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1918 का स्पेनिश फ्लू : जिन शहरों ने किया पहले लॉकडाउन, वहां हुईं थी कम मौतें

कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए दुनिया के कई हिस्सों में लॉकडाउन लागू है. इससे पहले स्पेनिश फ्लू के भी संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन लागू किया गया था. एक अध्ययन में पता चला है कि उस दौरान जिस शहर में पहले लॉकडाउन लागू किया गया था वहां कम मौतें हुई थी. पढ़ें पूरी खबर...

लॉकडाउन (प्रतीकात्मक तस्वीर)
लॉकडाउन (प्रतीकात्मक तस्वीर)
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Published : Mar 29, 2020, 10:24 PM IST

न्यूयॉर्क : शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में दावा किया है कि 1918-19 में स्पेनिश फ्लू की महामारी के दौरान जिन शहरों ने पहले ही लॉकडाउन जैसे एहतियाती कदम उठाए थे, वहां पर इस बीमारी से मृत्यु दर कम रही.

अमेरिका स्थित लॉयोला विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक ई पैम्बुसियन सहित वैज्ञानिकों के एक दल ने इस नतीजे पर पहुंचने के लिए स्पेनिश फ्लू पर पहले हुए तीन शोधपत्रों की समीक्षा की. उल्लेखनीय है कि स्पेनिश फ्लू की महामारी से दुनिया की करीब एक तिहाई आबादी प्रभावित हुई थी और पांच करोड़ लोगों की मौत हुई थी.

शोधकर्ताओं ने कहा कि स्कूलों को बंद करना, भीड़ एकत्र होने से रोकना, अनिवार्य रूप से मास्क पहनना, मरीजों को पृथक रखना और विसंक्रमण एवं साफ सफाई जैसे उपाय विभिन्न शहरों में बीमारी को नियंत्रित करने में प्रभावी साबित हुए.

अमेरिकन सोसाइटी ऑफ साइटोपैथोलॉजी के जर्नल में प्रकाशित समीक्षा शोध के मुताबिक अमेरिकी शहर सैन फ्रांसिस्को, सेंट लुइस, मिलवाकी और कंसास में संयुक्त रूप से मृत्यु दर में 30 से 50 प्रतिशत कमी उन शहरों के मुकाबले आई जहां पर कम या बाद में बंदी जैसे एहतियाति कदम उठाए गए.

एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया कि इन शहरों में मृत्यु दर देर से चरम पर पहुंचा जो एहतियाती उपायों और मृत्यु दर में कमी के अंतरसंबंध को रेखांकित करता है.

पैम्बुसियन ने कहा, सख्त पृथक नीति, कम मृत्यु दर.

लॉयोला विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने कहा कि मौजूदा कोरोना वायरस की महामारी की तरह ही वर्ष 1918-19 में कई लोगों ने सोचा कि सख्त कदम उचित नहीं है या इस समय प्रभावी नहीं है.

पढ़ें : सूंघने और स्वाद की क्षमता खोना कोविड-19 के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं : रिपोर्ट

पैम्बुसियन ने कहा कि एक आकलन के मुताबिक अमेरिका में स्पेनिश फ्लू से छह लाख 75 हजार लोगों की मौत हुई और पृथक रखने जैसी नीतियों के प्रभाव पर संदेह व्यक्त किया जाता है, लेकिन उन कदमों से दूरगामी प्रभाव देखने को मिले.

पैम्बुसियन ने कहा, वर्ष 1918 में विश्वयुद्ध जारी था और बैरक में क्षमता से अधिक लोग थे, इसके साथ ही अधिकतर अमेरिकी गरीबी, कुपोषण और गंदगी में रह रहे थे. घर और समुदाय के स्तर पर भीड़ थी, लोगों को इसके लिए तैयार करने और फैसला लेने के लिए नेताओं में क्षमता नहीं थी, चिकित्सा और नर्सिंग सेवा खराब थी.

उन्होंने कहा, हालांकि 100 वर्ष पहले के मुकाबले आज दुनिया अलग जगह है. 1918-19 की महामारी के दौरान उठाए गए कदम हमें उम्मीद देते हैं कि मौजूदा उपायों से हम कोरोना वायरस के संक्रमण को नियंत्रित कर पाएंगे.

न्यूयॉर्क : शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में दावा किया है कि 1918-19 में स्पेनिश फ्लू की महामारी के दौरान जिन शहरों ने पहले ही लॉकडाउन जैसे एहतियाती कदम उठाए थे, वहां पर इस बीमारी से मृत्यु दर कम रही.

अमेरिका स्थित लॉयोला विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक ई पैम्बुसियन सहित वैज्ञानिकों के एक दल ने इस नतीजे पर पहुंचने के लिए स्पेनिश फ्लू पर पहले हुए तीन शोधपत्रों की समीक्षा की. उल्लेखनीय है कि स्पेनिश फ्लू की महामारी से दुनिया की करीब एक तिहाई आबादी प्रभावित हुई थी और पांच करोड़ लोगों की मौत हुई थी.

शोधकर्ताओं ने कहा कि स्कूलों को बंद करना, भीड़ एकत्र होने से रोकना, अनिवार्य रूप से मास्क पहनना, मरीजों को पृथक रखना और विसंक्रमण एवं साफ सफाई जैसे उपाय विभिन्न शहरों में बीमारी को नियंत्रित करने में प्रभावी साबित हुए.

अमेरिकन सोसाइटी ऑफ साइटोपैथोलॉजी के जर्नल में प्रकाशित समीक्षा शोध के मुताबिक अमेरिकी शहर सैन फ्रांसिस्को, सेंट लुइस, मिलवाकी और कंसास में संयुक्त रूप से मृत्यु दर में 30 से 50 प्रतिशत कमी उन शहरों के मुकाबले आई जहां पर कम या बाद में बंदी जैसे एहतियाति कदम उठाए गए.

एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया कि इन शहरों में मृत्यु दर देर से चरम पर पहुंचा जो एहतियाती उपायों और मृत्यु दर में कमी के अंतरसंबंध को रेखांकित करता है.

पैम्बुसियन ने कहा, सख्त पृथक नीति, कम मृत्यु दर.

लॉयोला विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने कहा कि मौजूदा कोरोना वायरस की महामारी की तरह ही वर्ष 1918-19 में कई लोगों ने सोचा कि सख्त कदम उचित नहीं है या इस समय प्रभावी नहीं है.

पढ़ें : सूंघने और स्वाद की क्षमता खोना कोविड-19 के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं : रिपोर्ट

पैम्बुसियन ने कहा कि एक आकलन के मुताबिक अमेरिका में स्पेनिश फ्लू से छह लाख 75 हजार लोगों की मौत हुई और पृथक रखने जैसी नीतियों के प्रभाव पर संदेह व्यक्त किया जाता है, लेकिन उन कदमों से दूरगामी प्रभाव देखने को मिले.

पैम्बुसियन ने कहा, वर्ष 1918 में विश्वयुद्ध जारी था और बैरक में क्षमता से अधिक लोग थे, इसके साथ ही अधिकतर अमेरिकी गरीबी, कुपोषण और गंदगी में रह रहे थे. घर और समुदाय के स्तर पर भीड़ थी, लोगों को इसके लिए तैयार करने और फैसला लेने के लिए नेताओं में क्षमता नहीं थी, चिकित्सा और नर्सिंग सेवा खराब थी.

उन्होंने कहा, हालांकि 100 वर्ष पहले के मुकाबले आज दुनिया अलग जगह है. 1918-19 की महामारी के दौरान उठाए गए कदम हमें उम्मीद देते हैं कि मौजूदा उपायों से हम कोरोना वायरस के संक्रमण को नियंत्रित कर पाएंगे.

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