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नोएडा का पोस्टमॉर्टम हाउस बना आवारा कुत्तों का अड्डा, मूलभूत सुविधाओं का है टोटा - noida latest news

नोएडा के सेक्टर 94 स्थित पोस्टमॉर्टम हाउस, जिले में अकेला पोस्टमॉर्टम केंद्र होने के बावजूद बदहाल स्थिति (bad condition of noida sector 94 postmortem house) से गुजर रहा है. यहां न तो जेनेरेटर की व्यवस्था है और न ही पीने के पानी की, और तो और शवों को रखने वाले डीप फ्रीजर पर आवारा कुत्ते सोते हैं. आखिर क्योंं दुर्दशा से नहीं उबर पा रहा है ये पोस्टमॉर्टम हाउस, आइए जानते हैं...

bad condition of noida sector 94 postmortem house
bad condition of noida sector 94 postmortem house
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Published : Oct 1, 2022, 11:21 AM IST

नई दिल्ली/नोएडा: उत्तर प्रदेश के नोएडा शहर को प्रदेश का शो विंडो और औद्योगिक नगरी भी कहा जाता है. दिल्ली से सटा हुआ क्षेत्र होने के बावजूद यहां कुछ ऐसी खामियां अब भी मौजूद हैं जो किसी के नजर में नहीं आई. इन्हीं में से एक है यहां का पोस्टमॉर्टम हाउस, जहां बदहाली (bad condition of noida sector 94 postmortem house) अपने चरम पर है. यहां से कुछ ही दूरी पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में करोड़ों रुपये की लागत से बने इंटीग्रेटेड कंट्रोल रूम का उद्घाटन किया, लेकिन पोस्टमॉर्टम हाउस विकास की बयार से अछूता रह गया. जब ईटीवी भारत की टीम पहुंची तो यहां कई सारी खामियां मिली.

जनपद में कुल 27 थाने हैं जिसमें महिला थाना भी शामिल है. जिले में सभी शवों का पोस्टमॉर्टम नोएडा के सेक्टर 94 स्थित पोस्टमार्टम हाउस में ही होता है. जब ईटीवी भारत की टीम वहां पहुंची तो पाया कि यहां पानी का मोटर पिछले 6 महीने से खराब है और साफ-सफाई के लिए जुगाड़ से यहां पानी लाया जाता है. वहीं लावारिस शवों को जिस डीप फ्रीजर में रखा जाना चाहिए वह महीनों से खराब है और उसपर आवारा कुत्ते सोते हैं. कुल मिलाकर कहा जाए तो यहां पर डीप फ्रीजर केवल उपस्थिति दर्ज कराने की खानापूर्ति कर रहा है.

नोएडा के पोस्टमॉर्टम हाउस की बदहाल स्थिति

इतना ही नहीं, यहां मौजूद वॉटर कूलर के साथ जेनेरेटर तो खराब है ही, साथ ही जिस कमरे में एसी होना चाहिए वहां केवल एसी कवर है जिससे पोस्टमॉर्टम हाउस में अक्सर बदबू उठने लगती है. पूछताछ में पता चला कि यहां महीने की 1 से 10 तारीख तक जिला अस्पताल के डॉक्टर आते हैं. वहीं 11 से 30 तारीख तक सीएमओ के अंडर प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर आते हैं. ये सभी अपनी ड्यूटी निभाकर वहां से चले जाते हैं लेकिन कोई भी डॉक्टर या अधिकारी इसकी बदहाली को संज्ञान में नहीं लेता है जिससे यहां कि हालत बद से बदतर होती जा रही है.

यह भी पढ़ें-जिला अस्पताल में नहीं मिला स्ट्रेचर, प्रेग्नेंट पत्नी को कंधे पर लादकर वार्ड में ले गया पति

इस बारे में जब एक अधिकारी से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने साफ मना कर दिया. हालांकि पोस्टमॉर्टम हाउस के एक वॉर्डब्वॉय ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि तमाम कमियों और खराब डीप फ्रीजर के संबंध में मुख्य चिकित्सा अधिकारी को कई बार अवगत कराया गया. इसके बावजूद किसी के भी तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई. उसने कहा कि पोस्टमॉर्टम हाउस केवल जुगाड़ पर चल रहा है क्योंकि यहां तो पीने के पानी का भी इंतजाम नहीं है और हमें इसके लिए बगल के अंतिम निवास में जाना पड़ता है. वहीं डॉक्टर और फार्मासिस्ट अपना पीने का पानी खुद लेकर आते हैं.

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नई दिल्ली/नोएडा: उत्तर प्रदेश के नोएडा शहर को प्रदेश का शो विंडो और औद्योगिक नगरी भी कहा जाता है. दिल्ली से सटा हुआ क्षेत्र होने के बावजूद यहां कुछ ऐसी खामियां अब भी मौजूद हैं जो किसी के नजर में नहीं आई. इन्हीं में से एक है यहां का पोस्टमॉर्टम हाउस, जहां बदहाली (bad condition of noida sector 94 postmortem house) अपने चरम पर है. यहां से कुछ ही दूरी पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में करोड़ों रुपये की लागत से बने इंटीग्रेटेड कंट्रोल रूम का उद्घाटन किया, लेकिन पोस्टमॉर्टम हाउस विकास की बयार से अछूता रह गया. जब ईटीवी भारत की टीम पहुंची तो यहां कई सारी खामियां मिली.

जनपद में कुल 27 थाने हैं जिसमें महिला थाना भी शामिल है. जिले में सभी शवों का पोस्टमॉर्टम नोएडा के सेक्टर 94 स्थित पोस्टमार्टम हाउस में ही होता है. जब ईटीवी भारत की टीम वहां पहुंची तो पाया कि यहां पानी का मोटर पिछले 6 महीने से खराब है और साफ-सफाई के लिए जुगाड़ से यहां पानी लाया जाता है. वहीं लावारिस शवों को जिस डीप फ्रीजर में रखा जाना चाहिए वह महीनों से खराब है और उसपर आवारा कुत्ते सोते हैं. कुल मिलाकर कहा जाए तो यहां पर डीप फ्रीजर केवल उपस्थिति दर्ज कराने की खानापूर्ति कर रहा है.

नोएडा के पोस्टमॉर्टम हाउस की बदहाल स्थिति

इतना ही नहीं, यहां मौजूद वॉटर कूलर के साथ जेनेरेटर तो खराब है ही, साथ ही जिस कमरे में एसी होना चाहिए वहां केवल एसी कवर है जिससे पोस्टमॉर्टम हाउस में अक्सर बदबू उठने लगती है. पूछताछ में पता चला कि यहां महीने की 1 से 10 तारीख तक जिला अस्पताल के डॉक्टर आते हैं. वहीं 11 से 30 तारीख तक सीएमओ के अंडर प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर आते हैं. ये सभी अपनी ड्यूटी निभाकर वहां से चले जाते हैं लेकिन कोई भी डॉक्टर या अधिकारी इसकी बदहाली को संज्ञान में नहीं लेता है जिससे यहां कि हालत बद से बदतर होती जा रही है.

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इस बारे में जब एक अधिकारी से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने साफ मना कर दिया. हालांकि पोस्टमॉर्टम हाउस के एक वॉर्डब्वॉय ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि तमाम कमियों और खराब डीप फ्रीजर के संबंध में मुख्य चिकित्सा अधिकारी को कई बार अवगत कराया गया. इसके बावजूद किसी के भी तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई. उसने कहा कि पोस्टमॉर्टम हाउस केवल जुगाड़ पर चल रहा है क्योंकि यहां तो पीने के पानी का भी इंतजाम नहीं है और हमें इसके लिए बगल के अंतिम निवास में जाना पड़ता है. वहीं डॉक्टर और फार्मासिस्ट अपना पीने का पानी खुद लेकर आते हैं.

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