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सीनेट में प्रस्ताव पेश : अफगानिस्तान में हिंदू और सिख ‘संकटग्रस्त अल्पसंख्यक’ - उत्पीड़ित धार्मिक समुदायों

अमेरिकी कांग्रेस (सीनेट) में पेश प्रस्ताव में अफगानिस्तान में रह रहे हिंदू और सिखों को ‘संकटग्रस्त अल्पसंख्यक’ करार दिया गया है. इसके साथ ही इन उत्पीड़ित धार्मिक समुदायों को अमेरिका में बसाने की मांग की गई है.

अमेरिकी कांग्रेस
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Published : Aug 18, 2020, 3:38 PM IST

वाशिंगटन : अमेरिकी कांग्रेस में पेश प्रस्ताव में अफगानिस्तान में रह रहे हिंदू और सिखों को ‘संकटग्रस्त अल्पसंख्यक’ करार दिया गया है. इसके साथ ही इन उत्पीड़ित धार्मिक समुदायों को अमेरिका में बसाने की मांग की गई है.

अमेरिकी संसद के निम्न सदन प्रतिनिधि सभा में पेश प्रस्ताव में सांसद जैकी स्पीयर और अन्य सात सह प्रायोजक सदस्यों ने कहा कि उनका प्रस्ताव अफगानिस्तान के हिंदुओं और सिखों को शरणार्थी सुरक्षा देने का समर्थन करता है. समुदाय के सदस्यों द्वारा सामना किए जा रहे संस्थागत धार्मिक उत्पीड़न, भेदभाव और अस्तित्व के खतरे को रेखांकित करता है.

प्रस्ताव में कहा गया है कि हिंदू और सिख अफगानिस्तान के मूल निवासी हैं, लेकिन संकटग्रस्त अल्पसंख्यक हैं.

इस प्रस्ताव में अमेरिकी आव्रजन और राष्ट्रीय अधिनियम के तहत शरणार्थी कार्यक्रम के जरिये अफगानिस्तान के हिंदुओं और सिखों को अमेरिका में बसाने का समर्थन किया गया है.

अफगानिस्तान में हिंदुओं और सिखों की सुरक्षा के प्रति चिंता जताते हुए प्रस्ताव में इन समुदायों के खिलाफ सभी आतंकवादी हमलों, धार्मिक उत्पीड़न और भेदभाव की निंदा की गई है.

प्रस्ताव में इस्लामी आतंकवादियों द्वारा 25 मार्च को गुरुद्वारे पर किए गए हमले में चार साल की बच्ची सहित 25 लोगों की मौत का जिक्र करते हुए कहा गया कि पीड़ितों के अंतिम संस्कार से पहले और बाद में सिखों पर और भी हमलों के प्रयास किए गए.

प्रस्ताव में एक जुलाई 2018 को इस्लामिक स्टेट-खोरासान द्वारा जलालाबाद में किए गए हमले का भी जिक्र किया गया है, जिसमें सिख और हिंदु समुदाय के सदस्यों सहित 19 लोगों की मौत हुई थी.

वाशिंगटन : अमेरिकी कांग्रेस में पेश प्रस्ताव में अफगानिस्तान में रह रहे हिंदू और सिखों को ‘संकटग्रस्त अल्पसंख्यक’ करार दिया गया है. इसके साथ ही इन उत्पीड़ित धार्मिक समुदायों को अमेरिका में बसाने की मांग की गई है.

अमेरिकी संसद के निम्न सदन प्रतिनिधि सभा में पेश प्रस्ताव में सांसद जैकी स्पीयर और अन्य सात सह प्रायोजक सदस्यों ने कहा कि उनका प्रस्ताव अफगानिस्तान के हिंदुओं और सिखों को शरणार्थी सुरक्षा देने का समर्थन करता है. समुदाय के सदस्यों द्वारा सामना किए जा रहे संस्थागत धार्मिक उत्पीड़न, भेदभाव और अस्तित्व के खतरे को रेखांकित करता है.

प्रस्ताव में कहा गया है कि हिंदू और सिख अफगानिस्तान के मूल निवासी हैं, लेकिन संकटग्रस्त अल्पसंख्यक हैं.

इस प्रस्ताव में अमेरिकी आव्रजन और राष्ट्रीय अधिनियम के तहत शरणार्थी कार्यक्रम के जरिये अफगानिस्तान के हिंदुओं और सिखों को अमेरिका में बसाने का समर्थन किया गया है.

अफगानिस्तान में हिंदुओं और सिखों की सुरक्षा के प्रति चिंता जताते हुए प्रस्ताव में इन समुदायों के खिलाफ सभी आतंकवादी हमलों, धार्मिक उत्पीड़न और भेदभाव की निंदा की गई है.

प्रस्ताव में इस्लामी आतंकवादियों द्वारा 25 मार्च को गुरुद्वारे पर किए गए हमले में चार साल की बच्ची सहित 25 लोगों की मौत का जिक्र करते हुए कहा गया कि पीड़ितों के अंतिम संस्कार से पहले और बाद में सिखों पर और भी हमलों के प्रयास किए गए.

प्रस्ताव में एक जुलाई 2018 को इस्लामिक स्टेट-खोरासान द्वारा जलालाबाद में किए गए हमले का भी जिक्र किया गया है, जिसमें सिख और हिंदु समुदाय के सदस्यों सहित 19 लोगों की मौत हुई थी.

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