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नालंदा में बैठ दिल्ली के लोगों से कर रहे थे ठगी, खाते के सहारे बदमाशों तक पहुंची क्राइम ब्रांच

ऑनलाइन फ्रॉड करने वाले एक गैंग का दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने पर्दाफाश किया है. पुलिस ने इस गैंग के चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है. इस गैंग के लोग ऑक्सीजन सिलेंडर देने के नाम पर ठगी करते थे.

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Published : May 19, 2021, 8:12 PM IST

नई दिल्लीः ऑनलाइन फ्रॉड करने वाले एक गैंग का क्राइम ब्रांच ने पर्दाफाश किया है. पुलिस ने इस गैंग के चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है. बिहार के नालंदा से ऑपरेट कर रहे इस गैंग ने अभी तक 100 से ज्यादा लोगों के साथ ठगी की है. इस गैंग के लोग ऑक्सीजन सिलेंडर देने के नाम पर ठगी करते थे. गैंग का सरगना छोटू चौधरी फिलहाल फरार है. इस गैंग के बैंक खाते में एक करोड़ से ज्यादा रुपये का ट्रांजेक्शन मिला है.

दिल्ली पुलिस ने साइबर फ्रॉड कर रहे गैंग का पर्दाफाश किया
अतिरिक्त आयुक्त शिबेश सिंह के अनुसार, कोरोना संक्रमण के पीक के दौरान लोगों में ऑक्सीजन एवं दवा की मांग काफी बढ़ गई थी. इसका फायदा उठाकर जालसाज लोगों के साथ ठगी कर रहे थे. ऐसी शिकायतों पर 500 से ज्यादा एफआईआर दिल्ली पुलिस ने दर्ज की है. ऐसे मामलों को लेकर स्पेशल सेल की साइबर सेल और क्राइम ब्रांच की टीम काम कर रही थी. ऐसी ही एक शिकायत क्राइम ब्रांच के पास पहुंची, जिसमें पीड़ित को ऑक्सीजन सिलेंडर की आवश्यकता थी. सोशल मीडिया से मिले सचिन के नंबर पर, उन्होंने कॉल किया. 24 हजार रुपये में उसने दो सिलेंडर देने की बात कही. पीड़ित ने यह रकम ऑनलाइन भेज दी, लेकिन उन्हें सिलेंडर नहीं मिला. ये भी पढ़ेंः
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बैंक खाते से गैंग तक जा पहुंची पुलिस

क्राइम ब्रांच के एसीपी संदीप लांबा की देखरेख में इंस्पेक्टर विवेकानंद झा की टीम ने ठगी में हुई पेमेंट को लेकर जांच की. इससे पता चला कि मुंबई के यूको बैंक में रुखसाना खातून के खाते में ठगी की रकम गई है. वहां से मिले महत्वपूर्ण सुराग से क्राइम ब्रांच को पता चला कि बिहार के नालंदा से यह गैंग ऑपरेट कर रहा है. इस जानकारी पर पुलिस टीम ने नालंदा से मिथलेश को गिरफ्तार किया. उसकी निशानदेही पर दीपक, श्रवण और पंकज को गिरफ्तार किया गया. इनसे पता चला कि उनके गैंग का सरगना छोटू चौधरी है. आरोपियों के पास से 22 सिम कार्ड, 23 एटीएम कार्ड, लैपटॉप, 21 मोबाइल, आधार कार्ड, पासबुक आदि बरामद हुए.


200 से ज्यादा लोग गैंग में शामिल

पूछताछ में आरोपियों ने पुलिस को बताया कि बिहार के नालंदा निवासी छोटू चौधरी के लिए वह काम करते हैं. वह बीते लगभग तीन साल से साइबर ठगी कर रहे हैं और अब तक इससे काफी प्रॉपर्टी बना चुके हैं. ठगी के इस कारोबार को संभालने के लिए, उन्होंने इलाके में 200 से ज्यादा लोगों को अपने साथ जोड़ रखा है. वह कभी फ्रेंडशिप के नाम पर, तो कभी फ्लिपकार्ट से गिफ्ट के नाम पर लोगों के साथ ठगी करते हैं. महामारी के समय में छोटू चौधरी को लगा कि ऑक्सीजन सिलेंडर, कंसंट्रेटर और दवाइयों की डिमांड लोगों के बीच बढ़ रही है. इसके जरिये उसने अपने साथियों के साथ मिलकर ठगी शुरू कर दी. उसके तीन बैंक खातों में 1.30 करोड़ रुपये के ट्रांजेक्शन मिले हैं.


जानिए किसे मिली थी क्या भूमिका

आरोपियों ने बैंक खाता 25,000 रुपये के मासिक किराए पर ले रखा था. यह काम दीपक संभालता था. आरोपी मिथिलेश एटीएम से रुपए निकालने का काम करता था. इसके लिए उसे दो फ़ीसदी कमीशन मिलता था. वह इस रकम को पंकज के माध्यम से दीपक को भेजता था. दीपक को प्रत्येक सप्ताह 4,500 रुपये दीपक देता था. पेटीएम लिंक के जरिए पुलिस ने काफी ऐसे लोगों की पहचान की है, जिनके साथ इन लोगों ने ठगी की है.

नई दिल्लीः ऑनलाइन फ्रॉड करने वाले एक गैंग का क्राइम ब्रांच ने पर्दाफाश किया है. पुलिस ने इस गैंग के चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है. बिहार के नालंदा से ऑपरेट कर रहे इस गैंग ने अभी तक 100 से ज्यादा लोगों के साथ ठगी की है. इस गैंग के लोग ऑक्सीजन सिलेंडर देने के नाम पर ठगी करते थे. गैंग का सरगना छोटू चौधरी फिलहाल फरार है. इस गैंग के बैंक खाते में एक करोड़ से ज्यादा रुपये का ट्रांजेक्शन मिला है.

दिल्ली पुलिस ने साइबर फ्रॉड कर रहे गैंग का पर्दाफाश किया
अतिरिक्त आयुक्त शिबेश सिंह के अनुसार, कोरोना संक्रमण के पीक के दौरान लोगों में ऑक्सीजन एवं दवा की मांग काफी बढ़ गई थी. इसका फायदा उठाकर जालसाज लोगों के साथ ठगी कर रहे थे. ऐसी शिकायतों पर 500 से ज्यादा एफआईआर दिल्ली पुलिस ने दर्ज की है. ऐसे मामलों को लेकर स्पेशल सेल की साइबर सेल और क्राइम ब्रांच की टीम काम कर रही थी. ऐसी ही एक शिकायत क्राइम ब्रांच के पास पहुंची, जिसमें पीड़ित को ऑक्सीजन सिलेंडर की आवश्यकता थी. सोशल मीडिया से मिले सचिन के नंबर पर, उन्होंने कॉल किया. 24 हजार रुपये में उसने दो सिलेंडर देने की बात कही. पीड़ित ने यह रकम ऑनलाइन भेज दी, लेकिन उन्हें सिलेंडर नहीं मिला. ये भी पढ़ेंःभाजपा और केंद्र को सिंगापुर में अपनी इमेज मुबारक, हम बच्चों की चिंता करेंगे : सिसोदिया


बैंक खाते से गैंग तक जा पहुंची पुलिस

क्राइम ब्रांच के एसीपी संदीप लांबा की देखरेख में इंस्पेक्टर विवेकानंद झा की टीम ने ठगी में हुई पेमेंट को लेकर जांच की. इससे पता चला कि मुंबई के यूको बैंक में रुखसाना खातून के खाते में ठगी की रकम गई है. वहां से मिले महत्वपूर्ण सुराग से क्राइम ब्रांच को पता चला कि बिहार के नालंदा से यह गैंग ऑपरेट कर रहा है. इस जानकारी पर पुलिस टीम ने नालंदा से मिथलेश को गिरफ्तार किया. उसकी निशानदेही पर दीपक, श्रवण और पंकज को गिरफ्तार किया गया. इनसे पता चला कि उनके गैंग का सरगना छोटू चौधरी है. आरोपियों के पास से 22 सिम कार्ड, 23 एटीएम कार्ड, लैपटॉप, 21 मोबाइल, आधार कार्ड, पासबुक आदि बरामद हुए.


200 से ज्यादा लोग गैंग में शामिल

पूछताछ में आरोपियों ने पुलिस को बताया कि बिहार के नालंदा निवासी छोटू चौधरी के लिए वह काम करते हैं. वह बीते लगभग तीन साल से साइबर ठगी कर रहे हैं और अब तक इससे काफी प्रॉपर्टी बना चुके हैं. ठगी के इस कारोबार को संभालने के लिए, उन्होंने इलाके में 200 से ज्यादा लोगों को अपने साथ जोड़ रखा है. वह कभी फ्रेंडशिप के नाम पर, तो कभी फ्लिपकार्ट से गिफ्ट के नाम पर लोगों के साथ ठगी करते हैं. महामारी के समय में छोटू चौधरी को लगा कि ऑक्सीजन सिलेंडर, कंसंट्रेटर और दवाइयों की डिमांड लोगों के बीच बढ़ रही है. इसके जरिये उसने अपने साथियों के साथ मिलकर ठगी शुरू कर दी. उसके तीन बैंक खातों में 1.30 करोड़ रुपये के ट्रांजेक्शन मिले हैं.


जानिए किसे मिली थी क्या भूमिका

आरोपियों ने बैंक खाता 25,000 रुपये के मासिक किराए पर ले रखा था. यह काम दीपक संभालता था. आरोपी मिथिलेश एटीएम से रुपए निकालने का काम करता था. इसके लिए उसे दो फ़ीसदी कमीशन मिलता था. वह इस रकम को पंकज के माध्यम से दीपक को भेजता था. दीपक को प्रत्येक सप्ताह 4,500 रुपये दीपक देता था. पेटीएम लिंक के जरिए पुलिस ने काफी ऐसे लोगों की पहचान की है, जिनके साथ इन लोगों ने ठगी की है.

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