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अमेरिका का ओपन स्काई संधि से अलग होने का एलान - राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार

डोनाल्ड ट्रंप की ओपन स्काई संधि से हटने की धमकी के लगभग छह महीने बाद आज अमेरिका ने संधि से अलग होने का फैसला किया है.

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Published : Nov 23, 2020, 4:18 PM IST

वॉशिंगटन : अमेरिका ने अंतरराष्ट्रीय हथियार नियंत्रण समझौते से पीछे हटते हुए एक और कदम उठाया और ओपन स्काई संधि से आधिकारिक रूप से वापसी की घोषणा की. आज छह महीने के बाद अमेरिका ने ओपन स्काई संधि से अपने अलग होने की सूचना दी. इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संधि को छोड़ने की धमकी दी थी.

सिन्हुआ समाचार एजेंसी ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओ-ब्रायन के हवाले से एक ट्वीट में कहा कि अब हम इस संधि के पक्ष में नहीं है, क्योंकि रूस ने वर्षों तक इस संधि का उल्लंघन किया.

इस संबंध में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि जो संधियां हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालती हैं और हमारे विरोधियों को फायदा पहुंचाती हैं. हमने उन पुरानी संधियों और समझौतों से हटकर अमेरिका को आगे रखा है.

2002 में प्रभावी हुई संधि का मकसद 34 सदस्य देशों को एक-दूसरे के वायुक्षेत्र में निगरानी करना और उड़ानों की अनुमति देना है, ताकि उनमें आपसी विश्वास मजबूत हो सके.

हालांकि, अमेरिका और रूस एक दूसरे पर संधि के उल्लंघन का आरोप लगाते रहे हैं.

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, वॉशिंगटन और मॉस्को ने अपने क्षेत्रों में उड़ानों पर कुछ प्रतिबंध लगाए हैं. हवाई और कुछ अन्य अमेरिकी ठिकानों को बंद कर दिया गया है.

पढ़ें - पेरिस जलवायु समझौते का उद्देश्य अमेरिकी अर्थव्यस्था को बर्बाद करना: ट्रंप

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2019 तक 1,500 से ज्यादा ओपन स्काईज फ्लाइट का सौदा हो चुका है.

हालांकि, संधि से अमेरिका के अलग होने पर कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि संधि से एक तरफा अमेरिका का बाहर निकलना अपने नाटो सहयोगियों के प्रति अमेरिका की प्रतिबद्धता को कमजोर करेगा.

वॉशिंगटन : अमेरिका ने अंतरराष्ट्रीय हथियार नियंत्रण समझौते से पीछे हटते हुए एक और कदम उठाया और ओपन स्काई संधि से आधिकारिक रूप से वापसी की घोषणा की. आज छह महीने के बाद अमेरिका ने ओपन स्काई संधि से अपने अलग होने की सूचना दी. इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संधि को छोड़ने की धमकी दी थी.

सिन्हुआ समाचार एजेंसी ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओ-ब्रायन के हवाले से एक ट्वीट में कहा कि अब हम इस संधि के पक्ष में नहीं है, क्योंकि रूस ने वर्षों तक इस संधि का उल्लंघन किया.

इस संबंध में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि जो संधियां हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालती हैं और हमारे विरोधियों को फायदा पहुंचाती हैं. हमने उन पुरानी संधियों और समझौतों से हटकर अमेरिका को आगे रखा है.

2002 में प्रभावी हुई संधि का मकसद 34 सदस्य देशों को एक-दूसरे के वायुक्षेत्र में निगरानी करना और उड़ानों की अनुमति देना है, ताकि उनमें आपसी विश्वास मजबूत हो सके.

हालांकि, अमेरिका और रूस एक दूसरे पर संधि के उल्लंघन का आरोप लगाते रहे हैं.

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, वॉशिंगटन और मॉस्को ने अपने क्षेत्रों में उड़ानों पर कुछ प्रतिबंध लगाए हैं. हवाई और कुछ अन्य अमेरिकी ठिकानों को बंद कर दिया गया है.

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2019 तक 1,500 से ज्यादा ओपन स्काईज फ्लाइट का सौदा हो चुका है.

हालांकि, संधि से अमेरिका के अलग होने पर कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि संधि से एक तरफा अमेरिका का बाहर निकलना अपने नाटो सहयोगियों के प्रति अमेरिका की प्रतिबद्धता को कमजोर करेगा.

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