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इथियोपिया: नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित पीएम अबी ने संभाली युद्ध की कमान

इथियोपिया के प्रधानमंत्री अबी अहमद (Abiy Ahmed) ने देश से जुड़े दैनिक कामों की जिम्मेदारी उपप्रधानमंत्री को सौंप दी है. इथियोपिया में चल रहे युद्ध में हजारों लोगों की मौत हो चूंकी है. बता दें कि पीएम एबी को नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा जा चुका है.

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Published : Nov 24, 2021, 9:23 PM IST

नैरोबी: इथियोपिया की सरकार ने बुधवार को कहा कि प्रधानमंत्री अबी अहमद (Abiy Ahmed) देश में चल रहे युद्ध की कमान संभालने के लिए युद्ध के मैदान में गए हैं और देश को चलाने से संबंधित दैनिक कामकाज का दायित्व उपप्रधानमंत्री को सौंप दिया है.

साल 2019 में पीएम अबी अहमद अली को नोबल शांति पुरस्कार देने की घोषणा की गई थी. उन्होंने अपने पड़ोसी देश इरीट्रिया के साथ शांति समझौते को लेकर विशेष पहल की थी. इसके मद्देनजर उन्हें शांति पुरस्कार दिया गया था.

सरकार के प्रवक्ता लेगेसे तुलु ने संवाददाताओं को बताया कि प्रधानमंत्री मंगलवार को युद्ध क्षेत्र में पहुंचे हैं हालांकि उन्होंने उनके ठिकाने का विवरण नहीं दिया. उन्होंने बताया कि उप प्रधानमंत्री देमेके मेकोन्नेन दिन-प्रतिदिन के सरकारी कामकाज को देख रहे हैं.

अफ्रीका के दूसरे सबसे अधिक आबादी वाले देश इथियोपिया में युद्ध ने हजारों लोगों की जान ले ली है. फ्रांस, जर्मनी और तुर्की सहित कई देशों ने अपने नागरिकों से कहा है कि वे तत्काल इथियोपिया छोड़ दें क्योंकि उत्तरी टिग्रे क्षेत्र से प्रतिद्वंद्वी लड़ाके राजधानी अदीस अबाबा की ओर बढ़ रहे हैं.

ये पढ़ें: इथियोपिया ने 'सभी सक्षम' नागरिकों से टिग्रे युद्ध में शामिल होने का किया आह्वान

एक अमेरिकी सूत्र ने मंगलवार को संवाददाताओं को बताया कि उसे डर है कि दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थता के प्रयासों में हुई मामूली प्रगति चिंताजनक गति से बढ़ती सैन्य गतिविधियों के बीच पीछे छूट सकती है.

गौरतलब है कि इथियोपिया एक बहु-जातीय राष्ट्र है और इसकी नाजुक एकता को बनाए रखने के लिए संघीय व्यवस्था की आवश्यकता है. ओरोमो सबसे बड़ा जातीय समूह है, जिसमें इथियोपिया की 34 फीसदी आबादी शामिल है, अम्हरारस 27 प्रतिशत और सोमालिस और टाइग्रैन्स प्रत्येक आबादी का लगभग 6 प्रतिशत हिस्सा हैं.

इस जातीय विविधता को संघीय शासन के इथियोपियाई मॉडल में मान्यता प्राप्त है. प्रमुख समूह अपने क्षेत्रों के प्रशासन को संभालते हैं और संविधान प्रत्येक प्रांत को एकांत का अधिकार भी देता है.

ये पढ़ें: गृह युद्ध की ओर बढ़ता इथोपिया, फिर देश को ढकेल सकता है पीछे

किसी भी देश में राजनीतिक परिवर्तन एक कठिन प्रक्रिया होती है. इसके माध्यम से मार्गदर्शन करने के लिए एक कठिन नेतृत्व की आवश्यकता होती है. राजनीतिक परिवर्तन से आमतौर पर कुछ लोगों को लाभ होता है, लेकिन इसके साथ नेतृत्व में असहमति हो सकती है या शत्रुता को बढ़ावा मिलता है. जैसे इथोपिया में देखने को मिल रहा, जहां सियासी खींचतान के बीच देश पर गृह युद्ध का खतरा मंडरा रहा है.

(पीटीआई-भाषा)

नैरोबी: इथियोपिया की सरकार ने बुधवार को कहा कि प्रधानमंत्री अबी अहमद (Abiy Ahmed) देश में चल रहे युद्ध की कमान संभालने के लिए युद्ध के मैदान में गए हैं और देश को चलाने से संबंधित दैनिक कामकाज का दायित्व उपप्रधानमंत्री को सौंप दिया है.

साल 2019 में पीएम अबी अहमद अली को नोबल शांति पुरस्कार देने की घोषणा की गई थी. उन्होंने अपने पड़ोसी देश इरीट्रिया के साथ शांति समझौते को लेकर विशेष पहल की थी. इसके मद्देनजर उन्हें शांति पुरस्कार दिया गया था.

सरकार के प्रवक्ता लेगेसे तुलु ने संवाददाताओं को बताया कि प्रधानमंत्री मंगलवार को युद्ध क्षेत्र में पहुंचे हैं हालांकि उन्होंने उनके ठिकाने का विवरण नहीं दिया. उन्होंने बताया कि उप प्रधानमंत्री देमेके मेकोन्नेन दिन-प्रतिदिन के सरकारी कामकाज को देख रहे हैं.

अफ्रीका के दूसरे सबसे अधिक आबादी वाले देश इथियोपिया में युद्ध ने हजारों लोगों की जान ले ली है. फ्रांस, जर्मनी और तुर्की सहित कई देशों ने अपने नागरिकों से कहा है कि वे तत्काल इथियोपिया छोड़ दें क्योंकि उत्तरी टिग्रे क्षेत्र से प्रतिद्वंद्वी लड़ाके राजधानी अदीस अबाबा की ओर बढ़ रहे हैं.

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एक अमेरिकी सूत्र ने मंगलवार को संवाददाताओं को बताया कि उसे डर है कि दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थता के प्रयासों में हुई मामूली प्रगति चिंताजनक गति से बढ़ती सैन्य गतिविधियों के बीच पीछे छूट सकती है.

गौरतलब है कि इथियोपिया एक बहु-जातीय राष्ट्र है और इसकी नाजुक एकता को बनाए रखने के लिए संघीय व्यवस्था की आवश्यकता है. ओरोमो सबसे बड़ा जातीय समूह है, जिसमें इथियोपिया की 34 फीसदी आबादी शामिल है, अम्हरारस 27 प्रतिशत और सोमालिस और टाइग्रैन्स प्रत्येक आबादी का लगभग 6 प्रतिशत हिस्सा हैं.

इस जातीय विविधता को संघीय शासन के इथियोपियाई मॉडल में मान्यता प्राप्त है. प्रमुख समूह अपने क्षेत्रों के प्रशासन को संभालते हैं और संविधान प्रत्येक प्रांत को एकांत का अधिकार भी देता है.

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किसी भी देश में राजनीतिक परिवर्तन एक कठिन प्रक्रिया होती है. इसके माध्यम से मार्गदर्शन करने के लिए एक कठिन नेतृत्व की आवश्यकता होती है. राजनीतिक परिवर्तन से आमतौर पर कुछ लोगों को लाभ होता है, लेकिन इसके साथ नेतृत्व में असहमति हो सकती है या शत्रुता को बढ़ावा मिलता है. जैसे इथोपिया में देखने को मिल रहा, जहां सियासी खींचतान के बीच देश पर गृह युद्ध का खतरा मंडरा रहा है.

(पीटीआई-भाषा)

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