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इस अमेरिकी राष्ट्रपति ने सबसे पहले दिया था चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्री भेजने का प्रस्ताव - astronaut on the moon

20 जुलाई 1969 को अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग (1930-2012) और एडविन 'बज' एल्ड्रिन (1930-) चंद्रमा पर जाने वाले पहले व्यक्ति बने.

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Published : Jul 18, 2021, 12:07 PM IST

हैदराबाद : चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने के अमेरिकी प्रयास की शुरुआत तत्कालीन राष्ट्रपति केनेडी (President Kennedy) ने की थी.

सोवियत रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच अंतरिक्ष युद्ध : शीत युद्ध के दौरान रूस और सोवियत संघ के बीच यह दौड़ थी कि चंद्रमा पर उतरने वाला पहला देश कौन बनेगा.

आपकाे बता दें कि चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने के अमेरिकी प्रयास की शुरुआत राष्ट्रपति केनेडी (President Kennedy) ने 25 मई, 1961 को कांग्रेस के एक विशेष संयुक्त सत्र में की गई अपील में की थी. इसमें उन्हाेंने कहा था मेरा मानना ​​​​है कि अपने उद्देश्यों को हासिल करने के लिए इस राष्ट्र को खुद को प्रतिबद्ध करना चाहिए. इस दशक के समाप्त होने से पहले एक व्यक्ति को चंद्रमा पर उतारने और उसे सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाने का लक्ष्य है.

बता दें कि उस समय संयुक्त राज्य अमेरिका अंतरिक्ष विकास में सोवियत संघ से पीछे था और शीत युद्ध के युग के अमेरिका ने कैनेडी के साहसिक प्रस्ताव का स्वागत किया.

अपोलो कार्यक्रम

27 जनवरी, 1967 को फ्लोरिडा ( Florida) के केप कैनावेरल में कैनेडी स्पेस सेंटर में त्रासदी हुई, जब अपोलो अंतरिक्ष यान और सैटर्न रॉकेट के मानवयुक्त लॉन्च-पैड में परीक्षण के दौरान आग लग गई. आग में तीन अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हो गई.

फिर भी अमेरिका ने हिम्मत नहीं हारी और इस दिशा में आगे बढ़ने का प्रयास जारी रखा. अक्टूबर 1968 में पहला मानवयुक्त अपोलो मिशन अपोलो 7 ने पृथ्वी की परिक्रमा की और चंद्रमा की यात्रा और लैंडिंग के लिए आवश्यक कई परिष्कृत प्रणालियों का सफलतापूर्वक परीक्षण किया.

उसी वर्ष दिसंबर में अपोलो 8 ने तीन अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा से दूर और उसके पीछे ले गया और मार्च 1969 में अपोलो 9 ने पृथ्वी की कक्षा में पहली बार लूनर मॉड्यूल का परीक्षण किया.

अपोलो 11 को 16 जुलाई, 1969 को सुबह 8:32 बजे सेंट्रल डेलाइट टाइम (सीडीटी) में चंद्रमा पर पहली मानव लैंडिंग करने के लक्ष्य के साथ लॉन्च किया गया था.

20 जुलाई, 1969 को, अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग (1930-2012) और एडविन 'बज' एल्ड्रिन (1930-) चंद्रमा पर उतरने वाले पहले व्यक्ति बने. करीब साढ़े छह घंटे बाद आर्मस्ट्रांग चांद पर कदम रखने वाले पहले व्यक्ति बने. जैसे ही उन्होंने अपना पहला कदम उठाया, आर्मस्ट्रांग ने कहा, यह मनुष्य के लिए एक छोटा कदम है, मानव जाति के लिए एक विशाल छलांग है.

अमेरिका ने चांद पर कितनी बार लैंड किया?

पांच और सफल लूनर लैंडिंग मिशन हुए, हालांकि तकनीकी दिक्कतों के कारण अपोलो 13 को अपनी लूनर लैंडिंग रद्द करनी पड़ी. चंद्रमा पर जाने वाले अंतिम पुरुषाें में अपोलो 17 मिशन के अंतरिक्ष यात्री यूजीन सर्नन (1934-2017) और हैरिसन श्मिट (1935-) रहे, जाे 14 दिसंबर, 1972 को चंद्र सतह से रवाना हुए.

अपोलो कार्यक्रम एक महंगा और श्रमसाध्य प्रयास था, जिसमें अनुमानित 400,000 इंजीनियर, तकनीशियन और वैज्ञानिक शामिल थे, और इसकी लागत $24 बिलियन (आज के डॉलर में लगभग 100 बिलियन डॉलर) थी.

इसे भी पढ़ें : ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री कोरोना वायरस से संक्रमित

सोवियत संघ को चांद पर हराने के लिए कैनेडी के 1961 के जनादेश द्वारा खर्च को उचित ठहराया गया था और उपलब्धि के पूरा होने के बाद, चल रहे मिशनों ने अपनी व्यवहार्यता खो दी.

हैदराबाद : चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने के अमेरिकी प्रयास की शुरुआत तत्कालीन राष्ट्रपति केनेडी (President Kennedy) ने की थी.

सोवियत रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच अंतरिक्ष युद्ध : शीत युद्ध के दौरान रूस और सोवियत संघ के बीच यह दौड़ थी कि चंद्रमा पर उतरने वाला पहला देश कौन बनेगा.

आपकाे बता दें कि चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने के अमेरिकी प्रयास की शुरुआत राष्ट्रपति केनेडी (President Kennedy) ने 25 मई, 1961 को कांग्रेस के एक विशेष संयुक्त सत्र में की गई अपील में की थी. इसमें उन्हाेंने कहा था मेरा मानना ​​​​है कि अपने उद्देश्यों को हासिल करने के लिए इस राष्ट्र को खुद को प्रतिबद्ध करना चाहिए. इस दशक के समाप्त होने से पहले एक व्यक्ति को चंद्रमा पर उतारने और उसे सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाने का लक्ष्य है.

बता दें कि उस समय संयुक्त राज्य अमेरिका अंतरिक्ष विकास में सोवियत संघ से पीछे था और शीत युद्ध के युग के अमेरिका ने कैनेडी के साहसिक प्रस्ताव का स्वागत किया.

अपोलो कार्यक्रम

27 जनवरी, 1967 को फ्लोरिडा ( Florida) के केप कैनावेरल में कैनेडी स्पेस सेंटर में त्रासदी हुई, जब अपोलो अंतरिक्ष यान और सैटर्न रॉकेट के मानवयुक्त लॉन्च-पैड में परीक्षण के दौरान आग लग गई. आग में तीन अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हो गई.

फिर भी अमेरिका ने हिम्मत नहीं हारी और इस दिशा में आगे बढ़ने का प्रयास जारी रखा. अक्टूबर 1968 में पहला मानवयुक्त अपोलो मिशन अपोलो 7 ने पृथ्वी की परिक्रमा की और चंद्रमा की यात्रा और लैंडिंग के लिए आवश्यक कई परिष्कृत प्रणालियों का सफलतापूर्वक परीक्षण किया.

उसी वर्ष दिसंबर में अपोलो 8 ने तीन अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा से दूर और उसके पीछे ले गया और मार्च 1969 में अपोलो 9 ने पृथ्वी की कक्षा में पहली बार लूनर मॉड्यूल का परीक्षण किया.

अपोलो 11 को 16 जुलाई, 1969 को सुबह 8:32 बजे सेंट्रल डेलाइट टाइम (सीडीटी) में चंद्रमा पर पहली मानव लैंडिंग करने के लक्ष्य के साथ लॉन्च किया गया था.

20 जुलाई, 1969 को, अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग (1930-2012) और एडविन 'बज' एल्ड्रिन (1930-) चंद्रमा पर उतरने वाले पहले व्यक्ति बने. करीब साढ़े छह घंटे बाद आर्मस्ट्रांग चांद पर कदम रखने वाले पहले व्यक्ति बने. जैसे ही उन्होंने अपना पहला कदम उठाया, आर्मस्ट्रांग ने कहा, यह मनुष्य के लिए एक छोटा कदम है, मानव जाति के लिए एक विशाल छलांग है.

अमेरिका ने चांद पर कितनी बार लैंड किया?

पांच और सफल लूनर लैंडिंग मिशन हुए, हालांकि तकनीकी दिक्कतों के कारण अपोलो 13 को अपनी लूनर लैंडिंग रद्द करनी पड़ी. चंद्रमा पर जाने वाले अंतिम पुरुषाें में अपोलो 17 मिशन के अंतरिक्ष यात्री यूजीन सर्नन (1934-2017) और हैरिसन श्मिट (1935-) रहे, जाे 14 दिसंबर, 1972 को चंद्र सतह से रवाना हुए.

अपोलो कार्यक्रम एक महंगा और श्रमसाध्य प्रयास था, जिसमें अनुमानित 400,000 इंजीनियर, तकनीशियन और वैज्ञानिक शामिल थे, और इसकी लागत $24 बिलियन (आज के डॉलर में लगभग 100 बिलियन डॉलर) थी.

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सोवियत संघ को चांद पर हराने के लिए कैनेडी के 1961 के जनादेश द्वारा खर्च को उचित ठहराया गया था और उपलब्धि के पूरा होने के बाद, चल रहे मिशनों ने अपनी व्यवहार्यता खो दी.

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