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इथियोपिया के पीएम ने कहा- सेना को टिग्रे की ओर बढ़ने का दिया गया आदेश

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Published : Nov 26, 2020, 9:49 PM IST

इथियोपिया के प्रधानमंत्री अबी अहमद ने कहा कि सेना को टिग्रे की राजधानी की ओर बढ़ने का आदेश दिया गया है. पढ़ें पूरी खबर..

इथियोपिया के पीएम
इथियोपिया के पीएम

नैरोबी : इथियोपिया के प्रधानमंत्री ने गुरुवार को कहा कि टिग्रे नेताओं को आत्मसमर्पण करने के लिए दी गई 72 घंटे की समयसीमा के समाप्त हो जाने के बाद सेना को अशांत टिग्रे प्रांत की राजधानी मेकेले की ओर बढ़ने का आदेश दिया गया है.

इसके साथ ही नगर के करीब पांच लाख निवासियों को चेतावनी दी गयी है कि वे घरों के अंदर ही रहें.

प्रधानमंत्री अबी अहमद के कार्यालय ने कहा कि तीन सप्ताह की लड़ाई के बाद सैन्य कार्रवाई अपने अंतिम चरण में पहुंच गई है. इसका अर्थ है कि सेना टैंक और अन्य हथियारों के साथ मेकेले की ओर बढ़ सकती है. नगर के निवासियों को चेतावनी दी गयी है कि अगर वे टिग्रे नेताओं से दूरी नहीं बनाते हैं, तो उनके साथ कोई नरमी नहीं बरती जाएगी.

विभिन्न अधिकार समूहों ने ताजा घटनाक्रम को लेकर चिंता जतायी और कहा कि ऐसे बयानों से अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन हो सकता है और नागरिकों की मुसीबतें और बढ़ सकती हैं.

प्रधानमंत्री के बयान में कहा गया है कि बुधवार शाम को समाप्त हुई 72 घंटे की समयसीमा में हजारों टिग्रे लड़ाकों ने आत्मसमर्पण किया. इसमें कहा गया है कि हम नागरिकों की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखेंगे.

इस बीच संयुक्त राष्ट्र ने लोगों के शहर से भागने की सूचना दी है, लेकिन संचार और परिवहन संपर्क टूटे हुए हैं. ऐसे में यह स्पष्ट नहीं है कि मेकेले में कितने लोगों को समय से चेतावनी मिली. टिग्रे के क्षेत्रीय नेताओं से तत्काल संपर्क नहीं हो सका है.

अंतरराष्ट्रीय समुदाय तत्काल सैनिकों की वापसी, बातचीत और मानवीय पहुंच के लिए अनुरोध कर रहा है. पिछले साल के नोबेल शांति पुरस्कार विजेता अबी ने अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप को खारिज कर दिया है. उनकी सरकार ने कहा है कि संघर्ष के मुद्दे पर अफ्रीकी संघ के तीन उच्च-स्तरीय दूत अबी के साथ मिल सकते हैं लेकिन वे टिग्रे नेताओं के साथ नहीं मिल सकते.

यह भी पढ़ें- जानें, इथोपिया के पीएम को क्यों मिला नोबेल अवार्ड

इथियोपिया की सेना और टिग्रे पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट के भारी सशस्त्र बलों के बीच चार नवंबर को लड़ाई शुरू हो गयी थी. टिग्रे पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट एक समय इथियोपिया की सरकार में हावी था लेकिन अबी के शासन में उसे दरकिनार कर दिया गया था. दोनों सरकारें अब एक-दूसरे को अवैध मानती हैं.

संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि टिग्रे क्षेत्र में आवश्यक वस्तुओं की भारी कमी हो गयी है और करीब 60 लाख की आबादी नाकेबंदी से पीड़ित है.

नैरोबी : इथियोपिया के प्रधानमंत्री ने गुरुवार को कहा कि टिग्रे नेताओं को आत्मसमर्पण करने के लिए दी गई 72 घंटे की समयसीमा के समाप्त हो जाने के बाद सेना को अशांत टिग्रे प्रांत की राजधानी मेकेले की ओर बढ़ने का आदेश दिया गया है.

इसके साथ ही नगर के करीब पांच लाख निवासियों को चेतावनी दी गयी है कि वे घरों के अंदर ही रहें.

प्रधानमंत्री अबी अहमद के कार्यालय ने कहा कि तीन सप्ताह की लड़ाई के बाद सैन्य कार्रवाई अपने अंतिम चरण में पहुंच गई है. इसका अर्थ है कि सेना टैंक और अन्य हथियारों के साथ मेकेले की ओर बढ़ सकती है. नगर के निवासियों को चेतावनी दी गयी है कि अगर वे टिग्रे नेताओं से दूरी नहीं बनाते हैं, तो उनके साथ कोई नरमी नहीं बरती जाएगी.

विभिन्न अधिकार समूहों ने ताजा घटनाक्रम को लेकर चिंता जतायी और कहा कि ऐसे बयानों से अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन हो सकता है और नागरिकों की मुसीबतें और बढ़ सकती हैं.

प्रधानमंत्री के बयान में कहा गया है कि बुधवार शाम को समाप्त हुई 72 घंटे की समयसीमा में हजारों टिग्रे लड़ाकों ने आत्मसमर्पण किया. इसमें कहा गया है कि हम नागरिकों की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखेंगे.

इस बीच संयुक्त राष्ट्र ने लोगों के शहर से भागने की सूचना दी है, लेकिन संचार और परिवहन संपर्क टूटे हुए हैं. ऐसे में यह स्पष्ट नहीं है कि मेकेले में कितने लोगों को समय से चेतावनी मिली. टिग्रे के क्षेत्रीय नेताओं से तत्काल संपर्क नहीं हो सका है.

अंतरराष्ट्रीय समुदाय तत्काल सैनिकों की वापसी, बातचीत और मानवीय पहुंच के लिए अनुरोध कर रहा है. पिछले साल के नोबेल शांति पुरस्कार विजेता अबी ने अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप को खारिज कर दिया है. उनकी सरकार ने कहा है कि संघर्ष के मुद्दे पर अफ्रीकी संघ के तीन उच्च-स्तरीय दूत अबी के साथ मिल सकते हैं लेकिन वे टिग्रे नेताओं के साथ नहीं मिल सकते.

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इथियोपिया की सेना और टिग्रे पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट के भारी सशस्त्र बलों के बीच चार नवंबर को लड़ाई शुरू हो गयी थी. टिग्रे पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट एक समय इथियोपिया की सरकार में हावी था लेकिन अबी के शासन में उसे दरकिनार कर दिया गया था. दोनों सरकारें अब एक-दूसरे को अवैध मानती हैं.

संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि टिग्रे क्षेत्र में आवश्यक वस्तुओं की भारी कमी हो गयी है और करीब 60 लाख की आबादी नाकेबंदी से पीड़ित है.

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