कांगो: घातक इबोला वायरस का प्रकोप इतना बढ़ गया है कि इसे अब एक अंतरराष्ट्रीय आपातकाल घोषित कर दिया गया है. इबोला की वजह से अब तक 1,600 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. ये इतिहास में दूसरा सबसे खराब प्रकोप माना गया है.
डॉ. कांबले सोंगो फिलोमन बेनी एक इबोला चिकित्सा केंद्र में काम करते हैं. पिछले नवंबर में जब वह शहर के एक अस्पताल के आपातकालीन कक्ष में तैनात थे तब वो खुद इस घातक बीमारी के शिकार हो गए थे.
पढें- डीआर कांगो में इबोला से हजार से ज्यादा लोगों की मौत
उन्होंने अपने अनुभव के बारे में ब्रिटिश चैनल स्काई न्यूज से बात करते हुए बताया, 'मुझे इतना बुरा कभी नहीं लगा था इसलिए मैंने रक्त की जांच कराने के लिए कहा.'
उन्होंने कहा कि अन्य डॉक्टरों को उनके इबोला से ग्रसित होने का अंदेशा था. लेकिन वह कह रहे थे कि मुझे इबोला नहीं हो सकता है.' लेकिन जिस तरह से मैं महसूस कर रहा था, वह केवल इबोला ही हो सकता था.' फिलेमोन ने बताया कि यह भय बहुत बड़ा था क्योंकि मैं जीवन और मृत्यु के बीच था.
उन्होंने कहा कि वह भाग्यशाली हैं क्योंकि जब उन्हें पता चला कि वो इस वायरस से ग्रसित हैं, जब उनकी पत्नी और बच्चे छुट्टी पर गए थे, उन्होंने कहा कि इसलिए वे संक्रमित नहीं हुए.
गौरतलब है कि एक साल पहले इबोला को अंतरराष्ट्रीय आपातकाल घोषित किए जाने के बाद अभी भी सूडान और इसकी कमजोर स्वास्थ्य प्रणाली से इबोला का इलाज मुश्किल है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि रोकथाम के प्रयासों को तत्काल बढ़ाने की आवश्यकता है.