नई दिल्ली/नोएडा: दिल्ली-एनसीआर में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान लागू होने का कुछ खास असर देखने को नहीं मिल रहा है. नियमों की धज्जियां उड़ने से जिले में लगातार वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है. नोएडा और ग्रेटर नोएडा में बढ़ रहे एयर क्वालिटी इंडेक्स बढ़ने से सांस लेने की समस्या, आंखों में जलन जैसी समस्याएं बढ़ने लगी है. सीपीसीबी (सेंट्रल पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड) के जारी आकंड़ों के मुताबिक नोएडा के AQI 363 और ग्रेटर नोएडा का AQI 386 है.
सेंट्रल पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) की वेबसाइट के मुताबिक दिल्ली से भी ज्यादा प्रदूषित ग्रेटर नोएडा है. ग्रेटर नोएडा में दो स्टेशन यूपीपीसीबी (उत्तर प्रदेश पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड) ने लगाए हैं, जिसमें नॉलेज पार्क-III में एयर क्वालिटी इंडेक्स 353 और नॉलेज पार्क-V का एयर क्वालिटी इंडेक्स 419 दर्ज किया गया है. ग्रेटर नोएडा के एक हिस्से में AQI 400 के पार पहुंच गया है, जो बेहद चिंता का विषय है. UPPCB को इस ओर ध्यान देना होगा और सख्त कदम उठाने होंगे.
नोएडा में दर्ज AQI
नोएडा में UPPCB ने 4 स्टेशन ने इंस्टॉल किए हैं, जिसमें सेक्टर 62 स्टेशन में 379 AQI, सेक्टर 125 का स्टेशन काम नहीं कर रहा, सेक्टर 1 में 354 AQI और सेक्टर 116 में 355 AQI दर्ज किया गया है. जिले की सेहत नाजुक होती जा रही है. अगर इस ओर जिला प्रशासन ध्यान नहीं देगा तो, हवा पूरी तरह से प्रदूषित हो जाएगी और ऐसे में लोगों की समस्याओं को बढ़ाएगी.
हवा की सेहत चिंताजनक
15 अक्टूबर से जिले में GRAP लागू है. ऐसे में नियमों की अनदेखी पर UPPCB लगातार कार्रवाई कर रहा है. हवा की रफ्तार धीमी होने से उद्योग और वाहनों से निकलने वाले धुएं का असर धुंध के रूप में देखने को मिल रहा है. ग्रेटर नोएडा और नोएडा में सुबह और शाम होने से पहले ही स्मॉग के रूप में धुंध छा जाती है. नोएडा और ग्रेटर नोएडा में UPPCB लगातार कार्रवाई कर रहा है, ग्रेप लागू है, लेकिन कोई खास असर दिखाई नहीं दे रहा है. डॉक्टर की सलाह के मुताबिक AQI बढ़ने से कोरोना के मरीजों की समस्या बढ़ेगी. वहीं बुजुर्ग, बच्चे, ह्रदय रोगी सहित अस्थमेटिक मरीजों को विशेष सावधानी बरतनी होगी.