नई दिल्ली नोएडा: विदेश में अगर आपको कोई प्रॉपर्टी देने का लालच दे रहा है और आपको प्रॉपर्टी का वारिस बनाने की बात कह रहा है, तो सावधान हो जाइए क्योंकि हो सकता है आपको प्रॉपर्टी मिले ना मिले पर आप ठगी के शिकार जरूर हो सकते हैं. ऐसे ही एक मामले का खुलासा नोएडा के साइबर क्राइम थाना पुलिस ने किया है, जिसमें पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है. जबकि मास्टरमाइंड अभी भी फरार है, जिसकी पुलिस तलाश कर रही है.
साइबर क्राइम थाना ने ऐसे लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनके बैंक खाते के माध्यम से ठगी करने का काम किया गया था. पीड़ित आईटी इंजीनियर की शिकायत पर पुलिस ने धारा 420, 467 ,468 ,471 506 34 आईपीसी और 66 आईटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज करके मामले की जांच शुरू की थी. तीनों ही आरोपियों को पुलिस ने बरेली से गिरफ्तार किया है. आरोपियों द्वारा लंदन (ब्रिटेन) में जमीन का वारिस बनाने के नाम पर ईमेल के माध्यम से ठगने का काम किया गया है.
नोएडा के सेक्टर 36 स्थित साइबर क्राइम थाने पर तरुण वैष्णोय निवासी c203 पार्क एवेन्यू गौर सिटी प्रथम नोएडा ने नोएडा के सेक्टर 36 स्थित साइबर क्राइम थाने पर तहरीर दी थी कि ईमेल आईडी पर 8 जनवरी 2019 को यूनाइटेड किंगडम से एडवोकेट बृंज ऐडी के नाम से एक ईमेल आया कि स्वर्गीय ब्रज वैष्णोय निवासी यूनाइटेड किंगडम जिंदगी एक सड़क दुर्घटना में वर्ष 2005 में परिवार सहित मृत्यु हो चुकी है. जिसका नॉमिनी बनाने के लिए वार्ष्णेय गोत्र मिलने के कारण आपको प्रस्ताव दिया गया है, जिनके बैंक लॉकर में साढ़े बारह मिलियन पाउंड है, जो आपके खाते में ट्रांसफर कर दिया जाएगा. इसका 50 प्रतिशत कमीशन एडवोकेट बृज ऐडी का होगा.
इसके बाद यूनाइटेड किंगडम अटॉर्नी की मेल आईडी से एक मेल आया कि नेटिकस बैंक लंदन में इस फंड को रिलीज करने के लिए फंड रिलीज फार्म भरने को कहा गया, जिसमें स्वर्गीय ब्रज वैष्णोय का लॉकर है. इसके बाद नैटिकस बैंक की मेल आईडी से मेल आया कि पूरा धन आरबीआई मुंबई में जमा करा दिया गया है. इसके बाद आरबीआई की विदेशी मुद्रा विनिमय विभाग देहरादून से मेल आने लगे. जिनके निर्देश पर आरोपियों द्वारा रजिस्ट्री कराने के नाम पर वारिस परिवर्तन के नाम पर विदेशी करेंसी को भारतीय करेंसी में बदलने के नाम पर, कस्टम ड्यूटी आदि के नाम पर विभिन्न 25 बैंक खातों में अब तक करीब 60 लाख रुपये धोखाधड़ी से जमा करा लिया गया है.
आईटी इंजीनियर के साथ हुई ठगी के संबंध में SP साइबर क्राइम डॉक्टर त्रिवेणी सिंह ने बताया कि तीन आरोपियों को बरेली से गिरफ्तार किया गया है. इसमें बरेली निवासी अकीलुद्दीन पुत्र फतेउद्दीन ,अनीस अहमद पुत्र रफीक अहमद और सलीम खान पुत्र आजाद खान है. इनके पास से तीन मोबाइल फोन, एक सिम कार्ड ,पांच डेबिट कार्ड, एक आधार कार्ड, एक पैन कार्ड, एक वोटर आईडी कार्ड, एक ड्राइविंग लाइसेंस, एक प्रेस कार्ड और 25 खातों में लगभग 13 लाख रुपए फ्रिज कराए गए हैं.
पूछताछ पर अभियुक्तों ने बताया, जाबिर पुत्र छोटे खान निवासी पश्चिमी बरेली, राशिद निवासी पश्चिमी बरेली हमसे आईडी और बैंक संबंधी दस्तावेज लेकर और आधार कार्ड में पता बदलवा कर गुरुग्राम हरियाणा, जयपुर राजस्थान के पते पर विभिन्न बैंकों में फंड आने के नाम पर गुरुग्राम और जयपुर दूरदराज राज्यों में हमारे बैंक खाते खुलवाये हैं. हमसे हमारे बैंक एटीएम, पासबुक, चेक बुक, रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर अपने पास रख लेते है, जिसके बदले में हमें प्रति बैंक खाता 20 हजार नगद देते हैं. इस प्रकार जाबिर और राशिद ने हमारे तीनों के करीब 90 से 95 खाते खुलवा कर हमें लगभग 4 लाख रुपये नगद दिए थे और हम तीनों को 50-50 हजार रुपये बाद में देने का वादा किया था. एसपी साइबर क्राइम ने बताया कि इस सक्रिय गैंग के तीन शातिर अभियुक्त पूर्व में गिरफ्तार कर जेल भेजे जा चुके हैं. मुख्य आरोपी सहित गैंग के अन्य सदस्यों की तलाश की जा रही है.
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