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ओमीक्रोन वेरिएंट को अवरुद्ध कर सकने वाली एंटीबॉडी की पहचान

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Published : Dec 29, 2021, 4:19 PM IST

कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमीक्रोन (Omicron variant) को निष्क्रिय करने वाली एंटीबॉडी (antibodies) की पहचान की गई है. विज्ञान पत्रिका 'नेचर' में प्रकाशित शोध के मुताबिक इस अनुसंधान से टीका तैयार करने और एंटीबॉडी से उपचार में मदद मिल सकती है.

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प्रतीकात्मक फोटो

वॉशिंगटन : वैज्ञानिकों ने ऐसी एंटीबॉडी (antibodies) की पहचान की है जो कोरोना वायरस के नए स्वरूप ओमीक्रोन और अन्य स्वरूपों को उन स्थानों को निशाना बनाकर निष्क्रिय कर सकते हैं, जो वायरस परिवर्तित होने के बाद भी वास्तव में नहीं बदलते हैं.

यह अध्ययन विज्ञान पत्रिका 'नेचर' में प्रकाशित हुआ है और इस अनुसंधान से टीका तैयार करने और एंटीबॉडी से उपचार में मदद मिल सकती है जोकि न केवल ओमीक्रोन बल्कि भविष्य में उभरने वाले अन्य स्वरूपों के खिलाफ भी प्रभावी होगा.

अमेरिका में 'यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन स्कूल ऑफ मेडिसिन' के सहायक प्रोफेसर डेविड वेसलर ने कहा, 'यह अध्ययन यह बताता है कि स्पाइक प्रोटीन पर अत्यधिक संरक्षित स्थानों को निशाना बनाने वाले एंटीबॉडी पर ध्यान केंद्रित करके वायरस के निरंतर विकास से छुटकारा पाने का तरीका निकाला जा सकता है.'

कोरोना वायरस के ओमीक्रोन स्वरूप में असामान्य रूप से स्पाइक प्रोटीन में 35 परिवर्तन (म्यूटेशन) हैं, जिसका इस्तेमाल वायरस मानव कोशिकाओं में प्रवेश करने और संक्रमित करने में करते हैं. ऐसा माना जाता है कि ये परिवर्तन आंशिक रूप से इन बदलावों की व्याख्या करते हैं कि नए स्वरूप इतनी तेजी से फैलने में क्यों सक्षम होते हैं, क्यों उन लोगों को भी संक्रमित करते हैं जिन्होंने टीके की खुराक ली है और उन लोगों को भी क्यों संक्रमित कर देते हैं जो पहले भी संक्रमित हो चुके हैं.

पढ़ें- Omicron Threat : नव वर्ष 2022 पर महामारी का साया, अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे देशों में प्रतिबंध

वेसलर ने कहा कि वे इनसे संबंधित सवालों के जवाब तलाश रहे थे कि ये नए स्वरूप प्रतिरक्षा प्रणाली और एंटीबॉडी की प्रतिक्रियाओं से कैसे बचते हैं. इन परिवर्तनों के प्रभाव का आकलन करने के लिए अनुसंधानकर्ताओं ने एक अक्षम, प्रतिकृति न बना सकने वाला ‘सूडो वायरस’ तैयार किया और इसके सहारे यह अध्ययन किया.

(पीटीआई-भाषा)

वॉशिंगटन : वैज्ञानिकों ने ऐसी एंटीबॉडी (antibodies) की पहचान की है जो कोरोना वायरस के नए स्वरूप ओमीक्रोन और अन्य स्वरूपों को उन स्थानों को निशाना बनाकर निष्क्रिय कर सकते हैं, जो वायरस परिवर्तित होने के बाद भी वास्तव में नहीं बदलते हैं.

यह अध्ययन विज्ञान पत्रिका 'नेचर' में प्रकाशित हुआ है और इस अनुसंधान से टीका तैयार करने और एंटीबॉडी से उपचार में मदद मिल सकती है जोकि न केवल ओमीक्रोन बल्कि भविष्य में उभरने वाले अन्य स्वरूपों के खिलाफ भी प्रभावी होगा.

अमेरिका में 'यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन स्कूल ऑफ मेडिसिन' के सहायक प्रोफेसर डेविड वेसलर ने कहा, 'यह अध्ययन यह बताता है कि स्पाइक प्रोटीन पर अत्यधिक संरक्षित स्थानों को निशाना बनाने वाले एंटीबॉडी पर ध्यान केंद्रित करके वायरस के निरंतर विकास से छुटकारा पाने का तरीका निकाला जा सकता है.'

कोरोना वायरस के ओमीक्रोन स्वरूप में असामान्य रूप से स्पाइक प्रोटीन में 35 परिवर्तन (म्यूटेशन) हैं, जिसका इस्तेमाल वायरस मानव कोशिकाओं में प्रवेश करने और संक्रमित करने में करते हैं. ऐसा माना जाता है कि ये परिवर्तन आंशिक रूप से इन बदलावों की व्याख्या करते हैं कि नए स्वरूप इतनी तेजी से फैलने में क्यों सक्षम होते हैं, क्यों उन लोगों को भी संक्रमित करते हैं जिन्होंने टीके की खुराक ली है और उन लोगों को भी क्यों संक्रमित कर देते हैं जो पहले भी संक्रमित हो चुके हैं.

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वेसलर ने कहा कि वे इनसे संबंधित सवालों के जवाब तलाश रहे थे कि ये नए स्वरूप प्रतिरक्षा प्रणाली और एंटीबॉडी की प्रतिक्रियाओं से कैसे बचते हैं. इन परिवर्तनों के प्रभाव का आकलन करने के लिए अनुसंधानकर्ताओं ने एक अक्षम, प्रतिकृति न बना सकने वाला ‘सूडो वायरस’ तैयार किया और इसके सहारे यह अध्ययन किया.

(पीटीआई-भाषा)

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