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आम्रपाली के फ्लैट बायर्स को बड़ी राहत! NBCC पूरा करेगा अधूरे प्रोजक्ट्स

सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली के फ्लैट खरीदारों को बड़ी राहत दी है. शीर्ष अदालत ने एनबीसीसी को नोएडा और ग्रेटर नोएडा में आम्रपाली के फ्लैट खरीदारों को घर बना कर देने को कहा है.

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Published : Jul 23, 2019, 5:17 PM IST

नई दिल्ली/नोएडा: आम्रपाली पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद नोएडा-ग्रेटर नोएडा के तकरीबन 45 हज़ार फ्लैट बायर्स के चेहरे खिलखिला उठे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली के सभी रुके प्रोजेक्ट्स को सरकारी एजेंसी एनबीसीसी को सुपुर्द कर दिया है.

SC के फैसले से फ्लैट बायर्स खुश

सरकारी एजेंसी एनबीसीसी आम्रपाली के सारे प्रोजेक्ट को पूरा करेगी. एनसीएलटी के आदेशों को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज करने वाली संस्था नफोवा के अध्यक्ष अभिषेक कुमार ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.

'2010 में बुक कराया था फ्लैट'
नफोवा अध्यक्ष अभिषेक बताते हैं कि साल 2010 में उन्होंने फ्लैट बुक कराया 2012-13 में उसका पजेशन मिलना था लेकिन पजेशन नहीं मिला. प्रोजेक्ट पर कोई काम नहीं हुआ जिसके बाद नफोवा संस्था बनाकर हजारों लोगों को मुहिम से जोड़ा गया.

सूबे की तीन सरकारों के सामने हम लोगों ने फ्लैट पूरे करने की अर्जी लगाई लेकिन सरकारों ने अनदेखा कर दिया. अक्टूबर 2017 में एनसीएलटी लॉ को सुप्रीम कोर्ट ने चैलेंज किया था. फ्लैट बायर्स की समस्यायों को सुप्रीम कोर्ट ने सुना और आज जो निर्णय दिया है उससे लोगों में उम्मीद जागी है.

'प्राधिकरण पर लगाए गंभीर आरोप'
बायर्स ने नोएडा अथॉरिटी की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए हैं. अभिषेक बताते हैं कि आज से 2 साल पहले तक प्राधिकरण बिल्डर्स के लिए काम किया करता था. क्रेडाई की संस्था अथॉरिटी में बैठकर मनमानी किया करती थी. उन्होंने मांग करते हुए कहा कि उस वक़्त के अथॉरिटी अधिकारियों की जांच होनी चाहिए.

नई दिल्ली/नोएडा: आम्रपाली पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद नोएडा-ग्रेटर नोएडा के तकरीबन 45 हज़ार फ्लैट बायर्स के चेहरे खिलखिला उठे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली के सभी रुके प्रोजेक्ट्स को सरकारी एजेंसी एनबीसीसी को सुपुर्द कर दिया है.

SC के फैसले से फ्लैट बायर्स खुश

सरकारी एजेंसी एनबीसीसी आम्रपाली के सारे प्रोजेक्ट को पूरा करेगी. एनसीएलटी के आदेशों को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज करने वाली संस्था नफोवा के अध्यक्ष अभिषेक कुमार ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.

'2010 में बुक कराया था फ्लैट'
नफोवा अध्यक्ष अभिषेक बताते हैं कि साल 2010 में उन्होंने फ्लैट बुक कराया 2012-13 में उसका पजेशन मिलना था लेकिन पजेशन नहीं मिला. प्रोजेक्ट पर कोई काम नहीं हुआ जिसके बाद नफोवा संस्था बनाकर हजारों लोगों को मुहिम से जोड़ा गया.

सूबे की तीन सरकारों के सामने हम लोगों ने फ्लैट पूरे करने की अर्जी लगाई लेकिन सरकारों ने अनदेखा कर दिया. अक्टूबर 2017 में एनसीएलटी लॉ को सुप्रीम कोर्ट ने चैलेंज किया था. फ्लैट बायर्स की समस्यायों को सुप्रीम कोर्ट ने सुना और आज जो निर्णय दिया है उससे लोगों में उम्मीद जागी है.

'प्राधिकरण पर लगाए गंभीर आरोप'
बायर्स ने नोएडा अथॉरिटी की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए हैं. अभिषेक बताते हैं कि आज से 2 साल पहले तक प्राधिकरण बिल्डर्स के लिए काम किया करता था. क्रेडाई की संस्था अथॉरिटी में बैठकर मनमानी किया करती थी. उन्होंने मांग करते हुए कहा कि उस वक़्त के अथॉरिटी अधिकारियों की जांच होनी चाहिए.

Intro:आम्रपाली पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद नोएडा-ग्रेटर नोएडा के तकरीबन 45 हज़ार फ्लैट बायर्स के चेहरे खिलखिला उठे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली के सभी रुके प्रोजेक्ट्स को सरकारी एजेंसी एनबीसीसी को सुपुर्द कर दिए हैं। सरकारी एजेंसी एनबीसीसी आम्रपाली के सारे प्रोजेक्ट को पूरा करेगी। एनसीएलटी के आदेशों को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज करने वाली संस्था नफोवा के अध्यक्ष अभिषेक कुमार ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की।


Body:नफोवा अध्यक्ष अभिषेक बताते हैं कि साल 2010 में उन्होंने फ्लैट बुक कराया 2012-13 में उसका पजेशन मिलना था लेकिन पजेशन नहीं मिला। प्रोजेक्ट पर कोई काम नहीं हुआ जिसके बाद नफोवा संस्था बनाकर हजारों लोगों को मुहिम से जोड़ा। सूबे की तीन सरकारों के सामने हम लोगों ने फ्लैट पूरे करने की अर्जी लगाई लेकिन सरकारों ने अनदेखा किया। बैंक, बिल्डर और अथॉरिटी का एक बड़ा नेक्सेस है जिसके खिलाफ हम लड़ते आरहे हैं।

साल 2017 अक्टूबर में एनसीएलटी लॉ को सुप्रीम कोर्ट ने चैलेंज किया। फ्लैट बायर्स को सुप्रीम कोर्ट ने समस्याओं को सुना और आज जो निर्णय दिया है उससे उम्मीद जगी है।


Conclusion:"प्राधिकरण पर लगाए गंभीर आरोप"
बायर्स ने नोएडा अथॉरिटी की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए हैं। अभिषेक बताते हैं कि आज से 2 साल पहले तक प्राधिकरण बिल्डर्स के लिए काम किया करता था। क्रेडाई की संस्था अथॉरिटी में बैठकर मनमानी किया करती थी। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि उस वक़्त के अथॉरिटी अधिकारियों की जांच होनी चाहिए।

वहीं एक फ्लैट बायर्स ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने बिरहा दिखाइए एक रास्ता मिला है और उम्मीद है वह रास्ता हमें मकान जरूर दिलाएगा।
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