मुंबई: पंकज त्रिपाठी अपनी आगामी फिल्म 'मैं अटल हूं' लेकर आने के लिए पूरी तरह तैयार हैं. फिल्म में वो पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भूमिका निभा रहे है. फिल्म अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन के इर्द-गिर्द घूमती है.
न्यूज एजेंसी के साथ एक इंटरव्यू में पंकज त्रिपाठी ने भूमिका के लिए खुद को कैसे तैयार किया, यह साझा करते हुए कहा, 'मैं डरा हुआ था, मैं इसे कैसे करूंगा, मुझे नहीं पता कि क्या होगा, कैसे होगा, मुझे यह सोचने में सात-आठ दिन लग गए. मैंने अपने दोस्तों के सुझाव भी लिए. उन्हें लगा कि मैं सही व्यक्ति हूं. तब भानुशाली (निर्माता विनोद भानुशाली) ने कहा, 'अगर आप ऐसा नहीं करेंगे तो मैं यह फिल्म नहीं बनाऊंगा.' डर है कि मैं आदरणीय अटल जी के चरित्र के साथ कितना न्याय कर पाऊंगा. मुझे नहीं पता था कि मैं कितनी नकल करता हूं क्योंकि मैं अनुकरण और नकल करना नहीं जानता था, यही चुनौती थी. वह एक विशाल व्यक्तित्व हैं और यह उस शख्सियत की कहानी को सिनेमा पर दो घंटे की कहानी में लाना संभव नहीं है.'
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पूर्व प्रधान मंत्री को साहित्य से गहरा प्रेम था और उन्होंने कई कविताएं भी लिखीं. यह याद करते हुए कि उन्होंने फिल्म में उन कविताओं को कैसे सुनाया था, पंकज ने कहा, 'मैंने फिल्म में अटल जी की कविताओं को सुनाया है लेकिन यह बिल्कुल उसी तरह नहीं है जैसा उन्होंने किया था. सार को बनाए रखा गया है, कुछ स्थानों पर विराम हैं, लेकिन थोड़ा ट्विस्ट किया गया है. फिल्म में कुछ जगहों पर अटल जी की आवाज में भी कविता सुनाई गई है.'
उन्होंने आगे कहा, 'यह बटेश्वर के एक बच्चे की कहानी है जो बाद में कवि और राजनेता बन जाता है जिसका नाम अटल बिहारी वाजपेयी है और वह प्रधानमंत्री बनता है. इस फिल्म के शोध में मैंने पाया है कि एक आदमी को अंदर से लोगों का नेता होना चाहिए. यह संभव नहीं है कि किसी को हर किसी की विचारधारा पसंद आए और हर कोई सोचता है कि मेरी विचारधारा सही है. असहमति में भी सहमति होनी चाहिए, लोग मेरी आलोचना भी कर सकते हैं और मैं इसे स्वीकार करूंगा.'
'मैं अटल हूं' का निर्देशन निर्देशक रवि जाधव ने किया है. फिल्म को ऋषि विरमानी और रवि जाधव ने लिखा है. इससे पहले, ट्रेलर लॉन्च के दौरान, उन्होंने राजनीति में अपनी रुचि के बारे में खुलासा किया और बताया कि उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी की बायोपिक के लिए कैसे तैयारी की.
उन्होंने अपने कॉलेज के दिनों का एक मजेदार किस्सा भी याद किया जब वह कॉलेज के दिनों में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) में शामिल हुए थे .पंकज ने चुटकी लेते हुए कहा, 'मैं एक युवा विंग में था. मैंने मैंडोलिन में भाग लिया है. मुझे एक सप्ताह के लिए जेल भी हुई थी. तो मैं उस रास्ते पर निकल चुका था. तब मुझे एहसास हुआ कि राजनीति का रास्ता कांटों से भरा है. इसलिए, मैंने करवट ली और स्ट्रीट थिएटर में रुचि विकसित करना शुरू कर दिया. वहां कैलदास रंगालय, पटना था, जहां मैंने खुद को नामांकित किया. मुझे लगा कि ये बेहतर है. यहां काम से कम बोल के अभिनय होती है कि 'मैं अभिनय कर रहा हूं.'