नई दिल्ली: 26 जुलाई 1999 के दिन भारतीय सेना ने कारगिल युद्ध के दौरान चलाए गए 'ऑपरेशन विजय' को सफलतापूर्वक अंजाम देकर भारत भूमि को घुसपैठियों के चंगुल से मुक्त कराया. 26 जुलाई को हर साल कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है. ऐसे ही शहीद कैप्टन विजयंत थापर की शौर्य गाथा युगों से नौजवानों के लिए प्रेरणादायक है. शहीद कैप्टन विजयंत थापर के पिता कर्नल वीएन थापर ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की और कुछ यादें साझा की.
शहीद कैप्टन विजयंत थापर के पिता कर्नल वीएन थापर ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि उन्होंने बेटे को अपने जीवन से कभी अलग नहीं होने दिया है. उन्होंने कहा कि बेटे का शरीर जरूर चला गया, लेकिन उसके विचार और देश प्रेम हमेशा हमारे साथ जीवंत है.
याद में लिखी किताब
कर्नल वीएन थापर ने बताया कि बेटे की याद में 'विजयंत एट कारगिल' नाम की एक किताब लिखी है. बेटे के पैदा होने से लेकर, उसकी स्कूलिंग, कॉलेज, देश प्रेम, शौर्य गाथा के बारे में किताब में लिखा गया है. ये किताब 20 साल की मेहनत से लिखी गई है.
आखिरी पत्र
शहीद कैप्टन विजयंत थापर के पिता ने बेटे की शहादत को याद करते हुए कहा कि नोएडा में तकरीबन डेढ़ लाख लोग उनको नमन करने पहुंचे थे. रिटायर्ड कर्नल ने अपने शहीद बेटे के पत्र का भी जिक्र किया, जिसमें उन्होंने लिखा था कि 'मुझे ये जिंदगी खोने का कोई गम नहीं है. ईश्वर ने दोबारा जन्म दिया तो भारतीय सेना में जाऊंगा और दुश्मन से लोहा लूंगा'.
देश सेवा सर्वोपरि
शहीद कैप्टन विजयंत थापर के पिता ने कहा कि अक्सर लोग कहते हैं कि उनका बेटा विदेश में काम कर रहा है. ये महत्वपूर्ण नहीं है. महत्वपूर्ण ये है कि वो भारत देश के लिए क्या कर रहा है. उन्होंने नौजवानों से अपील करते हुए कहा कि वो देश में रहें और देश सेवा करें. ये कर्तव्य सर्वोपरि है.