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अपने जनप्रतिनिधि को लेकर क्या कहते हैं नोएडा के मतदाता ?... - ईटीवी भारत ने लोगों से की बातचीत

उत्तर प्रदेश में चुनावी महासंग्राम छिड़ चुका है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 10 फरवरी को पहले चरण का मतदान होना है. ऐसे में नोएडा के लोगों की समस्याएं क्या हैं और मतदान को लेकर क्या है उनकी मनशा, जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम पहुंची नोएडा के सेक्टर 17 के झुग्गी एरिया में. ईटीवी भारत ने सेक्टर 17 के झुग्गी के लोगों से जानने की कोशिश की कि उनकी समस्याएं क्या है ? और अपने जनप्रतिनिधि के बारे में उनकी सोच क्या है ?...

assembly election 2022
उत्तर प्रदेश में चुनावी महासंग्राम
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Published : Feb 5, 2022, 1:23 PM IST

नई दिल्ली/नोएडा: उत्तर प्रदेश में चुनावी महासंग्राम ने अपनी रफ्तार पकड़ ली है. खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जहां पहले चरण में मतदान होना है. ऐसे में नोएडा भी इससे अछूता नहीं है. उत्तर प्रदेश का शो विंडो और राष्ट्रीय राजधानी से सटे होने के चलते सभी राजनीतिक पार्टियों की नजर यहां बनी रहती है. 10 फरवरी को पहले चलण का मतदान होने वाला है. चुनावी सरगर्मी के बीच सभी पार्टियों के स्टार प्रचारक डोर-टू-डोर लोगों से संपर्क कर पार्टी और प्रत्याशी के पक्ष में वोट देने की अपील कर रहे हैं. पर जिन्हें प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करना है वह अपने पत्ते अभी तक नहीं खोल रहे हैं.

वहीं इस चुनावी दौर में ईटीवी भारत की टीम जब नोएडा के सेक्टर-17 स्थित झुग्गी झोपड़ी एरिया में गई और वहां रहने वाले लोगों से चुनाव और उनकी समस्याओं के संबंध में बातचीत की, तो उन्होंने बताया कि चुनाव आने पर राजनीतिक पार्टी के लोग आते हैं और तमाम दावे करके चले जाते हैं, उसके बाद पांच साल तक लोगों को अपनी समस्याओं से खुद ही दो-चार होना पड़ता है. हर रोज उन्हें पानी, गंदगी, रास्ते और बिजली की समस्या से जुझना पड़ता है.

उत्तर प्रदेश में चुनावी महासंग्राम

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सेक्टर-17 की झुग्गी में रहने वाले लोगों की सबसे बड़ी शिकायत यह है कि स्थानीय जनप्रतिनिधि पिछले पांच साल में एक बार भी नहीं आए और न ही उनकी समस्याओं को सुना. उनका आरोप है कि राजनीतिक पार्टी के लोग चुनाव के दौर में आते हैं और तमाम दावे करके चले जाते हैं. लेकिन एक भी दावा किसी भी पार्टी के द्वारा आज तक पूरा नहीं किया गया. उनका कहना है कि यहां की समस्याओं को लेकर कई बार जनप्रतिनिधि (विधायक व सांसद) से संपर्क करने की कोशिश की गई पर उनसे मुलाकात नहीं हो पाती है, क्योंकि वह किसी से मिलते नहीं हैं. लोगों ने बताया कि सबसे बड़ी समस्या राशन और महंगाई को लेकर अपना रोश व्यक्त किया. लोगों का कहना है कि समस्याएं बहुत हैं पर सुनने वाला कोई नहीं है, बस चुनाव के दौरान समस्याओं को सुनते हैं नेता और फिर चले जाते हैं.

ये भी पढ़ें: उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने निर्माण कार्यों का लिया जायजा

वहीं महंगाई को लेकर उनका कहना है कि महंगाई इस कदर हो गई है कि घर का खर्च चलाना मुश्किल है. कोरोना के पहले दौर से लेकर अब तक किसी ने भी उनकी सुध नहीं ली. लोगों का कहना है कि बिजली का कनेक्शन लगा हुआ है लेकिन बिल इतना ज्यादा आता है कि उसे भरने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

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नई दिल्ली/नोएडा: उत्तर प्रदेश में चुनावी महासंग्राम ने अपनी रफ्तार पकड़ ली है. खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जहां पहले चरण में मतदान होना है. ऐसे में नोएडा भी इससे अछूता नहीं है. उत्तर प्रदेश का शो विंडो और राष्ट्रीय राजधानी से सटे होने के चलते सभी राजनीतिक पार्टियों की नजर यहां बनी रहती है. 10 फरवरी को पहले चलण का मतदान होने वाला है. चुनावी सरगर्मी के बीच सभी पार्टियों के स्टार प्रचारक डोर-टू-डोर लोगों से संपर्क कर पार्टी और प्रत्याशी के पक्ष में वोट देने की अपील कर रहे हैं. पर जिन्हें प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करना है वह अपने पत्ते अभी तक नहीं खोल रहे हैं.

वहीं इस चुनावी दौर में ईटीवी भारत की टीम जब नोएडा के सेक्टर-17 स्थित झुग्गी झोपड़ी एरिया में गई और वहां रहने वाले लोगों से चुनाव और उनकी समस्याओं के संबंध में बातचीत की, तो उन्होंने बताया कि चुनाव आने पर राजनीतिक पार्टी के लोग आते हैं और तमाम दावे करके चले जाते हैं, उसके बाद पांच साल तक लोगों को अपनी समस्याओं से खुद ही दो-चार होना पड़ता है. हर रोज उन्हें पानी, गंदगी, रास्ते और बिजली की समस्या से जुझना पड़ता है.

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सेक्टर-17 की झुग्गी में रहने वाले लोगों की सबसे बड़ी शिकायत यह है कि स्थानीय जनप्रतिनिधि पिछले पांच साल में एक बार भी नहीं आए और न ही उनकी समस्याओं को सुना. उनका आरोप है कि राजनीतिक पार्टी के लोग चुनाव के दौर में आते हैं और तमाम दावे करके चले जाते हैं. लेकिन एक भी दावा किसी भी पार्टी के द्वारा आज तक पूरा नहीं किया गया. उनका कहना है कि यहां की समस्याओं को लेकर कई बार जनप्रतिनिधि (विधायक व सांसद) से संपर्क करने की कोशिश की गई पर उनसे मुलाकात नहीं हो पाती है, क्योंकि वह किसी से मिलते नहीं हैं. लोगों ने बताया कि सबसे बड़ी समस्या राशन और महंगाई को लेकर अपना रोश व्यक्त किया. लोगों का कहना है कि समस्याएं बहुत हैं पर सुनने वाला कोई नहीं है, बस चुनाव के दौरान समस्याओं को सुनते हैं नेता और फिर चले जाते हैं.

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वहीं महंगाई को लेकर उनका कहना है कि महंगाई इस कदर हो गई है कि घर का खर्च चलाना मुश्किल है. कोरोना के पहले दौर से लेकर अब तक किसी ने भी उनकी सुध नहीं ली. लोगों का कहना है कि बिजली का कनेक्शन लगा हुआ है लेकिन बिल इतना ज्यादा आता है कि उसे भरने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

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