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'शहर में धारा 144 लागू फिर भी धरने पर बैठे हैं किसान'

नई दिल्ली: नोएडा अथॉरिटी में पिछले 6 दिनों से किसानों का धरना प्रदर्शन चल रहा है. इसी कड़ी में सोमवार को किसानों ने अथॉरिटी के अधिकारी से बातचीत की लेकिन मसले का हल नहीं निकल सका. किसानों ने कहा कि बंद कमरे में कोई बात नहीं होगी. जो भी बात करना है वह खुले में ही होगी.

किसानों की मुख्य मांग
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Published : Feb 18, 2019, 11:55 PM IST

किसानों से बात करने के लिए नोएडा नगर मजिस्ट्रेट शैलेन्द्र कुमार मिश्र, नोएडा अथॉरिटी के OSD राजेश सिंह, SP सिटी सुधा सिंह मौजूद थे. लेकिन किसानों और अधिकारियों में आम सहमति नहीं. वह अपनी पांचों मांगों का मौके पर निस्तारण के लिए अड़े रहे.

किसानों की मुख्य मांग
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किसानों की मुख्य मांग
किसानों की मुख्य मांग है कि 5 और 10 प्रतिशत विकसित भूखंड, 64.7% की दर से मुआवजा दिया जाए. घर पर दर्ज प्राधिकरण का नाम हटाकर बंद रजिस्ट्री तत्काल खोली जाए. किसानों की आबादी जहां है जैसी है उसे उसी हाल में छोड़ा जाए और सेक्टर 123 में कूड़ा घर से मुक्त भूमि पर आधुनिक सुविधाओं से युक्त स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स या डिग्री कॉलेज बनाया जाए.

'मांगों पर करेंगे विचार विमर्श'
नोएडा अथॉरिटी के अधिकारी राजेश सिंह ने बताया कि 12 तारीख से लोग धरने पर बैठे हैं. 18 तारीख को अपनी मांग का एक पत्र दिया है. किसानों को बता दिया गया है कि जो भी 5-10 लोग वार्ता के लिए आएं समस्या का समाधान किया जाएगा. किसानों ने वार्ता के लिए मना नहीं किया है. मांगों पर विचार विमर्श किया जाएगा.

शहर में धारा 144 लागू
राजेश सिंह ने शहर में धारा 144 के सवाल पर कन्नी काटते हुए कहा कि सिटी मजिस्ट्रेट जो संभव कार्रवाई है वो करेंगे. बात दें कि शहर में धारा 144 लागू है लेकिन फिर भी सैकड़ों की तादाद में पिछले 6 दिनों से किसान धरना दे रहे हैं.

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किसानों से बात करने के लिए नोएडा नगर मजिस्ट्रेट शैलेन्द्र कुमार मिश्र, नोएडा अथॉरिटी के OSD राजेश सिंह, SP सिटी सुधा सिंह मौजूद थे. लेकिन किसानों और अधिकारियों में आम सहमति नहीं. वह अपनी पांचों मांगों का मौके पर निस्तारण के लिए अड़े रहे.

किसानों की मुख्य मांग
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किसानों की मुख्य मांग
किसानों की मुख्य मांग है कि 5 और 10 प्रतिशत विकसित भूखंड, 64.7% की दर से मुआवजा दिया जाए. घर पर दर्ज प्राधिकरण का नाम हटाकर बंद रजिस्ट्री तत्काल खोली जाए. किसानों की आबादी जहां है जैसी है उसे उसी हाल में छोड़ा जाए और सेक्टर 123 में कूड़ा घर से मुक्त भूमि पर आधुनिक सुविधाओं से युक्त स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स या डिग्री कॉलेज बनाया जाए.

'मांगों पर करेंगे विचार विमर्श'
नोएडा अथॉरिटी के अधिकारी राजेश सिंह ने बताया कि 12 तारीख से लोग धरने पर बैठे हैं. 18 तारीख को अपनी मांग का एक पत्र दिया है. किसानों को बता दिया गया है कि जो भी 5-10 लोग वार्ता के लिए आएं समस्या का समाधान किया जाएगा. किसानों ने वार्ता के लिए मना नहीं किया है. मांगों पर विचार विमर्श किया जाएगा.

शहर में धारा 144 लागू
राजेश सिंह ने शहर में धारा 144 के सवाल पर कन्नी काटते हुए कहा कि सिटी मजिस्ट्रेट जो संभव कार्रवाई है वो करेंगे. बात दें कि शहर में धारा 144 लागू है लेकिन फिर भी सैकड़ों की तादाद में पिछले 6 दिनों से किसान धरना दे रहे हैं.

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Intro:नोएडा अथॉरिटी में पिछले 6 दिनों से किसानों का धरना प्रदर्शन चल रहा है। अथॉरिटी के अधिकारी से सोमवार हुई बात बेअसर रही। किसानों से कहा बात यहीं खुले में होगी बंद कमरे में कोई बात नहीं होगी। किसानों से बात करने नोएडा नगर मजिस्ट्रेट शैलेन्द्र कुमार मिश्र, नोएडा अथॉरिटी के OSD राजेश सिंह, SP सिटी सुधा सिंह मौजूद रही।


Body:सैकड़ो की संख्या में मौजूद किसानों से बात विफल रही। किसानों और अधिकारियों में नहीं बनी आम सहमति। किसान अपनी पांचो मांगो का मौके पर निस्तारण को लेकर अड़े।

किसानों की मुख्य मांग है कि 5 और 10 प्रतिशत विकसित भूखंड, 64.7% की दर से मुआवजा। किसानों के घर पर दर्ज प्राधिकरण का नाम हटाकर बंद रजिस्ट्री तत्काल खोली जाए। किसानों की आबादी जहां है जैसी है उसे उसी हाल में छोड़ा जाए और सेक्टर 123 में कूड़ा घर से मुक्त भूमि पर आधुनिक सुविधाओं से युक्त स्पोर्ट्स कॉन्प्लेक्स या डिग्री कॉलेज बनाया जाए।


Conclusion:नोएडा अथॉरिटी के अधिकारी राजेश सिंह ने बताया कि 12 तारीख से लोग धरने पर बैठे हैं और 18 तारीख को अपनी मांग का एक पत्र दिया है। उन्होंने कहा कि किसानों को बता दिया गया है कि जो भी 5-10 लोग वार्ता के लिए आएं समस्या का समाधान किया जाएगा। किसानों ने वार्ता के लिए मना नहीं किया है। मांगों पर विचार विमर्श किया जाएगा। धारा 144 के सवाल पर कन्नी काटते हुए कहा कि सिटी मजिस्ट्रेट जो संभव कार्रवाई है वो करेंगे।

बात दें कि शहर में धारा 144 लागू है लेकिन फिर भी सैकड़ो की संख्या में पिछले 6 दिन किसान धरना दे रहे हैं।
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