'आपके नेतृत्व एवं लचीले रूख ने अनेक चुनौतीपूर्ण मुद्दों खासकर अफगानिस्तान में हालात से पार पाने में मदद की.'

संयुक्त राष्ट्र में आयरलैंड के मिशन की ओर से कहा गया, 'अगस्त के दौरान सफल अध्यक्षता करने पर भारत का शुक्रिया. उसकी अध्यक्षता की मुख्य बातें: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में समुद्री सुरक्षा पर बैठक, शांतिरक्षा एवं प्रौद्योगिकी तथा आतंकवाद निरोध पर ध्यान. अब हमारी बारी है.'

यूएनएससी की जिस बैठक में अफगानिस्तान पर प्रस्ताव पारित हुआ उसकी अध्यक्षता विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने की थी. सोमवार को यहां संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद भवन में मीडिया को संबोधित करते हुए, श्रृंगला ने रेखांकित किया कि भारत की अध्यक्षता में अफगानिस्तान को लेकर पारित प्रस्ताव में सुरक्षा परिषद द्वारा नामित व्यक्तियों और संस्थाओं को संदर्भित किया गया है.

लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के साथ-साथ हक्कानी नेटवर्क यूएनएससी प्रस्ताव 1267 (1999) के तहत प्रतिबंधित आतंकवादी संस्थाएं हैं.

पढ़ें - अफगानिस्तान पर UNSC के प्रस्ताव में भारत की चिंताएं भी शामिल

श्रृंगला ने कहा था, 'आज का संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव ... भारत की अध्यक्षता में पारित एक बहुत ही महत्वपूर्ण और समय पर की गयी घोषणा है. मैं इस तथ्य को उजागर करना चाहता हूं कि प्रस्ताव यह स्पष्ट करता है कि अफगान क्षेत्र का उपयोग किसी अन्य देश को धमकी देने, उस पर हमला करने के लिये नहीं किया जाना चाहिये. यह विशेष रूप से आतंकवाद का मुकाबला करने के महत्व को भी रेखांकित करता है. यह उन व्यक्तियों और संस्थाओं को भी संदर्भित करता है जिन्हें सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1267 के तहत प्रतिबंधित किया गया है.'

उन्होंने कहा, 'लश्कर और जैश, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादी संस्थाएं है, जिनसे निपटने की और कड़ी से कड़ी निंदा करने की आवश्यकता है.'

अगस्त महीने में भारत की अध्यक्षता में, सुरक्षा परिषद ने अफगानिस्तान को लेकर 3, 16 और 27 अगस्त को तीन प्रेस वक्तव्य जारी किए.

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शांतिरक्षा एवं प्रौद्योगिकी के विषय में दो महत्वपूर्ण कार्यक्रमों की अध्यक्षता की.

संयुक्त राष्ट्र में ब्राजील मिशन, यूएई मिशन, संरा में कतर के स्थायी प्रतिनिधि, स्विट्जरलैंड मिशन, नॉर्वे मिशन ने भारत एवं तिरुमूर्ति को सफल अध्यक्षता के लिए बधाई दी.

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