वॉशिंगटन : अमेरिका सभी विरोधी स्वरों को अनसुना करते हुए ईरान के खिलाफ लगी सभी अंतरराष्ट्रीय पाबंदियां फिर से बहाल करने की घोषणा करने की तैयारी कर रहा है.
इस मुद्दे पर अमेरिका अन्य देशों से बिलकुल अलग-थलग है. ट्रंप प्रशासन शनिवार को यह घोषणा करेगा कि 2015 के परमाणु समझौते के तहत ईरान पर संयुक्त राष्ट्र की जिन पाबंदियों में ढील दी गई थी, उन्हें फिर से लागू कर दिया गया है. हालांकि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अन्य सदस्य जिनमें कुछ अमेरिकी सहयोगी भी हैं, वह इस कदम से असहमत हैं और इसे नजरअंदाज करने का संकल्प ले चुके हैं.
अब सवाल यह है कि ट्रंप प्रशासन इस उपेक्षा को किस तरह लेगा. वह ईरान पर पहले ही कड़ी पाबंदियां लगा चुका है और उन देशों पर भी जुर्माना लगा सकता है जो संयुक्त राष्ट्र की पाबंदियों को फिर से लागू नहीं करेंगे.
अमेरिकी कदम को सिरे से अस्वीकार करने पर प्रशासन जो पहले ही संयुक्त राष्ट्र की कई एजेंसियों, संगठनों और संधियों से कदम पीछे खींच चुका है वह अंतरराष्ट्रीय बिरादरी से और दूर चला जाएगा. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को महासभा में अपने संबोधन में ईरान का जिक्र किए थे.
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इस सब के पीछे नवंबर में होने जा रहे राष्ट्रपति चुनाव के मद्देनजर ट्रंप की कुशल राजनीतिज्ञ की छवि बनाने की कवायद भी है. उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि ईरान अन्य देशों में उसके जवानों पर हमला करता है तो अमेरिका उसके खिलाफ हजार गुना अधिक सख्त रुख अपनाएगा.