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निठारी कांड: नर पिशाच सुरेंद्र कोली के कारनामों का 'काला चिट्ठा'

निठारीकांड के 11वें मामले में भी सीबीआइ कोर्ट ने अभियुक्त सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा सुनाई. अदालत ने कोली को बच्ची की गला दबाकर हत्या करने, दुष्कर्म का प्रयास करने, शव के टुकड़े-टुकड़े कर फेंकने के मामले में सजा सुनाई है.

कोली को 11 मामलों में फांसी की सजा हो चुकी है
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Published : Apr 8, 2019, 4:17 AM IST

नई दिल्ली/नोएडा: साल 2006 में नोएडा के निठारी गांव में जो हुआ, उसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया. कोठी नंबर डी-5 से जब नरकंकाल मिलने शुरू हुए, पूरे देश में सनसनी फैल गई. सीबीआई को जांच के दौरान मानव हड्डियों के हिस्से और 40 ऐसे पैकेट मिले थे, जिनमें मानव अंगों को भरकर नाले में फेंक दिया गया था.

डी-5 नंबर कोठी के मालिक मोनिंदर सिंह पंढेर और नौकर सुरेंद्र कोली को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. इस मामले का खुलासा एक लड़की की गुमशुदगी से जुड़ा है. 7 मई 2006 में एक लड़की लापता हो गई थी. वो मोनिंदर पंढेर की कोठी में रिक्शे से आई थी और उसने रिक्शेवाले को कोठी के बाहर ही रुकने के लिए कहा था. साथ ही ये भी कहा थी कि पैसे वापस आकर देगी.

कोठी से गायब हुई थी लड़की

काफी समय तक वो वापस नहीं आई तो रिक्शेवाले ने कोठी का गेट खटखटाया. सुरेंद्र कोली ने बताया कि वो काफी देर पहले जा चुकी है. रिक्शेवाले का कहना था कि वो कोठी के सामने ही था, वो बाहर नहीं निकली. ये बात लड़की के घरवालों को पता चली. उसके पिता नंदलाल ने एफआईआर दर्ज कराई कि उसकी बेटी कोठी से गायब हुई है. उसके तुरंत बाद पुलि‍स गहनता से जांच में जुट गई.

निठारी से गायब हुए थे कई बच्चे

इससे पहले भी निठारी से एक दर्जन से ज्यादा बच्चे गायब हो चुके थे. पुलिस को जानकारी मिली कि पायल के पास एक मोबाइल था, जो घटना के बाद से ही स्विच ऑफ था. पुलिस ने उस नंबर की कॉल डिटेल निकलवाई, तो तमाम जगहों के नंबर मिले. जांच में सुराग सामने आए जिनके आधार पर पुलिस ने कोठी पर छापा मारा. इस तरह निठारी के नर पिशाच कोली का काला सच सबके सामने आ गया.

2000 में दिल्ली आया था 'नर पिशाच'

निठारी का नर पिशाच सुरेंद्र कोली उत्तराखंड के अल्‍मोड़ा के एक गांव का रहने वाला है. सन् 2000 में वह दिल्‍ली आया था. दिल्ली में कोली एक ब्रिगेडियर के घर पर खाना बनाने का काम करता था. कहा जाता है कि वो काफी अच्छा खाना बनाता था. साल 2003 में सुरेंद्र कोली, मोनिंदर सिंह पंढेर के संपर्क में आया और उसकी कोठी में काम करने लगा. साल 2004 में पंढेर का परिवार पंजाब चला गया था. इसके बाद वो और कोली साथ में रहने लगे थे.

बच्चों के प्रति रहता था आकर्षित

पंढेर की कोठी में अक्सर कॉलगर्ल आया करती थीं. इस दौरान सुरेंद्र कोली कोठी के गेट पर नजर रखता था. वो धीरे-धीरे नेक्रोफीलिया नामक मानसिक बीमारी से ग्रसित होता गया और बच्चों के प्रति आकर्षित होने लगा. आरोप है कि वो कोठी से गुजरने वाले बच्चों को पकड़ कर उनके साथ कुकर्म करता था और फिर उनकी हत्या कर देता था.

11 मामलों में हो चुकी है फांसी की सजा

निठारी कांड से जुड़े 11वें मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा सुनाई है. इसके साथ ही अदालत ने उस पर एक लाख दस हजार का जुर्माना भी लगाया है. विशेष न्यायाधीश अमित वीर सिंह की अदालत ने मुख्य अभियुक्त सुरेंद्र कोली को बच्ची की हत्या, दुष्कर्म की कोशिश, अपहरण और सबूत नष्ट करने की धाराओं में दोषी करार दिया था. केस के सह अभियुक्त मोनिंदर सिंह पंढेर को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया है.

नई दिल्ली/नोएडा: साल 2006 में नोएडा के निठारी गांव में जो हुआ, उसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया. कोठी नंबर डी-5 से जब नरकंकाल मिलने शुरू हुए, पूरे देश में सनसनी फैल गई. सीबीआई को जांच के दौरान मानव हड्डियों के हिस्से और 40 ऐसे पैकेट मिले थे, जिनमें मानव अंगों को भरकर नाले में फेंक दिया गया था.

डी-5 नंबर कोठी के मालिक मोनिंदर सिंह पंढेर और नौकर सुरेंद्र कोली को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. इस मामले का खुलासा एक लड़की की गुमशुदगी से जुड़ा है. 7 मई 2006 में एक लड़की लापता हो गई थी. वो मोनिंदर पंढेर की कोठी में रिक्शे से आई थी और उसने रिक्शेवाले को कोठी के बाहर ही रुकने के लिए कहा था. साथ ही ये भी कहा थी कि पैसे वापस आकर देगी.

कोठी से गायब हुई थी लड़की

काफी समय तक वो वापस नहीं आई तो रिक्शेवाले ने कोठी का गेट खटखटाया. सुरेंद्र कोली ने बताया कि वो काफी देर पहले जा चुकी है. रिक्शेवाले का कहना था कि वो कोठी के सामने ही था, वो बाहर नहीं निकली. ये बात लड़की के घरवालों को पता चली. उसके पिता नंदलाल ने एफआईआर दर्ज कराई कि उसकी बेटी कोठी से गायब हुई है. उसके तुरंत बाद पुलि‍स गहनता से जांच में जुट गई.

निठारी से गायब हुए थे कई बच्चे

इससे पहले भी निठारी से एक दर्जन से ज्यादा बच्चे गायब हो चुके थे. पुलिस को जानकारी मिली कि पायल के पास एक मोबाइल था, जो घटना के बाद से ही स्विच ऑफ था. पुलिस ने उस नंबर की कॉल डिटेल निकलवाई, तो तमाम जगहों के नंबर मिले. जांच में सुराग सामने आए जिनके आधार पर पुलिस ने कोठी पर छापा मारा. इस तरह निठारी के नर पिशाच कोली का काला सच सबके सामने आ गया.

2000 में दिल्ली आया था 'नर पिशाच'

निठारी का नर पिशाच सुरेंद्र कोली उत्तराखंड के अल्‍मोड़ा के एक गांव का रहने वाला है. सन् 2000 में वह दिल्‍ली आया था. दिल्ली में कोली एक ब्रिगेडियर के घर पर खाना बनाने का काम करता था. कहा जाता है कि वो काफी अच्छा खाना बनाता था. साल 2003 में सुरेंद्र कोली, मोनिंदर सिंह पंढेर के संपर्क में आया और उसकी कोठी में काम करने लगा. साल 2004 में पंढेर का परिवार पंजाब चला गया था. इसके बाद वो और कोली साथ में रहने लगे थे.

बच्चों के प्रति रहता था आकर्षित

पंढेर की कोठी में अक्सर कॉलगर्ल आया करती थीं. इस दौरान सुरेंद्र कोली कोठी के गेट पर नजर रखता था. वो धीरे-धीरे नेक्रोफीलिया नामक मानसिक बीमारी से ग्रसित होता गया और बच्चों के प्रति आकर्षित होने लगा. आरोप है कि वो कोठी से गुजरने वाले बच्चों को पकड़ कर उनके साथ कुकर्म करता था और फिर उनकी हत्या कर देता था.

11 मामलों में हो चुकी है फांसी की सजा

निठारी कांड से जुड़े 11वें मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा सुनाई है. इसके साथ ही अदालत ने उस पर एक लाख दस हजार का जुर्माना भी लगाया है. विशेष न्यायाधीश अमित वीर सिंह की अदालत ने मुख्य अभियुक्त सुरेंद्र कोली को बच्ची की हत्या, दुष्कर्म की कोशिश, अपहरण और सबूत नष्ट करने की धाराओं में दोषी करार दिया था. केस के सह अभियुक्त मोनिंदर सिंह पंढेर को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया है.

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निठारी कांड: नर पिशाच सुरेंद्र कोली के कारनामों का 'काला चिट्ठा'



नई दिल्ली: साल 2006 में नोएडा के निठारी गांव में जो हुआ, उसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया. कोठी नंबर डी-5 से जब नरकंकाल मिलने शुरू हुए, पूरे देश में सनसनी फैल गई. सीबीआई को जांच के दौरान मानव हड्डियों के हिस्से और 40 ऐसे पैकेट मिले थे, जिनमें मानव अंगों को भरकर नाले में फेंक दिया गया था.



डी-5  नंबर कोठी के मालिक मोनिंदर सिंह पंढेर और नौकर सुरेंद्र कोली को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. इस मामले का खुलासा एक लड़की की गुमशुदगी से जुड़ा है. 7 मई 2006 में एक लड़की लापता हो गई थी. वो मोनिंदर पंढेर की कोठी में रिक्शे से आई थी और उसने रिक्शेवाले को कोठी के बाहर ही रुकने के लिए कहा था. साथ ही ये भी कहा थी कि पैसे वापस आकर देगी.



कोठी से गायब हुई थी लड़की

काफी समय तक वो वापस नहीं आई तो रिक्शेवाले ने कोठी का गेट खटखटाया. सुरेंद्र कोली ने बताया कि वो काफी देर पहले जा चुकी है. रिक्शेवाले का कहना था कि वो कोठी के सामने ही था, वो बाहर नहीं निकली. ये बात लड़की के घरवालों को पता चली. उसके पिता नंदलाल ने एफआईआर दर्ज कराई कि उसकी बेटी कोठी से गायब हुई है. उसके तुरंत बाद पुलि‍स गहनता से जांच में जुट गई.



निठारी से गायब हुए थे कई बच्चे

इससे पहले भी निठारी से एक दर्जन से ज्यादा बच्चे गायब हो चुके थे. पुलिस को जानकारी मिली कि पायल के पास एक मोबाइल था, जो घटना के बाद से ही स्विच ऑफ था. पुलिस ने उस नंबर की कॉल डिटेल निकलवाई, तो तमाम जगहों के नंबर मिले. जांच में सुराग सामने आए जिनके आधार पर पुलिस ने कोठी पर छापा मारा. इस तरह निठारी के नर पिशाच कोली का काला सच सबके सामने आ गया.



2000 में दिल्ली आया था 'नर पिशाच'

निठारी का नर पिशाच सुरेंद्र कोली उत्तराखंड के अल्‍मोड़ा के एक गांव का रहने वाला है. सन् 2000 में वह दिल्‍ली आया था. दिल्ली में कोली एक ब्रिगेडियर के घर पर खाना बनाने का काम करता था. कहा जाता है कि वो काफी अच्छा खाना बनाता था. साल 2003 में सुरेंद्र कोली, मोनिंदर सिंह  पंढेर के संपर्क में आया और उसकी कोठी में काम करने लगा. साल 2004 में पंढेर का परिवार पंजाब चला गया था. इसके बाद वो और कोली साथ में रहने लगे थे.



बच्चों के प्रति रहता था आकर्षित

पंढेर की कोठी में अक्सर कॉलगर्ल आया करती थीं. इस दौरान सुरेंद्र कोली कोठी के गेट पर नजर रखता था. वो धीरे-धीरे नेक्रोफीलिया नामक मानसिक बीमारी से ग्रसित होता गया और बच्चों के प्रति आकर्षित होने लगा. आरोप है कि वो कोठी से गुजरने वाले बच्चों को पकड़ कर उनके साथ कुकर्म करता था और फिर उनकी हत्या कर देता था.



11 मामलों में हो चुकी है फांसी की सजा

निठारी कांड से जुड़े 11वें मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा सुनाई है. इसके साथ ही अदालत ने उस पर एक लाख दस हजार का जुर्माना भी लगाया है. विशेष न्यायाधीश अमित वीर सिंह की अदालत ने मुख्य अभियुक्त सुरेंद्र कोली को बच्ची की हत्या, दुष्कर्म की कोशिश, अपहरण और सबूत नष्ट करने की धाराओं में दोषी करार दिया था. केस के सह अभियुक्त मोनिंदर सिंह पंढेर को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया है.


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