नई दिल्ली/नोएडा : नोएडा प्राधिकरण की तरफ से साल 2018 में नोएडा के सेक्टर-122 में 1771 फ्लैट बनाकर स्थानीय सांसद डॉ महेश शर्मा से उद्घाटन कराकर झुग्गी झोपड़ी वासियों को देने की घोषणा की गई थी. फ्लैट झुग्गी वासियों को दिये भी गए. इससे पहले झुग्गी में रहने वाले लोगों की झुग्गियां पहले सील की गई थीं. इसके बाद उन्हें फ्लैट दिया गया. कई शर्तों के साथ जिस जगह पर झुग्गीवासियों को फ्लैट दिया गया है, वहां सुविधाओं के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की गई है. फ्लैट के नाम पर लोगों को लॉलीपॉप दिया गया है. लोगों को फ्लैट तो मिला, लेकिन फ्लैट में न खिड़की है न दरवाजा है. यहां तक कि पानी, बिजली की सुविधाएं भी नहीं हैं. इसके लिए लोगों को अपनी जेबें ढीली करनी पड़ रही हैं. इसको लेकर सेक्टर-122 नोएडा प्राधिकरण फ्लैट में रहने वाले झुग्गीवासियों में काफी आक्रोश है.
नोएडा के सेक्टर-122 में प्राधिकार की तरफ से 1771 फ्लैट बनाए गए हैं, जो 1BHK हैं. इन फ्लैटों में रहने की सुविधा सिर्फ झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोगों को ही दी गई है, जिसमें उनसे हर महीने करीब 2500 रुपये किस्त ली जाएगी. यह किस्त 20 साल तक ली जाएगी. हर साल मेंटेनेंस के नाम पर भी पैसा लिया जाएगा. यहां रह रहे लोगों का कहना है कि इस भीषण गर्मी में लोगों को बेसिक सुविधाएं प्राधिकरण द्वारा चार सालों में उपलब्ध नहीं कराई गई है. खासकर बिजली पानी के लिए लोगों को तरसना पड़ रहा है.
लोगों ने बताया कि फ्लैट तो दिया गया है, लेकिन उसमें खिड़की दरवाजे की जगह बनी है पर लगी किसी में नहीं है. लोग अपना पैसा खर्च कर खिड़की-दरवाजे और घरों की मरम्मत करा रहे हैं. लोगों का कहना है कि पूरा दिन घर की मरम्मत करने में लग जाता है, जिसके चलते दिहाड़ी मजदूरी नहीं कर पाते हैं. आमदनी का स्रोत बंद हो जा रहा है. प्राधिकरण से शिकायत करने के बावजूद भी किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है.
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सेक्टर-8, सेक्टर-9, सेक्टर-10, सेक्टर-4, सेक्टर-5 सहित अन्य झुग्गी-झोपड़ी से सेक्टर-122 आए लोगों का कहना है कि प्राधिकरण कर्मचारियों द्वारा सुविधा देने के नाम पर पैसे की मांग की जाती है. जिन लोगों ने पैसे दिए हैं, उसके काम हो जाते हैं, जो नहीं दिया उसका काम रुक जाता है. सुरक्षा के नाम पर भी महज खानापूर्ति है. घर में इतने कमजोर लकड़ी के दरवाजे लगे हैं कि वह आसानी से खोले जा सकते हैं. लोगों ने बताया कि घर के अंदर से लेकर बाहर तक बुरे हाल में सभी फ्लैट हैं, जिन्हें खुद पैसा खर्च कर बनवाया जा रहा है.