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9/11 की बरसी से पहले अफगानिस्तान से सैनिकों को वापस लाएंगे : बाइडेन

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि 9/11 की बरसी से पहले अफगानिस्तान से सैनिकों को वापस बुला लिया जाएगा.

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन
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Published : Apr 16, 2021, 6:44 PM IST

वॉशिंगटन : अमेरिका अफगानिस्तान में बचे शेष सैनिकों को वापस बुलाने की योजना को तीन महीने टाल दिया है. बाइडेन ने संवादताओं को संबोधित करते हुए कहा कि 9/11 की बरसी से पहले हम अपने सैनिकों को वापस बुला लेंगे.

बाइडेन ने कहा कि हमारे सहयोगी और साझेदार लगभग 20 वर्षों से अफगानिस्तान में हमारे साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं. उन्होंने हमारे साझा मिशन के लिए जो योगदान दिया है. इसके लिए उन्होंने जो बलिदान दिया है, उसके लिए हम उनका बहुत आभारी हैं.

इससे पहले अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए (सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी) के निदेशक विलियम बर्न्स ने कहा है कि अफगानिस्तान में शांति सुनिश्चित करने के राजनयिक प्रयासों का समर्थन करने के लिए अमेरिका पाकिस्तान पर दबाव बनाता रहेगा.

उन्होंने कहा कि यह पाकिस्तान के दीर्घकालिक हित में है कि उसके युद्धग्रस्त पड़ोसी देश में असुरक्षा और अस्थिरता नहीं रहे क्योंकि इससे स्वयं उसके अपने हित प्रभावित होंगे. बर्न्स हाउस इंटेलिजेंस कमेटी के अध्यक्ष एडम शिफ के सवाल का जवाब दे रहे थे.

गुरुवार को एक बैठक में शिफ ने पूछा था कि अफगानिस्तान से हमारे सैनिकों की वापसी का आपके खयाल से पाकिस्तान से तालिबान के संबंधों, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के हक्कानी नेटवर्क और अन्य से संबंधों पर क्या प्रभाव पड़ेगा? अमेरिकी सेना की अनुपस्थिति में इनमें क्या बदलाव आएगा?

इस पर बर्न्स ने कहा कि राजनयिक प्रयासों के समर्थन में आज पाकिस्तान सकारात्मक भूमिका निभा रहा है, कम से कम उन प्रयासों में जो अमेरिका तथा अन्य देश कर रहे हैं ताकि अफगानिस्तान की सरकार और तालिबान के बीच जो गहरी खाई है से पाटी जा सके.

पढ़ें- अमेरिका ने रूसी राजनयिकों को निकाला, नए प्रतिबंध लगाए

उन्होंने सांसदों से कहा कि अफगानिस्तान में असुरक्षा और अस्थिरता को रोकने में पाकिस्तान का दीर्घकालिक हित है क्योंकि ये हालात बढ़ सकते हैं जो खुद पाकिस्तान के हितों के लिए नुकसानदायक होगा.

बर्न्स ने कहा कि इसलिए इस लिहाज से अफगानिस्तान में सुरक्षा में पाकिस्तान की भी भागीदारी बनी हुई है. वहीं, हम भी इस दिशा में उन पर दबाव बनाना जारी रखेंगे.

गौरतलब है कि व्हाइट हाउस प्रेस सचिव जेन पास्की ने कहा था कि अफगानिस्तान में बचे शेष सैनिकों को अमेरिका एक मई से पहले व्यवस्थित तरीके से वापस बुलाना शुरू करेगा और सभी अमेरिकी सैनिकों को वहां से 11 सितंबर से पहले वापस बुलाने की योजना है.

बाद में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा था कि अमेरिका के सबसे लंबे युद्ध को खत्म करने का वक्त आ गया है. अमेरिकी सैनिकों के घर लौटने का वक्त आ गया है.

झाओ ने यह भी कहा था कि अफगानिस्तान के गृह युद्ध का हल तलाशने के लिए 20 अप्रैल से चार मई तक इस्तांबुल में अफगानिस्तान पर होने वाले संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में चीन शरीक होगा.

वॉशिंगटन : अमेरिका अफगानिस्तान में बचे शेष सैनिकों को वापस बुलाने की योजना को तीन महीने टाल दिया है. बाइडेन ने संवादताओं को संबोधित करते हुए कहा कि 9/11 की बरसी से पहले हम अपने सैनिकों को वापस बुला लेंगे.

बाइडेन ने कहा कि हमारे सहयोगी और साझेदार लगभग 20 वर्षों से अफगानिस्तान में हमारे साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं. उन्होंने हमारे साझा मिशन के लिए जो योगदान दिया है. इसके लिए उन्होंने जो बलिदान दिया है, उसके लिए हम उनका बहुत आभारी हैं.

इससे पहले अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए (सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी) के निदेशक विलियम बर्न्स ने कहा है कि अफगानिस्तान में शांति सुनिश्चित करने के राजनयिक प्रयासों का समर्थन करने के लिए अमेरिका पाकिस्तान पर दबाव बनाता रहेगा.

उन्होंने कहा कि यह पाकिस्तान के दीर्घकालिक हित में है कि उसके युद्धग्रस्त पड़ोसी देश में असुरक्षा और अस्थिरता नहीं रहे क्योंकि इससे स्वयं उसके अपने हित प्रभावित होंगे. बर्न्स हाउस इंटेलिजेंस कमेटी के अध्यक्ष एडम शिफ के सवाल का जवाब दे रहे थे.

गुरुवार को एक बैठक में शिफ ने पूछा था कि अफगानिस्तान से हमारे सैनिकों की वापसी का आपके खयाल से पाकिस्तान से तालिबान के संबंधों, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के हक्कानी नेटवर्क और अन्य से संबंधों पर क्या प्रभाव पड़ेगा? अमेरिकी सेना की अनुपस्थिति में इनमें क्या बदलाव आएगा?

इस पर बर्न्स ने कहा कि राजनयिक प्रयासों के समर्थन में आज पाकिस्तान सकारात्मक भूमिका निभा रहा है, कम से कम उन प्रयासों में जो अमेरिका तथा अन्य देश कर रहे हैं ताकि अफगानिस्तान की सरकार और तालिबान के बीच जो गहरी खाई है से पाटी जा सके.

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उन्होंने सांसदों से कहा कि अफगानिस्तान में असुरक्षा और अस्थिरता को रोकने में पाकिस्तान का दीर्घकालिक हित है क्योंकि ये हालात बढ़ सकते हैं जो खुद पाकिस्तान के हितों के लिए नुकसानदायक होगा.

बर्न्स ने कहा कि इसलिए इस लिहाज से अफगानिस्तान में सुरक्षा में पाकिस्तान की भी भागीदारी बनी हुई है. वहीं, हम भी इस दिशा में उन पर दबाव बनाना जारी रखेंगे.

गौरतलब है कि व्हाइट हाउस प्रेस सचिव जेन पास्की ने कहा था कि अफगानिस्तान में बचे शेष सैनिकों को अमेरिका एक मई से पहले व्यवस्थित तरीके से वापस बुलाना शुरू करेगा और सभी अमेरिकी सैनिकों को वहां से 11 सितंबर से पहले वापस बुलाने की योजना है.

बाद में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा था कि अमेरिका के सबसे लंबे युद्ध को खत्म करने का वक्त आ गया है. अमेरिकी सैनिकों के घर लौटने का वक्त आ गया है.

झाओ ने यह भी कहा था कि अफगानिस्तान के गृह युद्ध का हल तलाशने के लिए 20 अप्रैल से चार मई तक इस्तांबुल में अफगानिस्तान पर होने वाले संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में चीन शरीक होगा.

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