पणजी: साउथ की सुपरहिट फिल्म 'कांतारा' के निर्देशक ऋषभ शेट्टी ने कहा है कि फिल्में अब भाषा की बाधाओं को पार कर रही हैं. फिल्मों की अच्छी कंटेंट दर्शकों से सीधी जुड़ती है और फिल्म को एक अखिल भारतीय फिल्म के रूप में स्वीकार किया जाता है. ऋषभ शेट्टी द्वारा निर्देशित 'कांतारा' को काफी पसंद किया जा रहा है. लिहाजा, बॉक्स ऑफिस पर फिल्म कमाल का परफॉर्मेंस कर रही है.
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बता दें कि गुरुवार को इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया में मास्टरक्लास के दौरान 'सांस्कृतिक विविधता का प्रतिनिधित्व और नए बाजारों की पहचान' विषय पर बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि 'फिल्में आज भाषा की बाधाओं को पार कर रही हैं. मेरा इस मंत्र में विश्वास है कि यदि कोई फिल्म अधिक स्थानीय है तो इसकी एक बड़ी सार्वभौमिक अपील है.' शेट्टी ने कहा कि कांतारा मानव और प्रकृति के बीच चल रहे संघर्ष को दर्शाता है.
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कांतारा निर्देशक ने कहा कि 'यह प्रकृति, संस्कृति और कल्पना का एक सम्मेलन है, हमारी संस्कृति और विश्वास प्रणाली हम में से हर एक में निहित है. 'तुलुनाडु' संस्कृति में मैंने जो लोककथाएं सुनी थीं और बचपन के अनुभवों का परिणाम यह फिल्म है. इसलिए, मैं चाहता था फिल्म का संगीत स्वाभाविक रूप से संस्कृति का प्रकाश स्तंभ होना चाहिए. 'कांतारा' में शिव की भूमिका के बारे में शेट्टी ने कहा कि उन्हें बचपन से ही ऐसा किरदार निभाने का जुनून था.
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उन्होंने कहा, 'कांतारा' के विचार की कल्पना दूसरे कोविड लॉकडाउन के दौरान की गई और मैंने पूरी फिल्म की शूटिंग कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले के अपने गृहनगर कुंडापुरा में की. कांतारा में अपने दमदार प्रदर्शन के बारे में बात करते हुए, उन्होंने कहा कि क्लाइमेक्स अनिवार्य है क्योंकि यह लोगों के साथ रहता है. (एजेंसी)
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