वाशिंगटन : चीन और अमेरिका के रिश्तों में लगातार कड़वाहट देखी जा रही है. व्यापार युद्ध को लेकर हुई तनातनी के बाद कोरोना संक्रमण को लेकर भी दोनों देशों के शीर्ष अधिकारी तीखी टिप्पणियां करते रहे हैं. खुद राष्ट्रपति ट्रंप ने कई मौकों पर चीन को आड़े हाथों लिया है. ताजा घटनाक्रम में अमेरिका की शीर्ष जांच एजेंसी के प्रमुख क्रिस्टोफर रे ने चीन को लेकर प्रतिक्रिया दी है.
वाशिंगटन स्थित हडसन इंस्टीट्यूट से बात करते हुए क्रिस्टोफर रे ने 'बहु-प्रचार व्यवधान अभियान' को लेकर टिरप्पणी की. उन्होंने कहा कि चीन ने विदेशों में रह रहे चीनी नागरिकों को उनकी वापसी के लिए मजबूर करना शुरू कर दिया था.
उन्होंने चीन के दखल को लेकर कहा कि वह अमेरिका में कोरोना वायरस को लेकर हो रहे अनुसंधान से समझौता करने की दिशा में भी काम कर रहा था.
बकौल क्रिस्टोफर रे, 'अधिक चीजें दांव पर नहीं हो सकतीं.' उन्होंने कहा कि चीन किसी भी तरह से दुनिया की एकमात्र महाशक्ति बनने की दिशा में लगातार प्रयास कर रहा है.
पहले भी जारी हुई है चेतावनी
बता दें कि इससे पहले विगत 13 मई को भी अमेरिका की शीर्ष संस्थाओं की ओर से एक दुर्लभ संयुक्त चेतावनी जारी की गई थी. यह चेतावनी फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (एफबीआई) और होमलैंड सिक्योरिटी डिपार्टमेंट के एक डिविजन, साइबर सिक्योरिटी एंड इंफ्रास्ट्रक्च र सिक्योरिटी एजेंसी (सीआईएसए) ने जारी की थी.
एफबीआई और सीआईएसए ने ज्वाइंट स्टेटमेंट में कहा था, 'कोविड-19 महामारी से निपटने में लगे हेल्थ केयर, फार्मास्यूटिकल और रिसर्च सेक्टर्स से जुड़े लोगों को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि वे हैकर्स के प्रमुख लक्ष्य हैं.'
उन्होंने कहा कि इस बात के सबूत है कि साइबर चोर कोरोनावायरस के इलाज पर मूल्यवान बौद्धिक संपदा और सार्वजनिक स्वास्थ्य डेटा को पहचानने और अवैध रूप से प्राप्त करने का प्रयास कर रहे हैं.
हालांकि, चीन साइबर-जासूसी के अमेरिकी आरोपों को हर बार नकारता रहा है.