ETV Bharat / city

नोएडा: घर जाने को लेकर ऑफिसों का चक्कर काट रहे प्रवासी

राजधानी दिल्ली से सटे नोएडा में अफवाहों का ऐसा दौर चला कि सेक्टरों के साथ ही झुग्गियों में रहने वाले लोग जिला प्रशासन और थाना से लेकर पुलिस चौकी तक का चक्कर काट रहे हैं. नोएडा से बिहार, बंगाल, उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों में जाने वालों के साथ ही महाराष्ट्र तक जाने वाले लोग इस आस में सरकारी ऑफिसों में भटक रहे हैं कि कोई साधन या तरीका मिले जिसके चलते वह अपने मूल निवास स्थान पहुंच सकें.

During lockdown Expatriates traveling around offices in Noida to go home
ऑफिसों का चक्कर काट रहे प्रवासी
author img

By

Published : May 2, 2020, 8:53 PM IST

नई दिल्ली/नोएडा: लॉकडाउन के दौरान जिन प्रदेशों और जिलों में प्रवासी नागरिक फंसे हुए हैं उन्हें निकालने के लिए श्रमिक बसें और श्रमिक ट्रेनें चलाई गई हैं. इसकी खबर फैलने के बाद गौतमबुद्ध नगर जिले में अफवाहों का ऐसा दौर चला कि सेक्टरों के साथ ही झुग्गियों में रहने वाले लोग जिला प्रशासन और थाना से लेकर पुलिस चौकी तक का चक्कर काट रहे हैं.

ऑफिसों का चक्कर काट रहे प्रवासी

पर ऑफिस और थानों का चक्कर काटने वालों को कहीं से भी कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिल रहा है. जिसके चलते वह इस तपती हुई गर्मी में यहां-वहां भटकने को मजबूर हो रहे हैं. अपने घर जाने की आस लिए उत्तर प्रदेश के साथ ही गैर प्रांतों के रहने वाले लोग भी हैं.

प्रवासी लोगों की समस्या

नोएडा से बिहार, बंगाल, उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों में जाने वालों के साथ ही महाराष्ट्र तक जाने वाले लोग इस आस में सरकारी ऑफिसों में भटक रहे हैं कि कोई साधन या तरीका मिले जिसके चलते वह अपने मूल निवास स्थान पहुंच सकें.

वहीं उनके सामने सबसे बड़ी समस्या नोएडा छोड़ने के पीछे यह है कि जिस कंपनी में वह काम करते हैं, वह कंपनी बंद चल रही है. मकान मालिक कमरे का किराया मांग रहे हैं और घर में खाने के लिए राशन नहीं है. साथ ही जेब में पैसे भी नहीं हैं जिसके चलते वह परदेस छोड़कर अब अपने घर जाना चाहते हैं.

लोगों को घर जाने की उम्मीद

नोएडा से महाराष्ट्र और नोएडा से यूपी के बांदा जिला जाने वाले प्रवासी लोगों से जब ईटीवी भारत की टीम से खास बातचीत की तो उनका कहना है कि हमारे पास ना काम है, ना पैसा और ना खाने के लिए राशन. इसके साथ ना ही हमारे पास मकान मालिक को देने के लिए किराया है. जिसके चलते हम अपने घर जाना चाहते हैं.

प्रशासन से उम्मीद लेकर उनके पास जा रहे हैं हमारे जाने की व्यवस्था करवाई जाए. पर इस तपती धूप में सरकारी ऑफिसों से लेकर थानों के चक्कर काटने के बाद कहीं से भी कोई उम्मीद भरे जवाब नहीं मिले. वहीं महाराष्ट्र के रहने वाले प्रवासी ने बताया कि उसके द्वारा महाराष्ट्र प्रशासन से बात की गई, जहां से जवाब मिला कि नोएडा के जिला प्रशासन से संपर्क किया जाएगा और उनके द्वारा व्यवस्था की जाएगी. पर यहां संपर्क करने के बाद कोई सकारात्मक उत्तर नहीं मिला जिसके चलते यहां-वहां भटकना पड़ रहा है।

प्रशासन की तैयारी

प्रवासी लोगों को लेकर प्रशासन द्वारा चौकी और थाने स्तर से जिन क्षेत्रों में प्रवासी लोग रह रहे हैं. उनके मकान मालिक से नाम मोबाइल नंबर और परिवार में सदस्यों की संख्या ली जा रही है. सूत्रों की माने तो नोएडा के सिर्फ थाना सेक्टर 20 क्षेत्र से प्रवासी लोगों की अनुमानित संख्या करीब पौने दो लाख से ऊपर बताई जा रही है.

इस प्रकार अगर जिले से प्रवासियों की संख्या देखा जाए तो 5 से 6 लाख लोग नोएडा में प्रवासी है जिनके जाने की व्यवस्था में जिला प्रशासन रणनीति तैयार करने में लगा हुआ है.

नई दिल्ली/नोएडा: लॉकडाउन के दौरान जिन प्रदेशों और जिलों में प्रवासी नागरिक फंसे हुए हैं उन्हें निकालने के लिए श्रमिक बसें और श्रमिक ट्रेनें चलाई गई हैं. इसकी खबर फैलने के बाद गौतमबुद्ध नगर जिले में अफवाहों का ऐसा दौर चला कि सेक्टरों के साथ ही झुग्गियों में रहने वाले लोग जिला प्रशासन और थाना से लेकर पुलिस चौकी तक का चक्कर काट रहे हैं.

ऑफिसों का चक्कर काट रहे प्रवासी

पर ऑफिस और थानों का चक्कर काटने वालों को कहीं से भी कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिल रहा है. जिसके चलते वह इस तपती हुई गर्मी में यहां-वहां भटकने को मजबूर हो रहे हैं. अपने घर जाने की आस लिए उत्तर प्रदेश के साथ ही गैर प्रांतों के रहने वाले लोग भी हैं.

प्रवासी लोगों की समस्या

नोएडा से बिहार, बंगाल, उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों में जाने वालों के साथ ही महाराष्ट्र तक जाने वाले लोग इस आस में सरकारी ऑफिसों में भटक रहे हैं कि कोई साधन या तरीका मिले जिसके चलते वह अपने मूल निवास स्थान पहुंच सकें.

वहीं उनके सामने सबसे बड़ी समस्या नोएडा छोड़ने के पीछे यह है कि जिस कंपनी में वह काम करते हैं, वह कंपनी बंद चल रही है. मकान मालिक कमरे का किराया मांग रहे हैं और घर में खाने के लिए राशन नहीं है. साथ ही जेब में पैसे भी नहीं हैं जिसके चलते वह परदेस छोड़कर अब अपने घर जाना चाहते हैं.

लोगों को घर जाने की उम्मीद

नोएडा से महाराष्ट्र और नोएडा से यूपी के बांदा जिला जाने वाले प्रवासी लोगों से जब ईटीवी भारत की टीम से खास बातचीत की तो उनका कहना है कि हमारे पास ना काम है, ना पैसा और ना खाने के लिए राशन. इसके साथ ना ही हमारे पास मकान मालिक को देने के लिए किराया है. जिसके चलते हम अपने घर जाना चाहते हैं.

प्रशासन से उम्मीद लेकर उनके पास जा रहे हैं हमारे जाने की व्यवस्था करवाई जाए. पर इस तपती धूप में सरकारी ऑफिसों से लेकर थानों के चक्कर काटने के बाद कहीं से भी कोई उम्मीद भरे जवाब नहीं मिले. वहीं महाराष्ट्र के रहने वाले प्रवासी ने बताया कि उसके द्वारा महाराष्ट्र प्रशासन से बात की गई, जहां से जवाब मिला कि नोएडा के जिला प्रशासन से संपर्क किया जाएगा और उनके द्वारा व्यवस्था की जाएगी. पर यहां संपर्क करने के बाद कोई सकारात्मक उत्तर नहीं मिला जिसके चलते यहां-वहां भटकना पड़ रहा है।

प्रशासन की तैयारी

प्रवासी लोगों को लेकर प्रशासन द्वारा चौकी और थाने स्तर से जिन क्षेत्रों में प्रवासी लोग रह रहे हैं. उनके मकान मालिक से नाम मोबाइल नंबर और परिवार में सदस्यों की संख्या ली जा रही है. सूत्रों की माने तो नोएडा के सिर्फ थाना सेक्टर 20 क्षेत्र से प्रवासी लोगों की अनुमानित संख्या करीब पौने दो लाख से ऊपर बताई जा रही है.

इस प्रकार अगर जिले से प्रवासियों की संख्या देखा जाए तो 5 से 6 लाख लोग नोएडा में प्रवासी है जिनके जाने की व्यवस्था में जिला प्रशासन रणनीति तैयार करने में लगा हुआ है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.