नई दिल्ली : अमेरिकी के लोकतांत्रिक इतिहास में बुधवार का दिन काले धब्बे की तरह देखा जाएगा. इस दिन अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के समर्थन में दगाइयों ने कैपिटोल बिलडिंग पर हमला कर दिया. इस दंगे में कई लोगों के मारे जाने की खबर है और वॉशिंगटन में 15 दिनों की इमरजेंसी घोषित की गई है.
अमेरिका में हुई घटना पर ईटीवी भारत से बात करते हुए पूर्व राजनयिक अचल मल्होत्रा ने कहा कि संवैधानिक प्रक्रिया को रोकने के लिए ट्रंप समर्थकों द्वारा कैपिटोल पर किया गया हमला चौंकाने वाला है.
उन्होंने कहा कि इस घटना को अमेरिका में लोकतंत्र के इतिहास पर एक काले धब्बे के रूप में देखा जाएगा. भारत सहित दुनिया के प्रमुख लोकतंत्रों ने इसकी निंदा की है. अमेरिकी जनता इस समय विभाजित है, जैसा पहले कभी नहीं था.
लोकतांत्रित रूप से लड़े गए चुनाव के नतीजे को पलटने के लिए बल के प्रयोग को सही नहीं ठहराया जा सकता. ट्रंप की शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण की अनिच्छा वैश्विक समुदाय को गलत संदेश दे रही है. उन्होंने उम्मीद जताई की मौजूदा स्थिति गृह युद्ध जैसी स्थिति का रूप नहीं ले लेगी.
अराजकता से हैरान विश्व के नेताओं ने भी वाशिंगटन के दंगों पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है और अमेरिकी कैपिटोल पर हमले की निंदा की है.
दुनिया के तमाम प्रधानमंत्रियों व राष्ट्रपतियों ने ट्रंप और उनके समर्थकों से अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम को स्वीकार करने का आग्रह किया है और शांतिपूर्ण व व्यवस्थित रूप से सत्ता के हस्तांतरण करने के लिए आग्रह किया है.
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर हालातों पर चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि वाशिंगटन डीसी में हुए दंगे चिंताजनक हैं. क्रमबद्ध और शांतिपूर्ण तरीके से सत्ता का हस्तांतरण जारी रहना चाहिए. लोकतांत्रिक प्रक्रिया को गैरकानूनी विरोध के माध्यम से विकृत नहीं होने दिया जा सकता है.
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने यूएस कैपिटोल हिंसा पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया. उन्होंने लिखा, संयुक्त राज्य अमेरिका दुनिया भर में लोकतंत्र के लिए जाना जाता है, अब यह महत्वपूर्ण है कि शक्ति का शांतिपूर्ण और सुव्यवस्थित स्थानांतरण होना चाहिए.
वहीं ब्रिटिश विदेश सचिव डॉमिनिक रैब ने ट्वीट कर कहा, अमेरिका ने सही मायने में अपने लोकतंत्र पर बहुत गर्व किया है. कानून के उचित स्थानांतरण को विफल करने के इस हिंसक प्रयास का कोई औचित्य नहीं हो सकता है.
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अमेरिका में हुई हिंसा की घटनाओं पर दुख जताया. उन्होंने ट्वीट कर लिखा, हिंसा से लोगों पर कभी काबू पाया जा सकता. अमेरिका में लोकतंत्र को बरकरार रखा जाना चाहिए.
इसके अलावा, प्रोफेसर हर्ष वी पंत, किंग्स कॉलेज लंदन और ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के विदेश नीति विशेषज्ञ ने ईटीवी भारत को बताया कि वाशिंगटन में जो हुआ है वह कई कारणों से बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है.
उन्होंने कहा यह अमेरिका की घरेलू राजनीति में अत्यंत नाजुक क्षण है और जिस राह पर ट्रंप चल रहे थे, उसका अंत कुछ इस तरह से होना था.
अपनी हार को संभालने में उनकी अपरिपक्वता, व्यक्तिगत एजेंडे को एक तरफ रखने में असमर्थता. विभाजित राष्ट्र को सामंजस्य से एक करने में नाकामी लोकतंत्र की संस्थागत अनिवार्यता का सम्मान करने में उनकी अक्षमता के परिणामस्वरूप देश अराजकता से घिर गया है.
इससे अमेरिकी विदेश नीति पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा क्योंकि चीन और रूस जैसे देश और शक्तिशाली बनेंगे. वह अमेरिका के नेतृत्व को स्वीकार नहीं करेंगे.
प्रोफेसर पंत ने कहा कि बाकी दुनिया के लिए जो या तो लोकतांत्रिक है या लोकतंत्र की ओर बढ़ रही है, यह इस बात की याद दिलाएगा कि अगर सत्ता गलत हाथों में हो तो स्थिति कितनी नाजुक हो सकती है.
2020 का अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव अमेरिकी राजनीति के इतिहास में सबसे ज्यादा अस्तव्यस्त रहा था. कैपिटोल पर हमले के कुछ ही देर बाद अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र ने इलेक्टोरल कॉलेज परिणामों के आधार पर जो बाइडेन की जीत को स्वीकार कर उनके अमेरिकी राष्ट्रपति बनने का रास्ता साफ कर दिया.
इसके तुरंत बाद डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट कर सत्ता के हस्तांतरण का वादा किया. हालांकि उन्होंने मुख्य धारा की राजनीति में सक्रीय रहने के संकेत दिए. इस बीच यह कयास भी लगाए जा रहे हैं कि ट्रंप 2024 में राष्ट्रपति पद के लिए फिर से चुनाव लड़ सकते हैं.
यह पूछे जाने पर कि अमेरिका में राजनीतिक अराजकता दुनिया को क्या संदेश देती है, प्रोफेसर पंत ने कहा, दुनिया के लिए, यह विचार करने का क्षण है. लोकतांत्रित संस्थाओं के लगाता विकसित होने की जरूरत है. लोकतंत्र के सफल होने के लिए व्यक्तिगत एजेंडा को एक तरफ रखने की आवश्यकता है.
पढ़ें-अमेरिका में हिंसा पर वैश्विक नेताओं ने जताई चिंता
भारत, जो अमेरिका की तुलना में अपेक्षाकृत नया लोकतंत्र है, ने उल्लेखनीय रूप से अच्छा प्रदर्शन किया है. भारत में लगभग सभी मामलों में सत्ता का शांतिपूर्ण हस्तांतरण हुआ है, लेकिन हमें सावधान रहना होगा.