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भारत और अन्य के खिलाफ आक्रामक रहा है चीन, उसे जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए: अमेरिकी राजनयिक

निकोलस बर्न्स (Nicholas Burns) ने कहा है कि चीन हिमालयी सीमा पर भारत के खिलाफ आक्रामक रहा है. उसे जवाबदेह बनाना होगा. बर्न्स का यह बयान इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने उन्हें चीन में अमेरिका के अगले राजदूत के रूप में नामित किया है.

निकोलस बर्न्स
निकोलस बर्न्स
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Published : Oct 21, 2021, 4:44 PM IST

वॉशिंगटन : चीन में अमेरिका के अगले राजदूत के रूप में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा नामित निकोलस बर्न्स (Nicholas Burns) ने कहा है कि चीन हिमालयी सीमा पर भारत के खिलाफ आक्रामक रहा है और अमेरिका को चीन सरकार को नियमों का पालन नहीं करने की स्थिति में जवाबदेह बनाना होगा.

बर्न्स ने चीन में अमेरिका के राजदूत के रूप में अपने नाम की पुष्टि संबंधी सुनवाई के दौरान सीनेट विदेश संबंध समिति के सदस्यों से बुधवार को कहा कि चीन को जहां चुनौती देने की आवश्यकता है, अमेरिका उसे वहां चुनौती देगा. उन्होंने कहा कि जब भी चीन अमेरिकी मूल्यों एवं हितों के खिलाफ कदम उठाएगा, अमेरिका या उसके सहयोगियों की सुरक्षा को खतरा पैदा करेगा या नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को कमजोर करेगा, अमेरिका उसके खिलाफ कदम उठाएगा.

ऐतिहासिक अमेरिका-भारत असैन्य परमाणु समझौते पर वार्ता का नेतृत्व करने वाले बर्न्स ने कहा, 'चीन हिमालयी सीमा के पास भारत के खिलाफ, दक्षिण चीन सागर में वियतनाम, फिलीपीन एवं अन्य के खिलाफ और पूर्वी चीन सागर में जापान के खिलाफ आक्रामक रहा है. उसने ऑस्ट्रेलिया और लिथुआनिया को डराने-धमकाने की मुहिम चलाई है.'

उन्होंने कहा, 'चीन द्वारा शिनजियांग में नरसंहार और तिब्बत में उत्पीड़न करना, हांगकांग की स्वायत्तता एवं स्वतंत्रता का गला घोंटना और ताइवान को धमकाना अन्यायपूर्ण है और इसे रोकना चाहिए.'

बर्न्स ने कहा कि ताइवान के खिलाफ बीजिंग की विशेष रूप से हालिया कार्रवाई आपत्तिजनक है और अमेरिका का 'एक चीन नीति' का पालन करना जारी रखना सही है.

उन्होंने कहा, 'हमारा विवादों के शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करना और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में यथास्थिति एवं स्थिरता को कमजोर करने वाली एकतरफा कार्रवाई का विरोध करना भी उचित है.'

बर्न्स ने कहा कि अमेरिका नौकरियों एवं अर्थव्यवस्था और बुनियादी ढांचे संबंधी एवं उभरती प्रौद्योगिकियों समेत उन क्षेत्रों में चीन से कड़ी प्रतिस्पर्धा करेगा, जहां ऐसा करने की जरूरत है तथा वह जलवायु परिवर्तन, मादक पदार्थों के खिलाफ कार्रवाई, वैश्विक स्वास्थ्य और निरस्त्रीकरण समेत ऐसे मामलों में चीन के साथ सहयोग करेगा, जो उसके हित में हैं.

पढ़ें- राहुल ने की निकोलस बर्न्‍स से चर्चा, BJP पर लगाए गंभीर आरोप

उन्होंने कहा कि चीन हिंद-प्रशांत में सबसे बड़ी सैन्य, आर्थिक और राजनीतिक ताकत बनना चाहता है. बर्न्स ने कहा, 'हमें 21वीं सदी की प्रौद्योगिकियों में अमेरिका की वाणिज्यिक और सैन्य श्रेष्ठता को बनाए रखते हुए एक स्वतंत्र एवं खुले हिंद-प्रशांत के लिए अपने सहयोगियों और भागीदारों के साथ खड़ा होना होगा.'

उन्होंने कहा कि अमेरिका को व्यापार और निवेश संबंधी नियमों का पालन करने में विफल रहने पर चीन को जवाबदेह बनाना होगा.

पढ़ें- एलएसी पर चौकसी : अरुणाचल प्रदेश के अग्रिम इलाकों में विमान रोधी तोपें तैनात

(पीटीआई-भाषा)

वॉशिंगटन : चीन में अमेरिका के अगले राजदूत के रूप में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा नामित निकोलस बर्न्स (Nicholas Burns) ने कहा है कि चीन हिमालयी सीमा पर भारत के खिलाफ आक्रामक रहा है और अमेरिका को चीन सरकार को नियमों का पालन नहीं करने की स्थिति में जवाबदेह बनाना होगा.

बर्न्स ने चीन में अमेरिका के राजदूत के रूप में अपने नाम की पुष्टि संबंधी सुनवाई के दौरान सीनेट विदेश संबंध समिति के सदस्यों से बुधवार को कहा कि चीन को जहां चुनौती देने की आवश्यकता है, अमेरिका उसे वहां चुनौती देगा. उन्होंने कहा कि जब भी चीन अमेरिकी मूल्यों एवं हितों के खिलाफ कदम उठाएगा, अमेरिका या उसके सहयोगियों की सुरक्षा को खतरा पैदा करेगा या नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को कमजोर करेगा, अमेरिका उसके खिलाफ कदम उठाएगा.

ऐतिहासिक अमेरिका-भारत असैन्य परमाणु समझौते पर वार्ता का नेतृत्व करने वाले बर्न्स ने कहा, 'चीन हिमालयी सीमा के पास भारत के खिलाफ, दक्षिण चीन सागर में वियतनाम, फिलीपीन एवं अन्य के खिलाफ और पूर्वी चीन सागर में जापान के खिलाफ आक्रामक रहा है. उसने ऑस्ट्रेलिया और लिथुआनिया को डराने-धमकाने की मुहिम चलाई है.'

उन्होंने कहा, 'चीन द्वारा शिनजियांग में नरसंहार और तिब्बत में उत्पीड़न करना, हांगकांग की स्वायत्तता एवं स्वतंत्रता का गला घोंटना और ताइवान को धमकाना अन्यायपूर्ण है और इसे रोकना चाहिए.'

बर्न्स ने कहा कि ताइवान के खिलाफ बीजिंग की विशेष रूप से हालिया कार्रवाई आपत्तिजनक है और अमेरिका का 'एक चीन नीति' का पालन करना जारी रखना सही है.

उन्होंने कहा, 'हमारा विवादों के शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करना और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में यथास्थिति एवं स्थिरता को कमजोर करने वाली एकतरफा कार्रवाई का विरोध करना भी उचित है.'

बर्न्स ने कहा कि अमेरिका नौकरियों एवं अर्थव्यवस्था और बुनियादी ढांचे संबंधी एवं उभरती प्रौद्योगिकियों समेत उन क्षेत्रों में चीन से कड़ी प्रतिस्पर्धा करेगा, जहां ऐसा करने की जरूरत है तथा वह जलवायु परिवर्तन, मादक पदार्थों के खिलाफ कार्रवाई, वैश्विक स्वास्थ्य और निरस्त्रीकरण समेत ऐसे मामलों में चीन के साथ सहयोग करेगा, जो उसके हित में हैं.

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उन्होंने कहा कि चीन हिंद-प्रशांत में सबसे बड़ी सैन्य, आर्थिक और राजनीतिक ताकत बनना चाहता है. बर्न्स ने कहा, 'हमें 21वीं सदी की प्रौद्योगिकियों में अमेरिका की वाणिज्यिक और सैन्य श्रेष्ठता को बनाए रखते हुए एक स्वतंत्र एवं खुले हिंद-प्रशांत के लिए अपने सहयोगियों और भागीदारों के साथ खड़ा होना होगा.'

उन्होंने कहा कि अमेरिका को व्यापार और निवेश संबंधी नियमों का पालन करने में विफल रहने पर चीन को जवाबदेह बनाना होगा.

पढ़ें- एलएसी पर चौकसी : अरुणाचल प्रदेश के अग्रिम इलाकों में विमान रोधी तोपें तैनात

(पीटीआई-भाषा)

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