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Asha Parekh Birthday: दादा साहेब फाल्के समेत इन पुरस्कारों से सम्मानित हो चुकी हैं आशा पारेख, देखिए लिस्ट

दिग्गज अभिनेत्री आशा पारेख इस बार दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित हुई हैं. सिनेमा जगत के सबसे बड़े पुरस्कार को पाने वालीं अभिनेत्री इससे पहले भी कई बड़े पुरस्कार को अपने नाम कर चुकी हैं. उनके जन्मदिन पर देखिए उनके पुरस्कारों की लिस्ट.

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Asha Parekh Birthday
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Published : Oct 1, 2022, 8:01 PM IST

मुंबई: गुजरे जमाने की बेहतरीन अदाकारा आशा पारेख को भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े सम्मान 'दादा साहेब फाल्के' पुरस्कार से शुक्रवार को सम्मानित किया गया. अभिनेत्री का रविवार (2 अक्टूबर) को जन्मदिन है. 79 वर्षीय आशा पारेख का बर्थडे और भी खास हो गया है. ऐसे में आइए जानते हैं कि उन्हें दादा फाल्के के साथ और कौन- कौन से पुरस्कार से नवाजा जा चुका है.

बता दें कि राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने विज्ञान भवन में आयोजित 68वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में 79 वर्षीय आशा पारेख को प्रतिष्ठित पुरस्कार दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया. इस अवसर पर अभिनेत्री ने कहा कि वह अपने 80वें जन्मदिन से पहले यह पुरस्कार पाकर धन्य महसूस कर रही हैं.

अखंड सौभाग्यवती के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का गुजरात राज्य पुरस्कार (1963).
चिराग के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का नामांकन फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार (1969).
कटी पतंग के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार (1971).
फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार उधार का सिंदूर के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री के रूप में नामांकन (1976)
फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार मैं तुलसी तेरे आंगन की के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री के रूप में नामांकन (1978)
पद्म श्री सम्मानित(1992).
दादा साहब फालके पुरस्कार से सम्मानित (2022)

बता दें कि अपने पांच दशक लंबे करियर में अभिनेत्री ने 95 से ज्यादा फिल्मों में काम किया. इनमें 'दिल देके देखो', 'कटी पतंग', 'तीसरी मंजिल', 'बहारों के सपने', 'प्यार का मौसम' और 'कारवां' जैसी फिल्में शुमार हैं. उन्होंने 1952 में आई फिल्म 'आसमान' से 10 साल की उम्र में एक बाल कलाकार के रूप में अपना करियर शुरू किया था और वह दो साल बाद बिमल रॉय की 'बाप बेटी' से चर्चा में आई थीं.

पारेख ने 1959 में आई नासिर हुसैन की फिल्म 'दिल देके देखो' में मुख्य किरदार निभाया था, जिसमें उन्होंने शम्मी कपूर के साथ अपनी अदाकारी के जलवे बिखेरे थे. पारेख ने 1990 के दशक के अंत में एक निर्देशक व निर्माता के तौर पर टीवी नाटक 'कोरा कागज' का निर्देशन किया था, जिसे काफी सराहा गया. पारेख 1998-2001 तक केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) की पहली महिला अध्यक्ष भी रह चुकी हैं.

साल 2017 में उन्होंने अपनी आत्मकथा 'द हिट गर्ल' पेश की, जिसका सह-लेखन फिल्म समीक्षक खालिद मोहम्मद ने किया था. उन्हें 1992 में देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया. पिछले साल, 2019 के लिए रजनीकांत को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

यह भी पढ़ें- 68th National Film Awards: दिग्गज अभिनेत्री आशा पारेख दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित

मुंबई: गुजरे जमाने की बेहतरीन अदाकारा आशा पारेख को भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े सम्मान 'दादा साहेब फाल्के' पुरस्कार से शुक्रवार को सम्मानित किया गया. अभिनेत्री का रविवार (2 अक्टूबर) को जन्मदिन है. 79 वर्षीय आशा पारेख का बर्थडे और भी खास हो गया है. ऐसे में आइए जानते हैं कि उन्हें दादा फाल्के के साथ और कौन- कौन से पुरस्कार से नवाजा जा चुका है.

बता दें कि राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने विज्ञान भवन में आयोजित 68वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में 79 वर्षीय आशा पारेख को प्रतिष्ठित पुरस्कार दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया. इस अवसर पर अभिनेत्री ने कहा कि वह अपने 80वें जन्मदिन से पहले यह पुरस्कार पाकर धन्य महसूस कर रही हैं.

अखंड सौभाग्यवती के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का गुजरात राज्य पुरस्कार (1963).
चिराग के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का नामांकन फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार (1969).
कटी पतंग के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार (1971).
फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार उधार का सिंदूर के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री के रूप में नामांकन (1976)
फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार मैं तुलसी तेरे आंगन की के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री के रूप में नामांकन (1978)
पद्म श्री सम्मानित(1992).
दादा साहब फालके पुरस्कार से सम्मानित (2022)

बता दें कि अपने पांच दशक लंबे करियर में अभिनेत्री ने 95 से ज्यादा फिल्मों में काम किया. इनमें 'दिल देके देखो', 'कटी पतंग', 'तीसरी मंजिल', 'बहारों के सपने', 'प्यार का मौसम' और 'कारवां' जैसी फिल्में शुमार हैं. उन्होंने 1952 में आई फिल्म 'आसमान' से 10 साल की उम्र में एक बाल कलाकार के रूप में अपना करियर शुरू किया था और वह दो साल बाद बिमल रॉय की 'बाप बेटी' से चर्चा में आई थीं.

पारेख ने 1959 में आई नासिर हुसैन की फिल्म 'दिल देके देखो' में मुख्य किरदार निभाया था, जिसमें उन्होंने शम्मी कपूर के साथ अपनी अदाकारी के जलवे बिखेरे थे. पारेख ने 1990 के दशक के अंत में एक निर्देशक व निर्माता के तौर पर टीवी नाटक 'कोरा कागज' का निर्देशन किया था, जिसे काफी सराहा गया. पारेख 1998-2001 तक केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) की पहली महिला अध्यक्ष भी रह चुकी हैं.

साल 2017 में उन्होंने अपनी आत्मकथा 'द हिट गर्ल' पेश की, जिसका सह-लेखन फिल्म समीक्षक खालिद मोहम्मद ने किया था. उन्हें 1992 में देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया. पिछले साल, 2019 के लिए रजनीकांत को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

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