नई दिल्ली : 'आदिपुरुष' में 'हनुमान' के डायलॉग पर हुए विवाद पर मनोज मुंतशिर ने अपनी ओर से सफाई दी है और कहा है कि फिल्म के संवाद पर फैलायी जा रही अफवाहों पर ध्यान नहीं देना चाहिए. मनोज मुंतशिर ने कहा है कि फिल्म केवल मनोरंजन व युवा पीढ़ी को कनेक्ट करने के उद्देश्य से ऐसे संवादों के साथ बनायी गयी है, ताकि आज की पीढ़ी के लोग उसे अपने हिसाब से देख व समझ सकें. उनका उद्देश्य कोई धार्मिक फिल्म बनाना या संपूर्ण रामायण बनाना नहीं था. केवल रामायण के एक प्रसंग को लेकर लोगों का मनोरंजन करना था.
मनोज मुंतशिर ने टीवी चैनल पर प्रतिक्रिया देते हुए बताया है कि उन्होंने ऐसा डायलॉग जानबूझ कर लिखा है और एक वर्ग को ध्यान में रखकर लिखा गया है, ताकि वह ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच सके. वह अपनी बातों के समर्थन में कई तर्क भी दे रहे हैं. मनोज मुंतशिर ने साफ किया कि फिल्म में हनुमान के किरदार के अलावा भगवान राम के और सीता के उन संवादों की चर्चा क्यों नहीं हो रही हैं जो एक खास तरह का संदेश देने वाले हैं. सिर्फ हनुमान जी के द्वारा बोले गए डायलॉग्स की ही बात क्यों हो रही हैं. आगे बात करते हुए उन्होंने कहा कि फिल्म में डायलॉग लिखने के अलावा मैंने गाने भी मैंने ही लिखे हैं. जो कि काफी अच्छे हैं लेकिन उनके बारे में भी कोई बात नहीं कर रहा.
मनोज मुंतशिर ने साफ किया है कि एक फिल्म में कई तरह के किरदार होते हैं और हर किरदार केवल एक भाषा में बात नहीं कर सकता है. एक लेखक के रूप में उन्होंने अपनी आजादी लेते हुए ये डायलॉग लिखे हैं. मनोज मुंतशिर ने साफ किया कि 'लंका लगा देना' एक मुहावरा है और ये न असभ्यता नहीं और न ही असंसदीय. मनोज मुंतशिर ने विरोध करने व सवाल उठा रहे लोगों से कहा कि फिल्म 'आदिपुरुष' को देखें या न देखें यह पूरी तरह से आपकी मर्जी हो सकती है. अगर देख रहे हैं तो जानकारियों को अपने हिसाब से जज करें और अफवाहों का शिकार न बनें.
मनोज मुंतशिर ने कहा कि वह खुद दर्शकों के बीच जाकर फिल्म देख चुके हैं. उन्होंने महसूस किया कि दर्शक कैसे फिल्म के मनोरंजन का आनंद ले रहे हैं. उन्होंने मास्क लगाकर फिल्म थिएटर में आम लोगों के बीच बैठकर आम पब्लिक की तरह फिल्म देखी और महसूस किया कि लोग इसे पसंद कर रहे हैं. कुछ खास लोग जानबूझकर विवाद पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि उनको टारगेट किया जा सके.
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