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'पूरे सेट को बनाने में लगभग 70 दिन लगे': 'द रेलवे मैन' के डायरेक्टर शिव रवैल ने बताई पर्दे के पीछे की कहानी - शिव रवैल ने बताई द रेलवे मैन की स्टोरी

18 नवंबर से नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम हो रही 'द रेलवे मैन' को दर्शक खूब पसंद कर रहे हैं. वहीं हाल ही में इसके निर्देशक ने बताया कि पर्दे के पीछे की कहानी क्या रही है.

The Railway Men
द रेलवे मैन (एएनआई)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 25, 2023, 11:01 PM IST

मुंबई: निर्देशक शिव रवैल ने आर माधवन, के के मेनन और बाबिल खान स्टारर सीरीज 'द रेलवे मैन' के बारे में बात की. उन्होंने बताया कि फिल्म के पूरे सेट को बनाने में लगभग 10 दिनों का टाइम लगा. यह सीरीज भोपाल गैस रिसाव त्रासदी पर आधारित है. यह भारतीय रेलवे के कर्मचारियों के अटूट साहस और शहर के सबसे अंधेरे घंटों के दौरान अनगिनत लोगों की जान बचाने के उनके प्रयासों को प्रदर्शित करता है.

2 दिसंबर 1984 की देर रात यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन के स्वामित्व वाली एक कीटनाशक फैक्ट्री से मिथाइल आइसोसाइनेट गैस का रिसाव हुआ. इस गैस आपदा को दुनिया की सबसे भयानक औद्योगिक त्रासदी माना जाता है. गैस रिसाव के कुछ ही दिनों के भीतर 3,000 से अधिक लोगों की मृत्यु हो गई और बाद के वर्षों में और भी अधिक लोगों की मृत्यु हो गई और कई परिवारों को स्वास्थ्य संबंधी परिणाम भुगतने पड़े. जीवित बचे लोगों और उनके परिवारों ने कहा है कि वे कैंसर और श्वसन, प्रतिरक्षा और तंत्रिका संबंधी विकारों जैसी स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं.

रवैल ने कहा कि यह शेयर करने के लिए एक महत्वपूर्ण कहानी है इसलिए सेट के हर चीज को अच्छे तरीके से सेट किया गया था. कहानी को दर्शकों से जोड़ने के लिए, हमारे लिए दर्शकों को यह विश्वास दिलाना जरूरी था कि यह 1984 का वही भोपाल रेलवे स्टेशन है. ट्रेनों सहित पूरे स्टेशन सेटअप को मुंबई विश्वविद्यालय में एक बड़े स्थान पर डिजाइन और निर्मित किया गया था.

पूरे सेट को छोटी से छोटी डिटेल के साथ बनाने में हमें लगभग 70 दिन लगे, जिसमें 80 के दशक के फिल्म पोस्टर, वेटिंग रूम जैसी चीजें शामिल हैं. जो कि पूरी स्टोरी का एक अभिन्न हिस्सा बन गए. सेट इतना रियल लग रहा था कि आसपास के निवासियों को लगा कि एक नया स्टेशन आ रहा है. जंक्शन के साथ, हमने इस सीरीज की शूटिंग के लिए तीन विशाल पैसेंजर ट्रेनें भी बनाईं. वाईआरएफ एंटरटेनमेंट के बैनर तले बनी 'द रेलवे मैन' 18 नवंबर से नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम हो रही है.

(एएनआई)

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मुंबई: निर्देशक शिव रवैल ने आर माधवन, के के मेनन और बाबिल खान स्टारर सीरीज 'द रेलवे मैन' के बारे में बात की. उन्होंने बताया कि फिल्म के पूरे सेट को बनाने में लगभग 10 दिनों का टाइम लगा. यह सीरीज भोपाल गैस रिसाव त्रासदी पर आधारित है. यह भारतीय रेलवे के कर्मचारियों के अटूट साहस और शहर के सबसे अंधेरे घंटों के दौरान अनगिनत लोगों की जान बचाने के उनके प्रयासों को प्रदर्शित करता है.

2 दिसंबर 1984 की देर रात यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन के स्वामित्व वाली एक कीटनाशक फैक्ट्री से मिथाइल आइसोसाइनेट गैस का रिसाव हुआ. इस गैस आपदा को दुनिया की सबसे भयानक औद्योगिक त्रासदी माना जाता है. गैस रिसाव के कुछ ही दिनों के भीतर 3,000 से अधिक लोगों की मृत्यु हो गई और बाद के वर्षों में और भी अधिक लोगों की मृत्यु हो गई और कई परिवारों को स्वास्थ्य संबंधी परिणाम भुगतने पड़े. जीवित बचे लोगों और उनके परिवारों ने कहा है कि वे कैंसर और श्वसन, प्रतिरक्षा और तंत्रिका संबंधी विकारों जैसी स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं.

रवैल ने कहा कि यह शेयर करने के लिए एक महत्वपूर्ण कहानी है इसलिए सेट के हर चीज को अच्छे तरीके से सेट किया गया था. कहानी को दर्शकों से जोड़ने के लिए, हमारे लिए दर्शकों को यह विश्वास दिलाना जरूरी था कि यह 1984 का वही भोपाल रेलवे स्टेशन है. ट्रेनों सहित पूरे स्टेशन सेटअप को मुंबई विश्वविद्यालय में एक बड़े स्थान पर डिजाइन और निर्मित किया गया था.

पूरे सेट को छोटी से छोटी डिटेल के साथ बनाने में हमें लगभग 70 दिन लगे, जिसमें 80 के दशक के फिल्म पोस्टर, वेटिंग रूम जैसी चीजें शामिल हैं. जो कि पूरी स्टोरी का एक अभिन्न हिस्सा बन गए. सेट इतना रियल लग रहा था कि आसपास के निवासियों को लगा कि एक नया स्टेशन आ रहा है. जंक्शन के साथ, हमने इस सीरीज की शूटिंग के लिए तीन विशाल पैसेंजर ट्रेनें भी बनाईं. वाईआरएफ एंटरटेनमेंट के बैनर तले बनी 'द रेलवे मैन' 18 नवंबर से नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम हो रही है.

(एएनआई)

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