मुंबई: दुनिया की डोर जितनी पुरुषों से बंधी है, उतनी ही महिलाओं से भी...सरल शब्दों में हम कह सकते हैं कि दुनिया एक गाड़ी है, जिसका एक पहिया आदमी तो दूसरा पहिया स्त्री है. इन दोनों में से एक के बिना भी जिंदगी रफ्तार नहीं पकड़ सकती हैं. ऐसे में महिलाओं के आत्मबल, हिम्मत और जज्बे को सलामी देने का त्योहार हर साल 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है. समय-समय पर फिल्म इंडस्ट्री भी महिलाओं पर बेस्ड शानदार फिल्में बनाती रही है. यदि आपने यह फिल्में नहीं देखी है तो अपनी मां, बेटी, पत्नी या बहन और दोस्त के साथ जरूर देखिए.
मदर इंडिया (1957)-मदर इंडिया भारतीय सिनेमा के शुरुआती दौर की एक क्लासिक फिल्म है. यह शानदार पाथ-ब्रेकिंग फिल्म रही. इसे नरगिस दत्त के सबसे प्रभावशाली और प्रतिष्ठित प्रदर्शनों में से एक माना जाता है. नरगिस के रूप में राधा एक गरीब ग्रामीण है, जो अपने दो बेटों को पालने के लिए सभी बाधाओं से लड़ती है. ग्रामीणों द्वारा उसे एक भगवान और न्याय करने वाली स्त्री के रुप में देखा जाता है. अपने सिद्धांतों पर खरा उतरते हुए, वह अपने अनैतिक बेटे को न्याय के लिए मार देती है.
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बैंडिट क्वीन (1994)- बैंडिट क्वीन फिल्म एक भारतीय डकैत, फूलन देवी के जीवन पर आधारित फिल्म है और इसे सीमा बिस्वास द्वारा चित्रित किया गया है, जिन्हें 1983 में जेल भेज दिया गया था और उन पर भारतीय पुलिस द्वारा मुकदमा चलाया गया. यह एक ऐसी महिला की कहानी है जो पुलिस से लेकर पुरुषों द्वारा किए गए सभी अत्याचारों से लड़ती है. अंतत: वह उन सभी पर हावी हो जाती है और एक मजबूत महिला के रूप में सामने आती है. शेखर कपूर ने इंडियाज बैंडिट क्वीन: द ट्रू स्टोरी ऑफ फूलन देवी पर बेस्ड फिल्म का निर्देशन किया था.
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चांदनी बार (2001)- चांदनी बार मुंबई में फंसी कई महिलाओं के अंधेरे और असहाय जीवन को प्रकाश में लाती है. अंडरवर्ल्ड, वेश्यावृत्ति, डांस बार और अपराध का जाल इस फिल्म में शानदार तरीके से दिखाया गया है. फिल्म में किरदार निभाने वाली तब्बू कोशिश करती हैं कि बच्चों को एक बेहतर भविष्य दें. फिल्म का निर्माण मधुर भंडारकर ने किया था. यह मुंबई के कुछ क्षेत्रों में महिलाओं द्वारा सामना की जाने वाली वास्तविकताओं की एक नर्वस रैकिंग कहानी है.
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लज्जा (2001)- लज्जा एक हार्ड-हिटिंग फिल्म है, जो भारतीय समाज द्वारा महिलाओं के प्रति किए गए गलत कामों को उजागर करती है. रेखा, माधुरी दीक्षित, मनीषा कोइराला और महिमा चौधरी ने फिल्म में प्रभावशाली किरदार निभाए हैं. ये किरदार समाज में किसी न किसी रूप में परेशान हैं.
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चक दे इंडिया (2007)- भारतीय महिला राष्ट्रीय हॉकी टीम के कोच कबीर खान अपनी सभी लड़कियों की टीम बनाने का सपना देखते हैं. फिल्म में कोच का किरदार शाहरुख खान ने निभाया, जो कि सभी बाधाओं के खिलाफ अपनी टीम को विजयी बनाते हैं.
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नो वन किल्ड जेसिका (2011)- यह फिल्म जेसिका लाल हत्याकांड की असल जिंदगी की कहानी पर आधारित है. यह जेसिका की बड़ी बहन की कहानी है. विद्या बालन द्वारा अभिनीत सबरीना लाल उस अमीर और प्रभावशाली व्यक्ति से लड़ती है, जिसने उसकी बहन को गोली मारी थी. फिल्म में रानी मुखर्जी ने एक गंभीर पत्रकार की भूमिका निभाया, जो विद्या बालन को सभी बाधाओं से लड़ने में मदद करती है. फिल्म दिखाती है कि एक आम महिला सभी बाधाओं से ऊपर उठ सकती है और न्याय के लिए लड़ सकती है. फिल्म का निर्देशन राजकुमार गुप्ता ने किया.
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कहानी (2012)- विद्या बालन ने इस थ्रिलर फिल्म में विद्या बागची की अपनी भूमिका से दर्शकों को चौंका दिया था. फिल्म, सह- सुजॉय घोष द्वारा निर्मित और निर्देशित थी, जो कि नारीवाद और नारीत्व के विषयों की पड़ताल करती है. फिल्म में विद्या बागची अपने लापता पति को खोजने के लिए एक यात्रा पर निकलती है, लेकिन जब तक हमें पता नहीं चलता तब तक वह छिपे हुए सच के साथ आगे बढ़ती रहती है. फिल्म ने पांच फिल्मफेयर पुरस्कार जीते, जिनमें सर्वश्रेष्ठ निर्देशक और सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री शामिल हैं.
इंग्लिश विंग्लिश (2012)- इंग्लिश विंग्लिश श्रीदेवी द्वारा अभिनीत एक आम गृहिणी शशि गोडबोले की कहानी है. यह खूबसूरती से दिखाता है कि एक गृहिणी, एक पत्नी और एक मां के रूप में प्रतिभाशाली गृहिणी को कैसे हेय दृष्टि से देखा जाता है. बेटी और पति का सिर्फ इसलिए मज़ाक उड़ाते हैं क्योंकि वह धाराप्रवाह अंग्रेजी नहीं बोल सकती थी. आहत शशि गोडबोले अपनी भतीजी की शादी के लिए अमेरिकी जाती है, जहां वह भाषा सीखते समय को बदल देती है. गौरी शिंदे की सरल कहानी प्रभावशाली है, क्योंकि महिला अपनी कमियों पर काबू पाती है.
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मैरी कॉम (2014)- मैरी कॉम भारतीय मुक्केबाज़ की सच्ची कहानी है, जिसने भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत प्रशंसा दिलाई. प्रियंका चोपड़ा ने बड़े पर्दे पर बड़ी खूबसूरती से मैरी कॉम का किरदार निभाया. कठिनाइयों के कारण कॉम को अपने करियर में मुश्किल से गुजरना पड़ा और इसके बाद वह वापसी करती है.
क्वीन (2014)- क्वीन कंगना रनौत द्वारा अभिनीत एक युवा लड़की रानी की एक खूबसूरत कहानी है. कहानी दिल दहला देने वाली तब बन जाती है, जब विजय राजकुमार राव द्वारा अभिनीत, शादी से ठीक एक दिन पहले रानी को खबर दी जाती है कि वह अब नहीं रहे. साधारण, छोटे शहर की लड़की बिखर जाती है लेकिन जल्द ही वह उसके लिए खड़ी होने का फैसला करती है. वह अकेले हनीमून पर जाती है. अपनी यात्रा के दौरान, वह नए दोस्तों से मिलती है और दुनिया को जानती है.
मर्दानी (2014)- मर्दानी एक महिला पुलिस अधिकारी शिवानी रॉय की कहानी है, जो कि रानी मुखर्जी द्वारा रोल निभाया गया. शिवानी बाल तस्करी और ड्रग्स से जुड़े संगठित अपराधों से लड़ती है. इसमें दिखाया गया है कि महिला अधिकारी कैसे संघर्ष करती है और शहर में महिला तस्करी के राज को खोलती है.
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नीरजा (2016)- नीरजा भनोट पर बेस्ड फिल्म एक फ्लाइट पर्सर की सच्ची कहानी पर आधारित है, जिसकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. सोनम कपूर ने नीरजा का किरदार बड़ी शिद्दत और जोश के साथ निभाया था. फिल्म पैन एम फ्लाइट 73 की हैक पर बेस्ड है, जिसमें नीरजा की दम पर सैकड़ों यात्री सुरक्षित और स्वस्थ रहते हैं.
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