नई दिल्ली: गूगल ने मलयालम सिनेमा की पहली महिला अभिनेता पीके रोजी को उनकी जयंती के अवसर पर श्रद्धांजलि दी है. पी. के. रोज़ी का जन्म 10 फरवरी, 1903 को हुआ था और वह मलयालम सिनेमा की पहली महिला अभिनेत्री थीं. उन्होंने जे.सी. डेनियल द्वारा निर्देशित विगाथाकुमारन (द लॉस्ट चाइल्ड) में अभिनय किया था.
बता दें कि पीके रोजी का जन्म 1903 में त्रिवेंद्रम के नंदनकोड में एक पुलाया परिवार में राजम्मा के रूप में हुआ था. जब वह बहुत छोटी थीं तो उनके पिता का निधन हो गया था. उनका परिवार बेहद गरीब था तो ऐसे में जब वह छोटी थी तब उन्होंने परिवार का पेट पालने के लिए घास काटने का काम किया. उन्हें कला में भी गहरी रुचि थी, जिसे उनके चाचा ने संगीत और अभिनय प्रशिक्षक खोजने में मदद करके उनका साथ दिया. वह शिव और पार्वती की रूप में पृथ्वी पर आगमन की कहानियों पर बेस्ड तमिल लोक रंगमंच की एक शैली काक्किरसी नट्टकम का अध्ययन करने के लिए नियमित रूप से पड़ोस के स्कूल में जाती थीं.
उन दिनों अभिनय को पारंपरिक रूप से एक महिला के व्यवसाय के रूप में नहीं माना जाता था और जिन महिलाओं को लगता था कि अभिनय एक गंभीर करियर है, उन्हें कामुक या गलत माना जाता था. अभिनय के प्रति रोज़ी का जुनून इस बात को भी तोड़ता था कि लोग उसके बारे में क्या सोचेंगे. बहुत से लोग दावा करते हैं कि उनके परिवार ने ईसाई धर्म में परिवर्तित होने के बाद उनका नाम राजम्मा से रोसमम्मा में बदल दिया.
अपनी पहली फिल्म विगाथाकुमारन में उन्होंने नायर महिला सरोजिनी का किरदार निभाया था. रोसियुदे कधा - भाग 2 (मलयालम फिल्म उद्योग की पहली नायिका की कहानी) नाम से जाने वाले एक यूट्यूब वीडियो ने खुलासा किया है कि एक दलित महिला ने विगाथुकुमारन में एक नायर महिला की भूमिका निभाई, जिससे नायर समुदाय के सदस्य नाराज हो गए थे. रिपोर्ट के अनुसार उनके घर को उच्च जातियों द्वारा जला दिया गया था और वह कहीं भाग गई थीं. इसके बाद लॉरी चालक केशवन पिल्लई से उन्होंने शादी कर ली और अपना शेष जीवन तमिलनाडु में बिताया.
उस समय फिल्म इंडस्ट्री के कई प्रमुख लोगों में प्रसिद्ध वकील मधुर गोविंदन पिल्लई भी शामिल थे, उन्होंने विगाथाकुमारन प्रीमियर में भाग लेने से मना कर दिया, दर्शकों ने स्क्रीन पर पत्थर भी फेंके थे. (एजेंसी इनपुट)